- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- ब्लॉग: रेपो रेट बढ़ने...
x
रेपो रेट बढ़ने से महंगाई से त्रस्त आम आदमी पर पड़ेगी दोहरी मार
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
महंगाई पर काबू पाने की कोशिशों के तहत रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा दिया है। विडंबना यह है कि महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी पर ही इसकी भी मार पड़ेगी, क्योंकि इससे होम लोन, आटो लोन और पर्सनल लोन की किस्तें बढ़ जाएंगी।
महंगाई के इस दौर में कम ही ऐसे खुशनसीब लोग होंगे जिनका जीवन उक्त कर्ज लिए बिना चल रहा होगा, इसलिए कहा जा सकता है कि रेपो रेट बढ़ने का असर अधिकांश लोगों पर पड़ेगा। हालांकि रेपो रेट होता क्या है, यह शायद कई लोगों को पता न हो।
दरअसल बैंक हमें जिस तरह कर्ज देकर ब्याज वसूलते हैं, उसी तरह बैंकों को भी अपने दैनंदिन कामकाज के लिए अच्छी-खासी राशि की जरूरत पड़ती है और वे रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक उनसे जिस दर पर ब्याज वसूलता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
जाहिर है कि बैंकों को जब कम ब्याज दर पर कर्ज हासिल होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वे अपने ग्राहकों को भी सस्ता कर्ज दे सकते हैं, लेकिन जब बैंको के लिए ही कर्ज लेना महंगा हो जाएगा तो वे ग्राहकों को भी महंगी दर पर ही कर्ज देंगे।
अब सवाल यह है कि रिजर्व बैंक को रेपो रेट बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ती है? दरअसल रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में रुपए के प्रवाह को कम करने की कोशिश करता है, क्योंकि जब ग्राहकों के लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा तो अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो कम होगा, जिससे मांग में कमी आएगी और महंगाई घटेगी। लेकिन महंगाई बढ़े या फिर लोन की किस्तें, दोनों की मार आम आदमी पर ही पड़ती है।
निश्चित रूप से महंगाई सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है। अमेरिका में महंगाई दर 1980 के बाद से सबसे ज्यादा है और जून में यह 9.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। हमारे देश में भी जून में रिटेल महंगाई 7.01 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल यह इसी अवधि में 6.26 प्रतिशत थी।
महंगाई बढ़ने के कारण ही रिजर्व बैंक इसके पहले भी इसी साल मई में रेपो रेट 0.40 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत बढ़ा चुका है। अब एक बार फिर इसे 0.50 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। अर्थात पिछले चार माह के भीतर ही रेपो रेट को 1.40 प्रतिशत बढ़ाया जा चुका है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि लोन लेने वालों के ऊपर क्या बीत रही होगी।
निश्चित रूप से महंगाई को काबू में लाने की जरूरत है लेकिन इसके लिए सरकार को दूसरे तरीके खोजने होंगे, एक कंधे का बोझ दूसरे कंधे पर डाल देने से भार कम नहीं हो जाता।
Rani Sahu
Next Story