सम्पादकीय

ब्लॉग: केरल में सियासी उठापटक! राज्यपाल आरिफ खान से टकराव मोल न लें विजयन

Rani Sahu
22 Sep 2022 5:50 PM GMT
ब्लॉग: केरल में सियासी उठापटक! राज्यपाल आरिफ खान से टकराव मोल न लें विजयन
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By वेद प्रताप वैदिक
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को एक पत्रकार-परिषद बुलानी पड़ी. क्या आपने कभी सुना है कि किसी राज्यपाल ने कभी पत्रकार-परिषद आयोजित की है? राज्यपाल को पत्रकार-परिषद आयोजित करनी पड़ी है, इससे पता चल रहा है कि उस प्रदेश की सरकार कोई ऐसा काम कर रही है, जो आपत्तिजनक है और जिसका पता उस प्रदेश की जनता को चलना चाहिए.
केरल की सरकार कौन-कौन से काम करने पर अड़ी है? उसका पहला काम तो यही है कि वह विश्वविद्यालयों में अपने मनपसंद के कुलपति नियुक्त करने पर आमादा है. कई विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के उम्मीदवारों की योग्यता के मानदंडों में सबसे बड़ा मानदंड यह माना जाता है कि वह सत्तारूढ़ पार्टी माकपा के कितना नजदीक है. इसके अलावा पार्टी-कॉमरेडों को मंत्रियों और अफसरों का पीए या ओएसडी आदि बनाकर नियुक्ति दे दी जाती है ताकि दो साल की नौकरी के बाद वे जीवन भर पेंशन पाते रहें.
पार्टी-कॉमरेडों को अपराधों की सजा न मिले, इसलिए उन्हें सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर भी बिठाया जा रहा है. जैसे मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने के.के. रागेश को अपने निजी स्टाफ में नियुक्ति दे दी है ताकि पुलिस उन्हें गिरफ्तार न कर सके. इस व्यक्ति ने 2019 में कन्नूर में आयोजित हिस्ट्री कांग्रेस के अधिवेशन में राज्यपाल आरिफ खान के विरुद्ध आपत्तिजनक व्यवहार किया था.
राज्यपाल को शक्तिहीन बनाने के लिए केरल विधानसभा में दो विधेयक भी पारित किए गए हैं. एक तो कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल से छीना गया है और दूसरा लोकपाल के भ्रष्टाचार-विरोधी अधिकारों को कमजोर किया गया है. मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के खिलाफ अभियान चला रखा है. क्या वे नहीं जानते कि राज्यपाल के हस्ताक्षर बिना दोनों विधेयक कानून नहीं बन सकते?
Rani Sahu

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