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- पुस्तक समीक्षा : 'हिम...
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा प्रकाशित छमाही पहाड़ी पत्रिका 'हिम भारती' का ताजा अंक 'जुलाई-दिसंबर 2021' मिला जो शानदार सामग्री के साथ तैयार हुआ है। पत्रिका की मेहनती एवं सफल संपादक डा. श्यामा ठाकुर के संपादन में हर बार की तरह नई एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री से सुसज्जित पत्रिका के आरंभ में ही 'पीछे री एक झलक' दिखाते हुए 'संपादकीय' में 40 वर्ष पुराने 'सोमसी' पत्रिका के तत्कालीन कुशल संपादक/लेखक एवं भाषाविद ठाकुर मौलूराम जी के शानदार संपादकीय से रूबरू करवाते हुए भाषा एवं लिपि के सामंजस्य से परिचित कराने का स्तुत्य प्रयास किया गया है। 'आस्था' के अंतर्गत हिमाचली संस्कृति के पुरोधा अमरदेव आंगिरस के 'हिमाचलो दे मार्कण्डेय तीर्थ होर पर्व' तथा विजय कुमारी गौतम के 'नागवंशी नागड़ा रा कुलदेवता सलखण महाराज' के साथ 'अजर अमर ओसो भगवान् परशुराम' जैसे महत्त्वपूर्ण आलेख पठनीय बने हैं। 'लोक संस्कृति' के अंतर्गत रमेशचंद मस्ताना 'जमाना बदलोआ दा' के भीतर बदलते परिवेश का शानदार चित्रण करते हैं। 'किन्दे डेय सिठणे किन्दे सिठणे आले' लेख के भीतर अनंत आलोक अपने शौक का जिक्र करते हैं।