सम्पादकीय

पुस्तक समीक्षा : 'हिम भारती' का शानदार एवं पठनीय अंक

Rani Sahu
12 Feb 2022 7:01 PM GMT
पुस्तक समीक्षा : हिम भारती का शानदार एवं पठनीय अंक
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हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा प्रकाशित छमाही पहाड़ी पत्रिका ‘हिम भारती’ का ताजा अंक ‘जुलाई-दिसंबर 2021’ मिला जो शानदार सामग्री के साथ तैयार हुआ है

हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा प्रकाशित छमाही पहाड़ी पत्रिका 'हिम भारती' का ताजा अंक 'जुलाई-दिसंबर 2021' मिला जो शानदार सामग्री के साथ तैयार हुआ है। पत्रिका की मेहनती एवं सफल संपादक डा. श्यामा ठाकुर के संपादन में हर बार की तरह नई एवं महत्त्वपूर्ण सामग्री से सुसज्जित पत्रिका के आरंभ में ही 'पीछे री एक झलक' दिखाते हुए 'संपादकीय' में 40 वर्ष पुराने 'सोमसी' पत्रिका के तत्कालीन कुशल संपादक/लेखक एवं भाषाविद ठाकुर मौलूराम जी के शानदार संपादकीय से रूबरू करवाते हुए भाषा एवं लिपि के सामंजस्य से परिचित कराने का स्तुत्य प्रयास किया गया है। 'आस्था' के अंतर्गत हिमाचली संस्कृति के पुरोधा अमरदेव आंगिरस के 'हिमाचलो दे मार्कण्डेय तीर्थ होर पर्व' तथा विजय कुमारी गौतम के 'नागवंशी नागड़ा रा कुलदेवता सलखण महाराज' के साथ 'अजर अमर ओसो भगवान् परशुराम' जैसे महत्त्वपूर्ण आलेख पठनीय बने हैं। 'लोक संस्कृति' के अंतर्गत रमेशचंद मस्ताना 'जमाना बदलोआ दा' के भीतर बदलते परिवेश का शानदार चित्रण करते हैं। 'किन्दे डेय सिठणे किन्दे सिठणे आले' लेख के भीतर अनंत आलोक अपने शौक का जिक्र करते हैं।

'उमरां दे भट्ठ' झोकदे अनुभवी एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डा. ओमप्रकाश सारस्वत की आधुनिक मस्ती भरी संतति के व्यवहार के प्रति पीड़ा स्पष्ट झलक उठती है। 'अनुवाद' विधा में विष्णु प्रभाकर की मूल रचना का डा. प्रत्यूष गलेरी द्वारा किया पहाड़ी अनुवाद भी पठनीय है। विद्या शर्मा 'राहुल सांकृत्यायन होर तिन्हां रा परिवार' की 'याद' दिलाती हैं तो गोपाल शर्मा प्रतिष्ठित साहित्यकार द्विजेन्द्र द्विज की पहाड़ी ग़ज़लों की पुस्तक 'ऐब पुराणा सीहस्से दा' की समीक्षा का बीड़ा उठाते हैं। हरिप्रिया 'लोककथा रा जिन्दगी कन्नै जुड़ाव' की बात करती हैं तो डा. सूरत ठाकुर, जीतेंद्र अवस्थी, तारा नेगी 'कहाणी' कहते हैं और भीमसिंह चौहान 'लोककथा' सुनाते नजर आते हैं। कविता/गीत/ ग़ज़ल जैसी साहित्य की शानदार विधा के अंतर्गत डा. शंकर वासिष्ठ, डा. प्रेमलाल गौतम, अशोक दर्द, पवन चौहान, नवीन हलदूणवी, कुलदीप चंदेल, कृष्णा ठाकुर, चंचल सरोलवी तथा डा. कमल के. प्यासा जैसे प्रतिष्ठित कवि अपनी रसभरी कविताओं से पाठकों की प्यास बुझाते हैं। सभी विधाओं में शानदार सामग्री परोस रहे संपादक मंडल सहित सभी रचनाकार बधाई के पात्र हैं।
-आचार्य ओमप्रकाश 'राही'
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