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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के लगभग नौ माह बाद पहली बार पिछले हफ्ते भारत के विदेश मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय टीम अफगानिस्तान पहुंची। टीम ने वहां भारत द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं और मानवीय सहायता कार्यक्रमों का जायजा लिया, साथ ही तालिबान सरकार के प्रतिनिधियों के साथ सरकार बनने के बाद सीधी बातचीत की। जाहिर है भारत के तालिबान सरकार के साथ इस सीधे संपर्क से अपने निहित स्वार्थों को लेकर पाकिस्तान और चीन चौकन्ने हो गए हैं। अफगानिस्तान के साथ पुराने प्रगाढ़ सांस्कृतिक, सामाजिक रिश्तों के साथ ही सामरिक रिश्ते हमारे राष्ट्रीय हितों से जुड़े हैं। निश्चित तौर पर अफगानिस्तान के साथ भारत के खास रिश्ते रहे हैं। तालिबान सरकार वाले अफगानिस्तान के साथ धीरे-धीरे दोबारा रिश्ते बहाल करना जरूरी तो है, लेकिन ऐसा करते वक्त हमें यह ध्यान रखना होगा कि तालिबान से जुड़े रहे आतंकी तत्व भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों से दूर रहें, साथ ही अपने देश के लोगों के साथ, विशेष तौर पर महिलाओं के साथ मानवाधिकारों को लेकर उनका क्या रवैया रहता है। इसीलिए लगता है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने का उसी भावना से जबाव देते हुए भी भारत तालिबान सरकार से सीधे संपर्क साधने के साथ ही अभी वहां की सरकार को मान्यता देने के बारे में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता है।
