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इस सप्ताह, इस महीने दुनिया की सुर्खियों में हैं डोनाल्ड ट्रंप।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस सप्ताह, इस महीने दुनिया की सुर्खियों में हैं डोनाल्ड ट्रंप। सब तरफ एक चर्चा कि डोनाल्ड ट्रंप बीस जनवरी को कितनी कालिख, कंलक के साथ पद छोड़ेंगे! सचमुच अमेरिका के इतिहास में, दुनिया की आधुनिक लोकतांत्रिक सभ्यता के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप वह चेहरा हो गया है, जिसे हमेशा अपने हाथों अपनी बरबादी का इतिहास रचने की मिसाल के नाते याद रखा जाएगा। अंग्रेजी में एक शब्द है ह्यूबरिससिंड्रोम (hubris syndrome) और उसके पर्याय बन गए है डोनाल्ड ट्रंप। मतलब एक ऐसा व्यक्ति, एक ऐसा नेता जो अभिमान में जीते हुए, अपने आपको सर्वज्ञ, छप्पन इंची छाती वाला महाबली मानते हुए बिना इस भान, अहसास के जीता है कि वह मूर्खतापूर्ण गर्व याकि ह्यूबरिस सिंड्रोममें जी रहाहै।
डोनाल्ड ट्रंप ने जो किया वह इस गर्व में था कि वह महान है। और वह महान है तो उसके फैसलों से अमेरिका महान, ग्रेट होता हुआ है। वह सच्चा बाकी झूठ! वह समझदार बाकी मूर्ख। ट्रंप अपने स्टाफ, अपने मंत्रियों, अपनी पार्टी के तमाम लोगों-नेताओं को न महत्व देते थे और न उनकी सुनते थे क्योंकि उनका अपना मानना था याकि वे इस अभिमानी, ह्यूबरिस सिंड्रोम में जीते हुए थे कि दूसरे सब अल्पज्ञ जबकि वे जो सोचते, बोलते हैं, ट्विट करते हैं तो देशवासी उनकी वाह में उन्हें जिताते हैं तो भला दूसरे किसी का क्या मतलब।
मतलब नेता का ह्यूबरिस सिंड्रोममें जीना जनता की वाह से पकता है तो पद की ताकत और लोकप्रियता से वह हवा में उड़ने लगता है। उस नाते हिटलर या स्टालिन, पुतिन जैसे तानाशाह से डोनाल्ड ट्रंप का मिजाज,उसकी मनोदशा में फर्क इससे है कि भक्तों की असीम भक्ति भी उतनी ही दोषी है, जितनी नेता का गर्व में मूर्खतापूर्ण व्यवहार करना। भक्तों की ताकत पर ही ट्रंप ने अमेरिका को दो हिस्सों में बांटा। मेरे समर्थक और मेरे विरोधी! अमेरिका में गृहयुद्ध की नौबत बना दी। जबकि ध्यान रहे तानाशाह जोर-जबरदस्ती सबको गुलाम बनाता है, जबकि ह्यूबरिस सिंड्रोममें जीने वाला राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अपने जादू के अभिमान में जीता है और 'मैं' व 'वे' याकि समर्थक-विरोधी का विभाजन-टकराव बनवा कर देश को, देश की संस्थाओं को बरबाद करता है यह मानते हुए कि वह देश को ग्रेट बना रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अंहमन्यता, मूर्खतापूर्ण अभिमान में अमेरिका की और अपनी वह थू-थू कराई और कालिख पुतने के बाद भीबूझ, समझ नहीं पा रहे हैं, सोच नहीं सकते हैं कि उनसे गलती हुई और जाते-जाते माफी मांग लें। सोचें, ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया ने अमेरिका के महाबली राष्ट्रपति का एकाउंट बंद किया लेकिन वे अपने से चूक होने की बात मानने के बजाय उलटे मीडिया को कोस रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी के जिन सांसदों ने अमेरिकी संसद पर हमले की घटना पर व्यथित हो असहमति जताई उन पर गुस्सा हैं। ट्रंप अभी भी अपनी पार्टी के नेताओं को अपनी महानता, अपने समर्थकों की ताकत से अपना गुलाम बनाए हुए हैं। अमेरिका के लोकतंत्र, संसद को क्या नुकसान हुआ है इसका ट्रंप ने रत्ती भर पश्चाताप नहीं दर्शाया है।
तभी अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के ऊपर संसद पर हमले के लिए लोगों को भड़काने पर महाभियोग चलना इतिहासजन्य घटना है। वे पहले राष्ट्रपति हैं, जिनके खिलाफ इतिहास में दो बार महाभियोग दर्ज रहेगा। शायद भविष्य में चुनाव लड़ने पर पांबदी भी हो। एफबीआई उनके खिलाफ आपराधिक जांच कर मुकद्दमा चला सकती है तो उनकी दशा या तो निर्वासित-अछूत नेता वाली होगी या वे भक्तों को भड़का कर और कलंकित होंगे।
देश-दुनिया की निगाह में ट्रंप का जघन्य कलंक यह है कि वे इतिहास में ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हुए जिन्होंने चुनाव बाद सत्ता हस्तातंरण रोकने के लिए लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक में रख तमाम हथकंडे अपनाए। रिपब्लिन पार्टी के एक सांसद अनुसार- इतिहास में पहले कभी किसी राष्ट्रपति ने पद और संविधान से ऐसा धोखा नहीं किया जैसा ट्रंप ने किया। सो, ट्रंप राज मतलब अमेरिकी लोकतंत्र से धोखा, उस पर हमला और उनके राज का पर्याय प्रतीक फोटो संसद पर हमला करते भक्त।
सोचें, ट्रंप का कैसा कालिख पुता चेहरा?तभी दुनिया सोच रही है कि ट्रंप की बरबादी के लिए उनकी मूर्खताएं जिम्मेवार या उन्हें घमंडी-अभिमानी-मूर्ख-ह्यूबरिस सिंड्रोमबनवाने वाले दिवाने भक्तों की दिवानगी जिम्मेवार?
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