सम्पादकीय

इस लहर को कुंद करें

Gulabi
25 Nov 2020 11:27 AM GMT
इस लहर को कुंद करें
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HC ने स्वतः संज्ञान लेते हुए चार राज्यों- दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम की सरकारों से पूछा की

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक तरफ निकट भविष्य में वैक्सीन हासिल होने की उम्मीद ने सबको थोड़ी राहत दी है, दूसरी तरफ देश के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों ने चिंता की गहरी लकीरें भी खींच दी हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए चार राज्यों- दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम की सरकारों से पूछा कि वे कोरोना पर काबू पाने के लिए क्या उपाय कर रही हैं। कोर्ट ने इन राज्यों से दो दिन में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा और आगाह किया कि समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो दिसंबर में हालात काफी बुरे हो सकते हैं।

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ लंबी चर्चा की। दरअसल महामारी से जुड़े आंकड़ों में कुछ हद तक ठहराव आते ही देश के कई हिस्सों में आम लोगों के बीच एक तरह की बेफिक्री दिखने लगी है। लंबे लॉकडाउन के बाद अनलॉक के कई चरणों में कामकाज के कुछ दायरों को धीरे-धीरे खोलने और जनजीवन को जहां तक हो सके सामान्य बनाने की आवश्यक प्रक्रिया ने इस बेफिक्री को और बढ़ा दिया।

चाहे व्रत-त्योहार मनाने का उत्साह हो या बाजारों में खरीदारी करने की जरूरत, आम लोग मास्क पहनने और आपस में सुरक्षित दूरी बनाए रखने जैसी सावधानियों को लेकर अधिकाधिक लापरवाह होते दिखे हैं। इन सबका मिला-जुला नतीजा यह हुआ कि राजधानी दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना के नए मामलों में अचानक ऐसी तेजी आई कि महामारी की दूसरी लहर शुरू होने की आशंका प्रबल हो गई। अमेरिका और यूरोप में ऐसा हो रहा है, भारत में भी हो सकता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आगाह किया कि कोरोना की यह दूसरी लहर सूनामी साबित हो सकती है।

यही वक्त है जब सरकारों को ज्यादा ठोस ढंग से लोगों में यह बात बिठा देनी चाहिए कि इस मोड़ पर उनकी जरा सी लापरवाही अब तक के सारे किए-कराए पर पानी फेर सकती है। यह बात पहले से कही जा रही है कि चूंकि यह वायरस जाड़ों में ही आया था इसलिए सर्दी का मौसम इसके ज्यादा अनुकूल साबित हो सकता है। भारत में अभी स्थितियां ऐसी हैं कि लोग अपनी आवाजाही कम करके खुद को सार्स कोव-2 के संपर्क में आने से बचा सकें। कम से कम जाड़े भर अपने परिवार को सहेज कर रखने का मन बनाएं। सामने खड़ी बीमारी की नई लहर को सामूहिक प्रयासों के जरिये कुंद किया जा सकता है।

जरूरत लोगों को यह समझाने की भी है कि वैक्सीन आ जाने की बात से उतावले न हों। प्रयोगशाला से निकलकर इसका मास प्रॉडक्शन शुरू हो जाए और व्यवहार में यह पर्याप्त प्रभावी साबित हो, तब भी पूरी आबादी तक इसे पहुंचाने में वक्त लगेगा और जब तक ऐसा नहीं होता तब तक कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म नहीं होगा। इसलिए जीवन शैली में जो बदलाव पिछले आठ महीनों में आ चुके हैं, उन्हें बनाए रखें। साथ में महीने-दो महीने उस खौफ को दोबारा दिल में जगह दें, जो इधर अचानक निकल गया है।

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