सम्पादकीय

चीन को दो टूक

Subhi
26 March 2022 4:08 AM GMT
चीन को दो टूक
x
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत में जिस साफगोई से भारत की चिंताओं को रखा, उससे भारत के कड़े रुख का पता चलता है।

Written by जनसत्ता: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत में जिस साफगोई से भारत की चिंताओं को रखा, उससे भारत के कड़े रुख का पता चलता है। भारत ने एक बार फिर दो टूक शब्दों में दोहराया है कि चीन को पूर्वी लद्दाख के विवादित इलाकों से अपने सैनिक हटाने ही होंगे, तभी रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में बढ़ा जा सकता है।

वांग यी गुरुवार को अचानक भारत की यात्रा पर पहुंचे थे। विदेश मंत्री जयशंकर के अलावा उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी लंबी बात की। वांग की यह यात्रा महत्त्वपूर्ण इसलिए है कि दोनों देशों के बीच दो साल से चल रहे गतिरोध के बीच चीन का कोई वरिष्ठ मंत्री पहली बार भारत आया है।

चौंकाने वाली बात यह भी कि चीनी विदेश मंत्री की यह यात्रा कोई पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि वे काबुल से अचानक दिल्ली पहुंचे। ऐसे में वांग का दिल्ली आना इस बात का भी संकेत माना जा सकता है कि शायद चीन फिलहाल विवादों को विराम देना चाहता हो। जो देश हाल तक भारत से सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं था, अब उसके विदेश मंत्री ने भारत आने की पहल कर बड़ा संदेश दिया है।

गौरतलब है कि जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था। इसमें भारत के चौबीस जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद चीन ने तेजी से वहां सैनिक जमा करने शुरू कर दिए और कुछ जगहों पर कब्जा पर भी जमा लिया। इस गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक पंद्रह दौर की बातचीत हो चुकी है। पर हैरानी की बात यह है कि वार्ता के हर दौर में चीन कुछ न कुछ ऐसा अड़ियल रुख दिखाता रहा है जिससे गतिरोध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा।

इसीलिए शुक्रवार को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी चीनी विदेश मंत्री से साफ कहा कि मौजूदा गतिरोध दोनों देशों के लिए अच्छा नहीं है। भारत की चिंता इसलिए भी जायज है कि चीन अक्सर ऐसी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है जिससे तनाव और बढ़ा है। पिछले साल अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सीमाई इलाकों में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की घटनाएं सामने आई थीं और तब भारत ने इस पर कड़ा विरोध जताया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर काफी समय से चीन के रुख को लेकर चिंता जताते रहे हैं। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि चीन समझौतों का पालन नहीं कर रहा है और इससे हालात बिगड़ रहे हैं। जाहिर है, अब तक चीन की मंशा थी ही नहीं संबंध सुधारने की। पर अब रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक राजनीति तेजी से बदल रही है। चीन भी भारत की मजबूत होती स्थिति से अनजान नहीं है।

हाल में जापान और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक की। इससे भी चीन में खलबली है। फिर, रूस-यूक्रेन युद्ध के मसले पर भारत ने तटस्थता की जो नीति अपनाई है, उससे अमेरिका सहित कई देश परेशान हैं। चीन भी इसे समझ रहा है। उसे लग रहा है कि गलवान गतिरोध कम कर भारत के प्रति नरम रुख दिखाने का यह बड़ा मौका है। वांग अगर भारत आए हैं और अपने समकक्ष के साथ वार्ता में उन्होंने भारत की चिंता और सरोकारों को समझा है, तो आने वाले दिनों में इसका असर दिखना भी चाहिए। तभी उनकी यात्रा को सार्थक माना जाएगा।


Next Story