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सम्पादकीय
Book Review पीओके भारत में वापस : देशभक्ति और रोमांच से भरपूर गुलाम कश्मीर पाने की कल्पित कथा
Tara Tandi
27 Jun 2021 8:00 AM GMT

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राजनीतिक अस्थिरता देश के लिए घातक है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अरुण सिंह। राजनीतिक अस्थिरता देश के लिए घातक है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। राजनीतिक अस्थिरता की कल्पना के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को लेखक अमित बगडिय़ा ने अपने उपन्यास 'पीओके भारत में वापस में बेहद दिलचस्प तरीके से पेश किया है। यह उनके मूल उपन्यास 'स्पाइज, लाइज एंड रेड टेप का हिंदी अनुवाद है। देशभक्ति और रोमांच से भरपूर इस उपन्यास में लेखक ने अपनी कल्पना को जबरदस्त उड़ान दी है। इसकी कहानी के अनुसार, भारतीय प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री समेत 60 वीवीआइपी को लेकर पाकिस्तान से लौट रहा विमान अचानक अपने रूट से गायब हो जाता है।
बाद में पता चलता है कि विमान को दक्षिण भारत स्थित वायुसेना के किसी अड्डे पर उतारा गया है। इधर, दिल्ली में सभी प्रमुख मंत्रालयों और दफ्तरों के बाहर सेना के जवान तैनात कर दिए जाते हैं। शाम को तीनों सेनाओं के प्रमुख एक प्रेस कांफ्रेंस में एलान करते हैं कि 15 दिन पहले कश्मीर के एक सैन्य अड्डे पर सीमा पार से हुए भीषण आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई की जाएगी।
गुलाम कश्मीर पर भी अपना नियंत्रण स्थापित
25 दलों की गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहीं प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पूर्व तीनों सेनाओं के प्रमुखों को इसकी इजाजत देने से इन्कार कर दिया था। इस एलान से पाकिस्तान समेत समूची दुनिया हैरान रह जाती है। इसके बाद भारतीय सेना अपने जासूसी तंत्र का चालाकी से इस्तेमाल कर दुश्मन को रणनीतिक स्तर पर पूरी तरह चौंकाते हुए न सिर्फ दो अलग-अलग शहरों में स्थित आतंकी मुख्यालयों को तबाह कर देती है, बल्कि गुलाम कश्मीर पर भी अपना नियंत्रण स्थापित कर लेती है।
समूचे घटनाक्रम को बेहद दिलचस्प तरीके से पेश किया गया
पुस्तक में समूचे घटनाक्रम को बेहद दिलचस्प तरीके से पेश किया गया है। कथानक पाठक को अंत तक बांधे रखता है। उपन्यास में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से लेकर विपक्ष के नेता तक को भले ही काल्पनिक नाम दिए गए हैं, लेकिन मौजूदा राजनेताओं में उनकी आसानी से पहचान की जा सकती है। कुछ लोगों को इस पर आपत्ति भी हो सकती है।
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Tara Tandi
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