सम्पादकीय

क्रिकेट में टूटते सपने

Subhi
15 Nov 2022 4:41 AM GMT
क्रिकेट में टूटते सपने
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टी 20 विश्व कप क्रिकेट में किस्मत की धनी पाकिस्तान क्रिकेट टीम की इंग्लैंड के हाथों फाइनल में हार से न केवल उनके सपने टूटे हैं बल्कि भारत के सेमीफाइनल मैच में ही इंग्लैंड के हाथों शर्मनाक पराजय से हर भारतीय का सपना भी टूटा है।

आदित्य नारायण चोपड़ा: टी 20 विश्व कप क्रिकेट में किस्मत की धनी पाकिस्तान क्रिकेट टीम की इंग्लैंड के हाथों फाइनल में हार से न केवल उनके सपने टूटे हैं बल्कि भारत के सेमीफाइनल मैच में ही इंग्लैंड के हाथों शर्मनाक पराजय से हर भारतीय का सपना भी टूटा है। करोड़ों क्रिकेट प्रेमी फाइनल में भारत और पाकिस्तान की टक्कर देखने को इच्छुक थे लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी। आज भी ऐसे क्रिकेट प्रेमी हैं जिन्हें पाकिस्तान की हार से निराशा हुई है। उनका कहना है कि कितना अच्छा होता कि विश्व कप पाकिस्तान या भारत जीतता तो कम से कम विश्व कप उपमहाद्वीप में तो रहता। पाकिस्तान भले ही फाइनल में हार गया लेकिन उसके गेंदबाजों ने इंग्लैंड को संकट मेें डाले रखा। अगर पाकिस्तान की बेटिंग लाइन मजबूत होती तो फैसला पलट भी सकता था। पाकिस्तान टीम की हार का विश्लेषण करना क्रिकेट विशेषज्ञों का काम है। लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम का विश्लेषण न केवल क्रिकेट विशेषज्ञ बल्कि आम दर्शक भी कर रहे हैं। महान आलराउंडर कपिल देव ने भारत की सेमीफाइनल में हार के बाद टीम को चोकर्स करार दिया। खेलों में चोकर्स ऐसी टीमों को कहा जाता है जो अहम मैचों में जीतने में नाकाम रहती हैं। पिछले 6 विश्वकप में भारतीय टीम पांचवीं बार नॉकआउट चरण में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हुई है।यद्यपि कपिल देव ने स्वीकार किया कि भारत ने खराब क्रिकेट खेला लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हम एक मैच के आधार पर बहुत ज्यादा आलोचना नहीं कर सकते। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने सवाल उठाया है कि भारत सफेद गेंद ​की क्रिकेट में वैसी ही पुरानी शैली का क्रिकेट खेल रहा है। जो उसने वर्षों से खेला है। उन्होंने यहां तक कह डाला कि 2011 में घरेलू धरती पर 50 ओवर का विश्व कप जीतने के बाद भारत ने कुछ नहीं किया जब भी किसी टीम की हार होती है तो सवाल तो उठेंगे ही। अब टीम के चयन पर भी सवाल उठ रहे हैं। भारतीय चयनकर्ता हमेशा से ही प्रदर्शन की बजाय नामों की चमक पर ज्यादा ध्यान देते आए हैं। राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में भारतीय टीम प्रयोगों की कहानी बन गई है। कौन खिलाड़ी कब खेलेगा और क्यों खेलेगा इसका कुछ पता ही नहीं चलता? हर कोई भारत की हार के कारण गिना रहा है। केएल राहुल और रोहित शर्मा जैसे ओपनर्स ने कोई आक्रामकता नहीं दिखाई। सूर्यकुमार यादव इस विश्व कप में भारत के लिए एक्स फैक्टर साबित हुए थे लेकिन सेमीफाइनल जैसे बड़े मैच में वह दबाव नहीं झेल पाए। विराट कोहली और हार्दिक पांड्या ने अच्छी बल्लेबाजी की लेकिन भारतीय गेंदबाज कोई कमाल नहीं दिखा पाए। भुवनेश्वर कुमार समेत अन्य गेंदबाज पावर प्ले में विकेट नहीं निकाल पाए और न ही किसी और गेंदबाज को सफलता मिली। इंग्लैंड की कसी हुई गेंदबाजी ने भारतीय बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका ही नहीं दिया। भारतीय बल्लेबाज छटपटा कर रह गए। लैग स्पीनर यजुवेन्द्र चहल को न ​िखलाने का खामयाजा भी भारत को भुगतना पड़ा।पिछले कुछ वर्षों से टीम इंडिया के लिए अंतिम मौके पर हार बड़ी समस्या बनी हुई है। टीम 2014 के टी 20 विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी, पर श्रीलंका से हार गयी। साल 2015 और 2016 के विश्व कप में भी टीम सेमीफाइनल में हारी थी। साल 2017 के चैंपियन्स ट्रॉफी के फाइनल में भी उन्हें पाकिस्तान से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था, इसके अलावा टीम 2019 के विश्व कप सेमीफाइनल में भी हार गयी थी। वर्ष 2021 के टी 20 विश्व कप से टीम पहले ही दौर से बाहर हो गयी थी। अब 2022 में भी भारतीय टीम एक बार फिर सेमीफाइनल में हार गयी। जब पुरवइया हवा चलती है, तो दर्द उभर आता है। उसी तरह जब भारतीय टीम हारती है, तो महेंद्र सिंह धोनी की कमी याद आती है। पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भारतीय टीम की हार के बाद धोनी को याद किया है। उन्होंने कहा कि धोनी जैसा कप्तान दोबारा टीम को नहीं मिलेगा। धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान रहे हैं। ऐसी कोई ट्रॉफी नहीं है, जो उन्होंने अपनी कप्तानी में न जीती हो।संपादकीय :जी-20 देशों की सदारतराष्ट्रपति का 'असह्य' अपमानहरियाणा सीएम की मनोहर योजनाएंकर्मचारी और मालिकों की ये कैसी मुश्किल!आरक्षण पर सोरेन का दांवहिमाचल में चुनावी जश्न थमाएक दौर में भारतीय टीम के लगातार टूर्नामेंट जीतने की बड़ी वजह धोनी की कप्तानी रही थी। बाद में उनकी बनाई गई टीम कुछ वर्ष खेलती रही। परिणाम स्वरूप 2018 में रोहित शर्मा की कप्तानी में भी एशियाई चैम्पियन बनने में कामयाब जरूर रहे लेकिन उसके बाद टीम का प्रदर्शन कमजोर होता चला गया। आम दर्शक भी अब यह बात कहने से परहेज नहीं कर रहा कि भारतीय क्रिकेट टीम में उम्रदराज खिलाड़ी ज्यादा हैं। जबकि टी 20 युवा खिलाड़ियों का खेल है। पाकिस्तान की टीम भारतीय टीम के मुकाबले अधिक युवा है। उनके खिलाड़ियों की उम्र औसतन 24-25 साल ही है। उम्रदराज बल्लेबाजों को यह बात सोचनी होगी कि टी 20 में रन बनाना ही पर्याप्त नहीं गेंदबाजों की भी पूरी भूमिका निभानी होती है। क्या भारतीय टीम में मनोबल की कमी आ चुकी है? इस सवाल का जवाब आलोचक इस प्रकार दे रहे हैं कि भारतीय टीम में मनोबल की भले ही कोई कमी न हो लेकिन चयनकर्ताओं ने समय के हिसाब से टीम में रणनीतिक बदलाव नहीं किए केवल नामी खिलाड़ियों को पुराने प्रदर्शन के आधार पर टीम में रखा। इस हार से भारतीय क्रिकेट टीम को सबक लेना होगा कि किस तरह स्टोक्स और बटलर इंग्लैंड टीम को जिताकर ले गए। इंग्लैंड के खिलाड़ियों की मानसिक शक्ति और शैली से भारतीय खिलाड़ियों को सीखना होगा। भारतीय चयनकर्ताओं को अब टीम में बदलाव करने होंगे और आगे की राह तलाशनी होगी।


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