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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की ताजा रपट के अनुसार भारत अब ब्रिटेन से बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. इस वर्ष ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की रही, जबकि भारत की 854.7 डॉलर की हो गई. यानी ब्रिटेन से हम लगभग 38 अरब डॉलर आगे निकल गए. लेकिन हम यह न भूलें कि ब्रिटेन की आबादी मुश्किल से 7 करोड़ है और भारत की आबादी उससे 20 गुना ज्यादा है यानी करीब 140 करोड़! हमारी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन से बड़ी जरूर हो गई है और इसका हमें गर्व भी होना चाहिए लेकिन भारत के आम आदमी को क्या इतनी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जितनी ब्रिटिश लोगों को हैं.
यह ठीक है कि हमारे देश के कुछ मुट्ठीभर लोग ऐसे हैं, जो ब्रिटेन के औसत अमीरों से भी ज्यादा अमीर हैं लेकिन 100 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की हालत कैसी है? क्या उनको शिक्षा, चिकित्सा, भोजन, निवास और रोजगार आदि पर्याप्त मात्रा में हम दे पाते हैं?
यह ठीक है कि ब्रिटेन और यूरोप के कई राष्ट्र एशिया और अफ्रीका के कई देशों का बरसों खून चूसते रहे और अपने उपनिवेशों के दम पर मालामाल हो गए लेकिन दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जो 70-75 साल पहले तक भारत की तुलना में बहुत पिछड़े थे परंतु अब संपन्नता के मामले में भारत से बहुत आगे हैं जैसे चीन, सिंगापुर, मलेशिया, द.कोरिया आदि. ये अपने दम पर आगे बढ़े हैं.
ये ठीक है कि इन देशों में भारत की तरह खुली लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं पनप पाई लेकिन क्या यह कम बड़ी बात है कि वहां लोग भूखे नहीं मरते, दवा के अभाव में दम नहीं तोड़ते, प्रायः सभी बच्चे स्कूल जाते हैं. इन देशों में भारत की तरह मुट्ठीभर बेहद अमीर लोग भी रहते हैं लेकिन गरीबी और अमीरी की जैसी खाई भारत में खिंची हुई है, वैसी वहां नहीं है.
हम भारत को कई मामलों में दुनिया के ज्यादातर देशों से आगे गिना सकते हैं जैसे इंटरनेट के उपभोक्ताओं की संख्या, नए काम-धंधे शुरू करने में, डिजिटल लेन-देन में, परमाणु शस्त्रों और विमानवाहक पोत के निर्माण आदि में भारत तीसरी दुनिया के देशों में चीन को छोड़ दें तो सबसे आगे है.
भारत यों तो अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन से आगे निकल गया है लेकिन भारत पर आज भी ब्रिटिश संस्कृति हावी है. उससे पिंड छुड़ानेवाला गांधी और लोहिया के बाद कोई नेता देश में अब तक हुआ नहीं. यदि भारत को कोई सांस्कृतिक व बौद्धिक आजादी दिला सके तो भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन से 20 गुना बड़ी हो सकती है.
Rani Sahu
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