सम्पादकीय

Booster Dose Vaccination : कोरोना के घटते मामलों के बीच देश में बूस्टर डोज से टीकाकरण के क्या मायने हैं

Rani Sahu
21 May 2022 11:04 AM GMT
Booster Dose Vaccination : कोरोना के घटते मामलों के बीच देश में बूस्टर डोज से टीकाकरण के क्या मायने हैं
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देश में कोरोना (Corona Virus) से हालात सामान्य हैं

पंकज कुमार |

देश में कोरोना (Corona Virus) से हालात सामान्य हैं. नए मामले लगातार कम हो रहे हैं और एक्सपर्ट्स ने चौथी लहर की आशंका को भी खारिज कर दिया है. इस बीच देश में बूस्टर डोज (Booster Dose) वैक्सीनेशन भी चल रहा है. स्वास्थ्य कर्मचारियों और बुजुर्गों के अलावा 10 जनवरी से सरकार ने सभी वयस्कों के लिए भी तीसरी डोज का टीकाकरण शुरू कर दिया था, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि बहुत कम लोग ही बूस्टर डोज ले रहे हैं. कोविड पोर्टल (Covid Portal) के मुताबिक, देश में अब तक 3,10,18,392 बूस्टर डोज लगाई गई है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अब लोगों में कोरोना का डर खत्म हो रहा है. इस वजह से बूस्टर डोज से टीकाकरण की संख्या काफी कम है
अब ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना के घटते मामलों और संक्रमण से सामान्य होते हालातों के बीच देश में बूस्टर डोज की आगे की राह क्या है? स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और कोविड एक्सपर्ट डॉ. अंशुमान कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मचारियों और बुजुर्ग लोगों को कोरोना से अधिक खतरा होता है. इसलिए इनको सबसे पहले बूस्टर डोज लगाई गई थी. यह फैसला बिल्कुल ठीक था, लेकिन सभी को तीसरी डोज लगाई जाए ये जरूरी नहीं है. हमें यह देखना होगा कि किन लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है और किसको नहीं है. हाई रिस्क ग्रुप जैसे, पुरानी बीमारी के मरीज, बुजुर्ग और वो लोग जो संक्रमितों का इलाज़ करते हैं. उनके लिए बूस्टर डोज काफी जरूरी है, लेकिन एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति को इसकी खास जरूरत नहीं है.
इसका कारण यह है कि देश की एक बड़ी आबादी ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित हुई थी. लोगों में एक नेचुरल इम्यूनिटी बन गई है. ऐसे में अगर एक स्वस्थ व्यक्ति पुरानी वैक्सीन को ही दोबारा लगाता है, तो इससे कुछ परेशानी हो सकती है. जब लोगों में पहले से ही नेचुरल इंफेक्शन की एंटीबॉडी मौजूद है और फिलहाल कोरोना भी काबू में है, तो बूस्टर डोज सभी को लगाना जरूरी नहीं है.बूस्टर डोज के लिए किसी ऐसी वैक्सीन पर काम करना होगा, जो यूनिवर्सल हो और सभी वेरिएंट पर काम कर सके.
पुरानी वैक्सीन को ही बूस्टर डोज के रूप में लगाना सही नहीं
नई दिल्ली एम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह का कहना है कि बूस्टर डोज को लगाने का फायदा तब होगा जब वैक्सीन को अपडेट करके लगाया जाए. मौजूदा वैक्सीन को ही बूस्टर डोज के रूप में लगाने से बेहतर नतीजे नहीं आएंगे. इसलिए पहले हमें ये रिसर्च करनी चाहिए कि पुरानी वैक्सीन को ही बूस्टर डोज के तौर पर देना क्या ठीक है और क्या सभी को बूस्टर डोज की जरूरत है? क्योंकि वैक्सीन के दो टीके लगाने जरूरी थे. इससे कोरोना से बचाव भी हुआ, लेकिन अब फिर से पुरानी वैक्सीन को ही तीसरी डोज के तौर पर लगाने से खास फायदा नहीं दिखता. खासतौर पर 50 से कम उम्र के लोगों को बूस्टर से फायदा मिलने की उम्मीद कम है. डॉ. के मुताबिक, बूस्टर डोज पर अभी तक कोई खास वैज्ञानिक प्रमाण भी नहीं आए है. ऐसे में तीसरी डोज के असर को लेकर रिसर्च की जरूरत है. साथ ही यह भी कोशिश करनी चाहिए कि तीसरी डोज के रूप में कोई नई वैक्सीन लगाई जाए.
क्या सभी बच्चों को वैक्सीन लगाने की जरूरत है
देश में 5 से 12 आयु वर्ग के बच्चों के टीकाकरण को भी मंजूरी मिल गई है. 12 से अधिक उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन चल ही रहा है. लेकिन कोरोना की पिछली तीन लहरों में देखा गया है कि बच्चों पर इस वायरस का असर कम ही हुआ है, ऐसे में क्या सभी बच्चों को वैक्सीन लगवानी चाहिए? क्या बच्चों के टीकाकरण से कुछ नुकसान भी हो सकता है? इस मामले में डॉ.अंशुमान का कहना है कि बच्चों में बड़ों की तुलना में संक्रमण के खिलाफ बेहतर इम्युनिटी मौजूद है.
सीरो सर्वे की रिपोर्ट भी आई थी कि 85 से 92 प्रतिशत बच्चे कोविड संक्रमित हुए थे. यह वो बच्चे थे जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली थी. इसका मतलब बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमित हो गए थे. लेकिन उन पर कोरोना वायरस का कोई खास असर नहीं हुआ. पिछली तीन लहरों में भी देख चुके हैं कि बच्चों को वायरस से खतरा नहीं है. ऐसे में सभी बच्चों को वैक्सीन लगाने का कोई फायदा नहीं है. सिर्फ उन्हीं बच्चों को वैक्सीन लगानी चाहिए जो पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं. कोरोना वैक्सीन को बिना वजह यूनिवर्सल वैक्सीनेशन प्रोग्राम बनाने का कोई खास महत्व नहीं है.
Rani Sahu

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