सम्पादकीय

बॉयज इन ब्लू, वी स्टिल लव यू टीम इंडिया

Gulabi
9 Nov 2021 3:37 PM GMT
बॉयज इन ब्लू, वी स्टिल लव यू टीम इंडिया
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मोहम्मद शमी के देशभक्ति पर सवाल उठाना ठीक नहीं

बिक्रम वोहरा।

भारत ने सोमवार को जब टी20 विश्व कप (T20 World Cup) में नामीबिया के खिलाफ अपना आखिरी मुकाबला खेला तो स्टेडियम काफी हद तक भरा हुआ था. आपने शायद इसकी उम्मीद न की हो, लेकिन भारतीय प्रशंसक अलग ही मिट्टी के बने होते हैं. भीड़ में मौजूद ऐसे ही एक कट्टर समर्थक के हाथ में एक तख्ती नजर आई. इस पर लिखा था, 'वी स्टिल लव यू इंडिया.' यह लोगों की भावनाओं का इज़हार है, जबकि एक देश के रूप में हमने खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ाया ही है, हमने तो उन्हें दक्षिण अफ्रीका की तरह नया चोकर्स तक कह दिया.


दरअसल, हम जीतने के इतने आदी हो गए हैं कि ये हार पचा नहीं पा रहे. अफसोस की बात ये है कि जो लोग इस बात को भूलना नहीं चाहते, वे गुरुवार को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों पाकिस्तान की हार से शायद खुश हो जाएं. जहां आलोचकों की फ़ौज ने सोशल मीडिया पर टीम के खिलाड़ियों को व्यक्तिगत तौर पर चोट पहुंचाई है, वहां पूर्व क्रिकेटर भी इस काम में पीछे नहीं रहे, जैसे कि इस इवेंट के बाद अचानक वे समझदार हो गए हैं. कई लोग गुमनामी का सहारा लेकर अपमानजनक बातें लिखकर अपनी ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं.

आईपीएल से हमें ट्रिपल बेंच स्ट्रेंथ मिलती है
दिग्गज प्लेयर रहे सुनील गावस्कर कहते हैं कि भारत को यह नहीं पता कि शुरुआती छह ओवरों का फायदा कैसे उठाया जाए, जिससे अंत में काफी काम बच जाता है. अगर आपने पहले तीन ओवर में दो विकेट गंवा दिए तो आक्रामकता कैसे दिखा सकते हैं?

पूर्व कप्तान कपिल देव ने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने देश से ज्यादा अहम आईपीएल जैसी फ्रेंचाइजी के लिए खेलना है तो ऐसे में कोई क्या कह सकता है. अहम बात यह है कि कपिल देव ने खुद आईसीएल में इसी तरह की फ्रेंचाइजी शुरू की थी, लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया. ऐसे में इस तरह की तीखी टिप्पणी करना बेहद अनुचित है. आईपीएल को युवाओं की प्रतिभा खोजने के लिए जाना जाता है. इससे हमें ट्रिपल बेंच स्ट्रेंथ मिलती है, जिससे हम दो अलग-अलग दौरों के लिए दो A टीमों को भेजने में सक्षम हुए. अब अचानक यह हमारे टेंपररी डाउनफॉल का कारण बन गया.

कोई भी खिलाड़ी जानबूझ कर खराब नहीं खेलता
गौरतलब है कि ये वही खिलाड़ी हैं, जिन्होंने शानदार क्रिकेट खेलकर इंग्लैंड समेत तमाम मुश्किल हालात में हमें खुशी मनाने का मौका दिया. अब दो हार की वजह से कोई उन पर तिरंगे का अपमान करने वाला देशद्रोही या खलनायक का ठप्पा लगाकर बदनाम नहीं कर सकता है. कोई भी खिलाड़ी जानबूझकर उन दो अहम मुकाबलों में खराब नहीं खेला. ऐसे में उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

कौन चाहेगा कि अरबों लोगों के सामने बुरी तरह हारकर अपने बारे में तमाम नेगेटिव बातें पढ़े, मीडिया की आलोचना झेले, उसके खराब प्रदर्शन की कीमत उसके रिश्तेदार चुकाएं और परिजनों को ट्रोल किया जाए. टूर्नामेंट से ठीक पहले हम रवि शास्त्री और विराट कोहली के प्रति काफी बेरहम थे. जब उन्होंने टूर्नामेंट के बाद कप्तान और टीम प्रबंधक के रूप में अपने-अपने पद छोड़ने का ऐलान किया तो हम खुश हुए. हम उनकी तमाम उपलब्धियों के बावजूद इनके रिप्लेसमेंट पर चर्चा करने लगे और उनके प्रति हद से ज्यादा पर्सनल हो गए.

मोहम्मद शमी के देशभक्ति पर सवाल उठाना ठीक नहीं
मैच से पहले मीडिया टीम के आपसी तालमेल, कप्तान और खिलाड़ियों के आपसी रिश्तों पर छींटाकशी करता रहा, जो शायद ही खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के अनुकूल हो. उपहास के इस क्रम में एमएस धोनी के बतौर मेंटॉर टीम से जुड़ना भी शामिल हो गया. यह चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर को यह बताने जैसा था कि कंपनी ने एक सलाहकार नियुक्त किया है. बुरी टाइमिंग की बात करें तो एक साये को हायर करना टीम पर भरोसे की कमी का ही संकेत है. विराट के पास इसे मंज़ूर करने के अलावा कोई चारा नहीं था.

इसके बाद हम मोहम्मद शमी के पीछे पड़ गए और ज्यादा रन देने के लिए न सिर्फ़ उनकी तौहीन की बल्कि उनकी देशभक्ति पर भी सवाल उठाए. इस तरह की हरकतों से टीम के मनोबल पर वाकई बुरा असर पड़ा होगा. लिहाजा इससे विराट पर भी दबाव बढ़ा और उनका शानदार रिकॉर्ड भी फीका पड़ गया. बैग पैक कर दुबई से निकलते समय उन्हें पता होगा कि देश में उनका बेहद नीरस स्वागत होगा. यकीनन वे पैसा कमाते हैं और सिस्टम इसकी अनुमति देता है, लेकिन भारतीय टीम की ड्रेस पहनने के बाद उनके राष्ट्रवाद या सम्मान पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.

ये बिलकुल भी वाजिब नहीं है. टीम इंडिया के एक-एक खिलाड़ी ने पहले दो गेम जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी होगी. पिछले पांच महीने के 'बबल लाइफ' में बार-बार होने वाले कोविड जांच के बीच ये लोग बेहद अस्वाभाविक जिंदगी जी रहे थे, किसी भी दूसरे देश के खिलाड़ियों से कहीं ज़्यादा. वे थक चुके हैं, उनकी ऊर्जा ख़त्म हो चुकी है और शायद क्रिकेट का आनंद भी नहीं ले पा रहे हैं. लेकिन वे भारतीय हैं और हम उनसे अब भी प्यार करते हैं.


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