सम्पादकीय

बजट 2022ः ग्रोथ का बजट

Rani Sahu
2 Feb 2022 6:26 PM GMT
बजट 2022ः ग्रोथ का बजट
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव करीब हैं, इसलिए यह आम सोच थी कि बजट लोकलुभावन होगा

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव करीब हैं, इसलिए यह आम सोच थी कि बजट लोकलुभावन होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सोच को गलत साबित किया है। बजट का फोकस सरकारी खर्च बढ़ाकर आर्थिक विकास दर तेज करने पर है, जिसकी जरूरत भी थी। इसलिए यह ग्रोथ का बजट है, बोल्ड बजट है। सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में कैपिटल एक्सपेंडिचर में 35.4 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है। यह बहुत बड़ा फैसला है, लेकिन इससे महंगाई दर बढ़ेगी। वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2023 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.4 फीसदी रखा है, जो इससे पिछले साल में 6.8 फीसदी रहा। यह भी ठीक है। अभी आर्थिक रिकवरी को मजबूत बनाने की जरूरत है, इसलिए आने वाले वर्षों में राजकोषीय घाटे को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। पीएम गति शक्ति के जरिये वित्त मंत्री ने इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने का एलान किया। यह भी अच्छा कदम है।

सरकार कुछ समय से पीएलआई स्कीम के जरिये 14 क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा दे रही है। यह आत्मनिर्भर भारत के अजेंडा के साथ निर्यात बढ़ाने में भी कारगर हुआ है। रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत के अजेंडा को सरकार ने आगे बढ़ाया है। वित्त मंत्री ने बजट में क्रिप्टोकरंसी पर भी निवेशकों की उलझन दूर कर दी। उन्होंने इससे हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा। वित्त वर्ष 2023 में रिजर्व बैंक डिजिटल करंसी लाएगा, इसका ऐलान भी निर्मला सीतारमण ने किया। इन दोनों बातों से लगता है कि सरकार ने क्रिप्टोकरंसी को एक एसेट तो मान लिया है, लेकिन वह इन्हें बढ़ावा नहीं देना चाहती। पर्सनल इनकम टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया, वैसे, अगर इसमें राहत दी गई होती तो उससे खपत बढ़ाने में मदद मिलती।
खासतौर पर यह देखते हुए कि हाल के वर्षों में मध्य वर्ग की आय में भी कमी आई है और आर्थिक असमानता भी बढ़ी है। यहां तक कि समृद्ध तबके को भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स पर सरचार्ज घटाकर राहत दी गई है। निम्न-मध्यम आय वर्ग के लिए हाउसिंग सेक्टर में सौगात दी गई है। कृषि क्षेत्र के लिए एमएसपी पर रेकॉर्ड खरीद की बात वित्त मंत्री ने की, लेकिन किसी और राहत का एलान नहीं किया। विनिवेश के लिए भी लक्ष्य 65 हजार करोड़ का ही रखा गया है, जो कम है, लेकिन इस मामले में सरकार के खराब रेकॉर्ड को देखते हुए ठीक लगता है। वित्त मंत्री ने इस मामले में यह जरूर कहा कि कुछ महीनों में एलआईसी का आईपीओ आएगा। इधर, रोजगार का मुद्दा भी राजनीतिक रंग ले रहा है। इस मामले में बजट को देखकर लगता है कि सरकार कैपिटल एक्सपेंडिचर से बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होने की उम्मीद कर रही है। कुल मिलाकर, सरकार ने बजट के साथ एक रिस्क लिया है। देखना होगा कि यह कैसा रिटर्न देता है।

नवभारत टाइम्स

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