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- ब्रेन ड्रेन को रोकना...
17 जून के अंक में 'रेजिडेंट इंडियंस' शीर्षक से संपादकीय में लिखा है कि भारत से इमिग्रेशन भले बढ़ रहा है, लेकिन यह कोई मसला नहीं है। असल दिक्कत यह है कि देश में लोगों में निवेश नहीं किया जा रहा है। इसमें इस बात का जिक्र है कि किस तरह से देश का समृद्ध वर्ग अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए अमेरिका और ब्रिटेन भेजने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। इससे पहले ऐसी भी खबरें आई थीं कि कोरोना की दूसरी लहर में खराब चिकित्सा तंत्र का हाल देखने के बाद अमीर तो क्या मध्यवर्गीय लोग भी दूसरे देशों में बस रहे हैं या बसना चाहते हैं। इससे 'ब्रेन ड्रेन' डिनर टेबल पर चर्चा का विषय बन गया है, लेकिन इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं। संपादकीय कहता है कि भारत में समाजवाद की वजह से 1960 के बाद से पलायन शुरू हुआ। समाजवाद के कारण ही 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक संकट पैदा हुआ। इसके बाद हुए आर्थिक सुधारों के कारण देश में लोगों की आमदनी बढ़ी, लेकिन तब भी पलायन नहीं रुका। ये बातें सही हैं, लेकिन यह कहना ठीक नहीं है कि इससे देश को नुकसान नहीं हुआ।