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पंजाब के मुख्य सचिव के खिलाफ कठोर कार्रवाई ज़रूरी
प्रबीर के बसु.
मैं पक्के तौर पर यह कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आसानी से माफ कर देते हैं. बुधवार को पंजाब (Punjab) में जो घटना हुई, ऐसी घटना यदि किसी दूसरे देश के मुखिया के साथ हुई होती तो वह क्षण भर के लिए अपने सुरक्षा प्रमुख को बर्दाश्त नहीं करता. जब कोई प्रधानमंत्री किसी राज्य के दौरे पर होते हैं तो उनकी निर्बाध आवाजाही और सुरक्षा के लिए उस राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी (DGP) के अलावा इलाके के डीएम (DM) और एसपी (SP) जिम्मेदार होते हैं.
ये सभी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होते हैं. हालांकि, सुरक्षा की जिम्मेदारी डीआईबी पर भी होती है, लेकिन जहां तक बात मैदानी स्तर की सुरक्षा तैयारियों की होती है, इसके लिए यह जिम्मेदारी राज्य के अधिकारियों के कंधों पर होती है. क्या उन्हें पीएम के क़ाफ़िले में अड़चन पैदा करने वाले लोगों की तैयारियों के बारे में पता था? यदि ऐसा था और वे असफल रहे तो फिर वे नौकरी से बर्खास्त करने योग्य हैं. और यदि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी तो निश्चित रूप से उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए.
वैकल्पिक रूट क्या था? वो फेल क्यों हुआ?
कल्पना करें कि प्रधानमंत्री संवेदनशील बॉर्डर इलाके के दौरे पर होते और संबंधित आर्मी ऑफिसर-इन-चार्ज इसी तरह की गलती करता तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती? कोर्ट मार्शल. गृह मंत्रालय को कहीं न कहीं एक लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी. कुछ समय पहले, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने बंगाल में प्रधानमंत्री को रिसीव नहीं किया था, उनकी बैठक में वे एक घंटा देर से आए थे, फिर कुछ ही मिनटों में बैठक से बाहर निकल गए और प्रधानमंत्री को विदा किए बिना वहां से चले गए. उस समय, मैंने महसूस किया था कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने उस अधिकारी से निपटने में बहुत अधिक लचीलापन दिखाया है.
इससे ब्यूरोक्रेटिक सर्किल में संदेश ये गया कि हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बहुत ही दयालु स्वभाव के हैं. तो फिर इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि पंजाब के CS, DGP, और दूसरे जूनियर IAS/IPS अफसरों ने अपनी ज़िम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लिया. वहां के मुख्यमंत्री भी नौसिखिए हैं. परिणाम? सुरक्षा में भयंकर सेंध. रामचरितमानस में एक चौपाई है, 'भय बिन होय न प्रीत गोसाई'. इसलिए कानून-व्यवस्था के लिए अनुशासन बहुत अधिक महत्व रखता है.
गृहमंत्री को कठोर रुख अपनाना चाहिए
मेरे विचार में गृहमंत्री, जिन्हें हम एक कठोर प्रशासक के तौर पर देखते हैं, को कठोर रुख अपनाना चाहिए और ऐसे गंभीर अपराध को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उन्हें अनुच्छेद 311(2) के अंतर्गत CS, DGP, DM, SP को बर्खास्त कर देना चाहिए और देश के प्रधानमंत्री के जीवन को खतरे में डालने के लिए उन पर आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज करना चाहिए. उनके सर्विस क्रेडेंशियल को छीन लिया जाना चाहिए और उनको नाम के आगे रिटायर्ड आईएएस या आईपीएस लिखने की अनुमति नहीं देना चाहिए. इसके साथ-साथ उनके खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराएं और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी केस दर्ज होना चाहिए.
पंजाब का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. पंजाब के एक जवान के हाथों एक प्रधानमंत्री की हत्या हो चुकी है. तब पंजाब के कुछ सैनिकों ने बिहार के बोकारो में बगावत कर दी थी. पंजाब के एक नेता पाकिस्तान जाकर जनरल बाजवा, जिसने हमारे आर्मी अफसरों और जवानों की हत्या की थी, को गले लगा चुके हैं.
कल्पना कीजिए कि अगर इस तरह की चूक अमेरिका के राष्ट्रपति या इजरायल के प्रधानमंत्री के सुरक्षा प्रोटोकॉल में की जाती, तो क्या होता. यहां मैं चीन और रूस के राष्ट्रपतियों की सुरक्षा में ऐसे चूक के परिणामों का तो उल्लेख भी नहीं कर रहा हूं. लोकतंत्र का अर्थ ढिलाई देना नहीं है. ढिलाई देने को हमेशा कमजोरी माना जाता है. अधिक लाड़-प्यार में मिले छूट से बच्चा बिगड़ जाता है.
(डिस्क्लेमर: लेखक एक रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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