सम्पादकीय

बॉडी शेमिंग और स्त्री देह : लोगों के दिमाग पर बोझ, रुबीना दिलैक का बढ़ता वजन..!

Gulabi
4 Dec 2021 6:46 AM GMT
बॉडी शेमिंग और स्त्री देह : लोगों के दिमाग पर बोझ, रुबीना दिलैक का बढ़ता वजन..!
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बॉडी शेमिंग और स्त्री देह
सेलेब्रिटीज का अपने लुक्स और फिटनेस को लेकर सजग रहना जग जाहिर है। वैसे तो फिट और प्रेजेंटेबल रहना किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छी बात है, लेकिन ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के लिए तो यह रोजी-रोटी का भी सवाल होता है, इसलिए इंटरनेट पर आपको सेलेब्रिटीज के जिमिंग या फिटनेस एक्टिविटीज से जुड़े ढेरों वीडियो और तस्वीरें मिल जाएंगी।
आम लोग भी कई बार इनसे प्रेरणा लेकर फिटनेस के लिए कदम उठाते हैं। मुश्किल यह है कि इन सेलेब्रिटीज के शरीर पर चढ़ी चर्बी की एक भी परत फैन्स को परेशान करने लगती है। खासकर सेलिब्रिटी अगर कोई महिला है तो। ऐसे ही कुछ फैन्स ने कुछ ही समय पहले रुबीना दिलैक को ट्रोल किया और रुबीना ने उन्हें करारा जवाब भी दे दिया। रुबीना ने सोशल मीडिया साइट पर ऐसे लोगों को स्यूडो फैन्स यानी नकली या छद्म फैन कहकर सम्बोधित किया है।
रुबीना दिलैक टीवी जगत की एक जानी मानी हस्ती हैं। उन्होंने बिग-बॉस का पिछला सीजन अपने नाम किया है और वो भी बकायदा जनता की पहली पसंद बनकर। सबसे खास बात यह कि रुबीना बिग बॉस में भी अपने समय पर सोने, पौष्टिक खाने और योगा की वजह से चर्चा में रही थीं।
दरअसल, बिग बॉस के कुछ समय बाद ही वे कोरोना की चपेट में आ गई थीं और उसके बाद उन्होंने खुद ही सोशल मीडिया अकाउंट पर बताया था कि रिकवरी की फेज में उनका वेट कुछ बढ़ गया है। जाहिर है कि ये कोई नई बात नहीं। आखिर सेलिब्रिटीज भी तो इंसान ही होते हैं। रुबीना एक पहाड़ी महिला हैं और यह एक स्थापित तथ्य है कि मैदानी इलाकों की तुलना में पहाड़ी इलाकों की जिंदगी ज्यादा दुर्गम होती है। पहाड़ी लोग बहुत सहज, लेकिन जीवटता और कठिनाई से भरी जिंदगी जीते हैं और खुश रहते हैं। रुबीना जल्द ही अपनी पुरानी काया में लौट आएंगी और न भी लौटना चाहें तो ये उनका अपना निर्णय है। उनको सच में प्यार करने वाले उनको हर सूरत में प्यार करेंगे।
यह किस्से और ताने नए नहीं
रुबीना पहली नहीं हैं जिन्हें इस तरह की बॉडी शेमिंग का शिकार होना पड़ा। इसके पहले विद्या बालन, ऐश्वर्या राय बच्चन जैसे बड़े नामों से लेकर टीवी की ही कई हस्तियां इस तरह से लोगों के निशाने पर रही हैं। बात केवल सेलिब्रिटीज तक ही सीमित नहीं है। आमतौर पर हमारे यहां औरतों का छरहरा होना उसका असेट माना जाता है।
मैंने कई पढ़े-लिखे लोगों को यह कहते सुना है कि उन्हें शादी के लिए दुबली लड़की चाहिए क्योंकि शादी के बाद जब लड़कियां 'फैल' जाती हैं तो अच्छी नहीं दिखतीं। और शादी के बाद तोन्दीयल हुए आदमी संतुष्ट और सुखी वैवाहिक जीवन का उदाहरण होते है। आश्चर्च है कि वजन के प्रति ये चिंता औरतों के स्वास्थ्य से जुड़ी नहीं होती। आमतौर पर यह नहीं कहा जाता कि लड़की/औरत इसलिए दुबली और कम वजन वाली होनी चाहिए ताकि वह स्वस्थ रहे और किसी बीमारी का शिकार न हो। ज्यादातर वजन कम करने की कवायद इसलिए करवाई जाती है कि 'काया' अच्छी दिखती रहे।
पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन सीरीज की पहली मूवी 'पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन: द कर्स ऑफ द ब्लैक पर्ल' में एक सीन है, जहां हीरोइन कायरा नाइटली के लिए उनके पिता एक ड्रेस लाते हैं। उस समय के ब्रिटेन समेत यूरोप के ज्यादातर स्थानों पर महिलाओं के परिधान के साथ होते थे कॉर्सेट। कॉर्सेट एक तरह का ढांचा होता है जो किसी परिधान के नीचे इस तरह पहनाया जाता है कि शरीर पूरी तरह बंधन में कसा रहे।
इस ढांचे का मुख्य मकसद युवतियों के पेट को सपाट और वक्ष तथा कूल्हों को उभारने का हुआ करता था। खासकर राजकुमारियों, संभ्रांत वर्ग की महिलाओं के लिए यह एक आवश्यक चीज हुआ करती थी। 16 वीं शताब्दी में यूरोप में इस ढांचे ने बहुत लोकप्रियता हासिल की थी। यह विक्टोरिया युग था और कॉर्सेट को अंडरगारमेंट्स यानी अधोवस्त्र की तरह पहना जाता था।
जब उनके पिता कहते हैं-'आय एम टोल्ड दैट इट्स अ लेटेस्ट फैशन इन लंदन' (मुझे बताया गया था कि ये लंदन में लेटेस्ट फैशन है), तब कायरा कहती हैं-'वेल, देन वीमेन इन लंदन मस्ट हैव लर्न नॉट टू ब्रीद' (ओह! तब तो लंदन की महिलाओं को बिना सांस लिए जीना सीख लेना चाहिए)।
कॉर्सेट को असल में बनाया महिला-पुरुष दोनों के लिए बनाया गया था। खासकर बच्चों की रीढ़ की हड्डी को शेप में रखने के हिसाब से इसे बनाया गया था लेकिन बाद में यह महिलाओं की देह को आकर्षक बनाए रखने के लिए ज्यादा इस्तेमाल में लाया जाने लगा। यहां तक कि इसमें कपड़े के अलावा मैटल प्लेट्स, लकड़ी, हड्डियों, जानवर के सींग आदि का उपयोग भी होता था। जरा सोचिए दिनभर उस भारी ढांचे को देह पर लादे रहना, न ठीक से खा पाना न सांस ले पाना, क्या स्थिति होती होगी महिलाओं की?
20वीं शताब्दी के आते-आते इस अत्याचार का खात्मा होने लगा और इसकी जगह सामान्य मटेरियल के अंडर गारमेंट्स ने ले ली। अब भी कॉर्सेट फैशन का हिस्सा हैं और अब वे भले ही उतने कठोर न हों, मकसद वही है शरीर को शेप में रखना। अब वे शेपवेयर और नाइटवेयर के रूप में बाजार में मिल रहे हैं।
विरोध की कहानियां और लड़कियों की आवाज
हैरी पॉटर में बुद्धिमान लड़की की भूमिका निभाने वाली एमा वॉटसन ने कुछ समय पहले अपने एक इंटरव्यू में कहा था-
फिल्म ब्यूटी एंड बीस्ट के दौरान उन्होंने इस तरह की ड्रेसेस पहनने से मना कर दिया था। वे इस बात की कल्पना से ही डर गई थीं कि इस ड्रेस को पहनकर कैसे रहा जाएगा। एमा हिम्मती थीं, कम उम्र और चर्चित नाम होने पर भी डायरेक्टर ने उनकी बात मान ली।
इसी तरह एक्ट्रेस फीबी डेनवीयर ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि किस तरह पीरियड ड्रामा सीरीज 'ब्रिजर्टन' में अपनी भूमिका के दौरान कॉर्सेट पहनने से वो सांस नहीं ले पाती थीं। यहां तक कि हर दिन शूटिंग खत्म होने पर उनके शरीर पर घाव और निशान होते थे। 'सिंड्रेला' की भूमिका अदा करने वाली लिली जेम्स शूटिंग के दौरान कई बार ब्रीथिंग प्रॉब्लम से गुजरीं। स्थिति ऐसी थी कि सेट पर उनके लिए महज लिक्विड डाइट रखी जाती थी क्योंकि उस कॉर्सेट के साथ कोई भी और खाना वो डायजेस्ट ही नहीं कर सकती थीं।
जब केवल उस ड्रेस में एक्टिंग करने वाली महिलाओं के लिए स्थिति इतनी कठिन रही हो तो सोचा जा सकता है कि उस ड्रेस को रोज पहनकर रहना औरतों के लिए कितना मुश्किल रहा होगा।
मोटापा या बढ़ता वजन निश्चित ही कई बीमारियों का घर है। इसलिए फिट रहना एक सकारात्मक बात है लेकिन फिट रहने के ये पैमाने जब अस्तित्व पर हावी होने लगते हैं तो यह किसी के ऊपर लांछन की तरह लगने लगते हैं और किसी के पूरे जीवन पर ही तोहमत की तरह हो जाते हैं।
तो जरूरी है रुबीना की ही तरह का रवैया। जब बेवजह के लोग केवल आपके ऊपरी आवरण पर मर-मिट जाएं, आपसे महज छद्म प्यार जटाएं तो जरूरी है कि आप भी ऊपर उठ जाएं और इस फिजूल वजन को झटक-झाड़ अदा से आगे बढ़ जाएं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।

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