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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल ही में देशभर में जो छापेमारी की है, उसकी दरअसल लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. काफी पहले ही राज्यसभा में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मामला उठ चुका है और इस संबंध में सरकार कई बार कार्रवाई भी कर चुकी है लेकिन बच्चों का यौन उत्पीड़न करने वाले मानो सरकार के साथ तू डाल-डाल, मैं पात-पात का खेल खेल रहे हैं.
सीबीआई की हालिया छापेमारी से पता चलता है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के सूत्रधारों का नेटवर्क कितना व्यापक है और तकनीक के दुरुपयोग के बल पर वे किस तरह कानून प्रवर्तक एजेंसियों की नजरों से बचे रहने की कोशिश करते हैं. इस मामले में सीबीआई के वर्तमान ऑपरेशन को 'मेघचक्र' नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस अपराध से जुड़े लोग क्लाउड स्टोरेज का इस्तेमाल कर रहे हैं.
दरअसल न्यूजीलैंड में पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले से जुड़े कुछ लोगों को पकड़ा था, जिनसे पता चला कि इसकी जड़ें भारत में हैं. इंटरपोल के मार्फत न्यूजीलैंड पुलिस से ठोस जानकारी मिलने के बाद सीबीआई ने शनिवार को आपरेशन 'मेघचक्र' चलाकर 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 59 स्थानों पर छापे मारकर तलाशी ली. इस दौरान 50 लोगों के मोबाइल और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच की गई, जिसमें कई में बाल यौन शोषण के प्रसार करने के सबूत मिले हैं.
पिछले साल भी सीबीआई ने ऑपरेशन 'कार्बन' के तहत ऑनलाइन बाल यौन शोषण के खिलाफ कार्रवाई की थी. दरअसल, देश में बाल यौन शोषण के मामले चिंताजनक ढंग से बढ़ रहे हैं. लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में बाल यौन शोषण के मामलों में 17 गुना वृद्धि हुई है. वर्ष 2018 में बाल यौन शोषण के 44 मामले दर्ज किए गए थे जो 2020 में बढ़कर 738 पर पहुंच गए.
इसीलिए सीबीआई ऑनलाइन बाल यौन शोषण के खिलाफ ग्लोबल ऑपरेशन के अंतर्गत ऑपरेशन मेघचक्र चला रही है. इसके तहत ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामलों के अंतरराष्ट्रीय लिंक की पड़ताल की जाती है और इंटरपोल के माध्यम से संबंधित देश को उसकी जानकारी भेजी जाती है.
साथ ही बाल यौन शोषण रोकने के लिए इंटरपोल की मदद से सभी देशों की जांच एजेंसियों की बैठक भी आयोजित की जाती है ताकि उनके बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो और आरोपियों के खिलाफ शीघ्र कठोर कार्रवाई की जा सके.
देश में बाल यौन उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में 3522 चाइल्ड पोर्नोग्राफी वेबसाइटों को ब्लॉक किया था. 2018 में भी भारत सरकार ने करीब 850 पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगाया और बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफी के व्यावसायिक इस्तेमाल के मामले में पहले तय तीन साल की सजा को भी बढ़ाकर पांच साल से लेकर अधिकतम सात साल तक कर दिया गया. लेकिन सरकार के साथ ही नागरिकों का भी दायित्व है कि वे जागरूक हों और चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए सरकार की हरसंभव मदद करें. तभी समाज से इस नासूर को खत्म किया जा सकता है.

Rani Sahu
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