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अंतरराष्ट्रीय शोध एवं नीति इकाई आईपीबीईएस ने एक नई रिपोर्ट जारी की है
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
अंतरराष्ट्रीय शोध एवं नीति इकाई आईपीबीईएस ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जो कहती है कि विकसित और विकासशील देशों में रहने वाले अरबों लोग भोजन, ऊर्जा, सामग्री, दवा, मनोरंजन, प्रेरणा तथा मानव कल्याण से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण योगदानों के लिए करीब 50 हजार वन्यजीव प्रजातियों के इस्तेमाल से रोजाना फायदा उठाते हैं. बेतरतीब शिकार को 1341 स्तनधारी वन्यजीव प्रजातियों के लिए खतरा माना गया है.
एक अनुमान के मुताबिक 12 प्रतिशत जंगली पेड़ प्रजातियां कटान के खतरे के रूबरू हैं. बढ़ते हुए वैश्विक जैव विविधता संकट से पौधों और जानवरों की लाखों प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं. इंटरगवर्नमेंटल साइंस पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (आईपीबीईएस) की एक नई रिपोर्ट पौधों, जानवरों, कवक एवं शैवालों की जंगली प्रजातियों का अधिक सतत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अंतर्दृष्टि, विश्लेषण और उपकरण पेश करती है.
सतततापूर्ण इस्तेमाल का मतलब उस स्थिति से है जब मानव कल्याण में योगदान करते हुए जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र की क्रियाशीलता बनाए रखी जाए. वन्य जीव प्रजातियों के सतत उपयोग पर आईपीबीईएस की आकलन रिपोर्ट प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान से जुड़े हुए 85 प्रमुख विशेषज्ञों की 4 साल की मेहनत का नतीजा है. इसमें देसी और स्थानीय जानकारी रखने वाले लोगों तथा 200 योगदानकर्ता लेखकों का भी योगदान है और इसमें 6200 से ज्यादा स्रोतों का उपयोग किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार हर पांच में से एक व्यक्ति लगभग (1.6 अरब) अपने भोजन और आमदनी के लिए वन्यजीवों पर निर्भर करता है. वहीं, हर तीन में से एक व्यक्ति (2.4 अरब) खाना पकाने के लिए ईंधन के तौर पर लकड़ी पर निर्भर करते हैं. उत्खनन संबंधी प्रौद्योगिकियों में दिन-ब-दिन होती तरक्की वन्यजीव प्रजातियों के सतत इस्तेमाल के सामने संभावित प्रमुख चुनौतियों में शामिल है.

Rani Sahu
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