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- राफेल सौदे में घूस!

राफेल लड़ाकू विमान सौदे में भारतीय बिचौलिए को घूस दी गई। क्या दलाली देना और बिचौलिए की भूमिका संभव है, जब भारत और फ्रांस सरकारों के बीच सौदा हुआ है? फ्रांस के एक न्यूज पोर्टल 'मीडिया पार्ट' ने अपनी खोजपरक रपट में यह रहस्योद्घाटन किया है कि राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने 75 लाख यूरो (65 करोड़ रुपए) की घूस बिचौलिए सुशेन मोहन गुप्ता को दी। यह दलाली मॉरीशस में पंजीकृत बिचौलिए की फर्जी कंपनी के जरिए दी गई। फर्जी रसीदों और बिलों का इस्तेमाल किया गया। पोर्टल में दावा किया गया है कि दलाली की रकम 2007-12 के दौरान दी गई और 2013 तक पूरी घूस दे दी गई। इन सालों में भारत में कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार थी। डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। सवाल है कि क्या दलाली के मद्देनजर ही 10 साल तक सौदे पर बातचीत चलती रही और अंततः सौदा नहीं हुआ? जब अधिकृत और संशोधित सौदा 2016 में मोदी सरकार के दौरान हुआ, तो बिचौलिए को पहले ही दलाली कैसे दी गई? दलाली दी गई या कहीं, कोई छिद्र है? दलाली के 65 करोड़ रुपए किस-किस के बीच बंटे? इन सवालों की जांच अभी तक हो जानी चाहिए थी, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता का मुद्दा है। मॉरीशस सुशेन गुप्ता की फर्जी कंपनी के तमाम दस्तावेज अक्तूबर, 2018 में ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को भेज चुका था। फिर इन 36 महीनों में घूस का सच क्यों दबा रहा? सवाल यह भी है कि फ्रेंच कंपनी दसॉल्ट ने भी बिचौलिए को घूस क्यों दी? यदि घूस नहीं दी गई, तो फ्रांस सरकार ने भारत सरकार को स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया? फ्रांस सरकार ने मीडिया रपट पर कोई टिप्पणी नहीं की है, हालांकि वहां का न्यायिक आयोग दसॉल्ट की कार्यप्रणाली और सौदों की जांच जरूर कर रहा है।
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