सम्पादकीय

ब्लॉग: आईएनएस विक्रांत- समुद्र में भारत का बजता डंका, हिंद महासागर में बाहरी राष्ट्रों की दादागीरी होगी खत्म

Rani Sahu
5 Sep 2022 3:08 PM GMT
ब्लॉग: आईएनएस विक्रांत- समुद्र में भारत का बजता डंका, हिंद महासागर में बाहरी राष्ट्रों की दादागीरी होगी खत्म
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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
भारत की नौसेना ने आईएनएस विक्रांत नामक विमानवाहक पोत को समुद्र में उतारकर सारी दुनिया में भारत की शक्ति का डंका बजा दिया है. भारत के पास पहले भी एक विमानवाहक पोत था लेकिन वह ब्रिटेन से लिया हुआ था. यह विमानवाहक पोत खुद भारत का अपना बनाया हुआ है. इस समय ऐसे पोतों का निर्माण गिनती के आधा दर्जन देश ही कर पाते हैं.
भारत के इस विक्रांत ने उसे अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी की तरह महाशक्ति राष्ट्रों की श्रेणी में ला खड़ा किया है. यह उपलब्धि उतनी ही बड़ी है, जितनी अटलबिहारी वाजपेयी के जमाने में हुए परमाणु विस्फोट की थी लेकिन इसमें और उसमें इतना फर्क है कि पोखरण के उस विस्फोट के समय लगभग सभी परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बुरी तरह से बौखला गए थे और पाकिस्तान भी भारत की नकल पर उतारू हो गया था लेकिन अब न तो कोई महाशक्ति बौखलाई है और न ही पाकिस्तान इस स्थिति में है कि वह विक्रांत की तरह अपना कोई विमानवाहक पोत अगले कई दशकों में खड़ा कर सके.
भारत को मिले इस गौरव के लिए हमारे इंजीनियरों, विशेषज्ञों, फौजियों, सरकारी और सैकड़ों निजी कंपनियों को श्रेय है लेकिन आश्चर्य है कि इसका श्रेय लेने के लिए भाजपा ओर कांग्रेस के नेता आपस में खींचातानी कर रहे हैं. यह किसी व्यक्ति-विशेष की नहीं, भारत की उपलब्धि है.
इस पोत के निर्माण के लिए हमारे सैकड़ों अफसरों ने ब्रिटेन जाकर प्रशिक्षण प्राप्त किया है. यह कई दशकों के प्रयत्न से बनकर तैयार हुआ है. इसके निर्माण के दौरान 40,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है. इस पोत पर 30 विमान तैनात किए जा सकते हैं. इसमें 1600 कर्मचारी होंगे.
यह ठीक है कि अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों के पास इससे भी काफी बड़े विमानवाहक पोत हैं लेकिन भारत में तो अभी इसका शुभारंभ हुआ है. इससे अन्य फौजी उपकरण भारत में बनाने का जो उत्साह पैदा होगा, उसकी कल्पना हम कर सकते हैं. विक्रांत पोत हमारे राष्ट्रीय आत्मविश्वास को सुदृढ़ बनाने में विशेष योगदान करेगा. भारत की जल-सीमाओं को तो यह पोत सुरक्षित करेगा ही, अब हिंद महासागर में बाहरी राष्ट्रों की दादागीरी को भी नियंत्रित करने में इसका योगदान होगा.
Rani Sahu

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