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बड़ा सबक दे गई साइरस मिस्त्री की सड़क दुर्घटना में असामयिक मौत, यातायात नियम का सख्ती से पालन जरूरी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
प्रसिद्ध उद्योगपति साइरस मिस्त्री की सड़क दुर्घटना में असामयिक मौत स्तब्ध कर देनेवाली है, मगर वह एक बड़ा सबक दे गई है. रविवार को पालघर में मिस्त्री की कार एक डिवाइडर से टकरा गई. इस हादसे में साइरस और उनके मित्र जहांगीर पंडोल की मृत्यु हो गई तथा कार चला रहीं प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ अनाहिता पंडोल एवं उनके पति डारायस गंभीर रूप से घायल हो गए.
पुलिस की अब तक की जांच से यह पता चला है कि साइरस तथा उनके मित्र जहांगीर पीछे बैठे थे और सीट बेल्ट नहीं लगाई थी जबकि सामने बैठीं अनाहिता एवं उनके पति ने सीट बेल्ट बांध रखी थी. भारत में वाहन चलाना किसी जोखिम से कम नहीं है. वाहन चालकों को अपनी सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है. ये दिशानिर्देश हादसे टालने या दुर्घटना होने पर प्राणों की रक्षा के लिए गहन अध्ययनों के बाद निर्धारित किए गए हैं.
पुलिस के मुताबिक मिस्त्री की कार को डॉ. अनाहिता 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चला रही थीं. ऐसे में कार पर नियंत्रण रखना कोई आसान कार्य नहीं रहता. पुलिस ने एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से कहा है कि एक वाहन को ओवरटेक करने के प्रयास में गाड़ी पर से चालक का नियंत्रण खत्म हो गया और भीषण हादसा हुआ. इसके बावजूद सामने बैठी अनाहिता तथा उनके पति बच गए क्योंकि दोनों ने सीट बेल्ट पहन रखी थी जो उनके लिए प्राणरक्षक साबित हुई.
साइरस तथा जहांगीर भी अगर सीट बेल्ट लगाए हुए रहते तो शायद बच जाते. हाल ही में गत वर्ष के सड़क हादसों के आंकड़े राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो ने जारी किए हैं. वर्ष 2021 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में 1.55 लाख लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. अनुमान है कि मौत के लिए यातायात नियमों का उल्लंघन सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. अंधाधुंध रफ्तार, सीट बेल्ट न बांधना, हेलमेट न पहनना, बेवजह ओवरटेक करना, वाहन पर स्टंटबाजी आदि वे कारण हैं जो वाहन चालकों की जान ले लेते हैं.
ऐसा नहीं है कि लोग यातायात नियमों को तोड़ने के दुष्परिणामों से वाकिफ नहीं हैं मगर वे सबक सीखने को तैयार नहीं हैं. कई तो शौक के कारण वाहन बेहद तेज रफ्तार से चलाते हैं. यह एक तरह का फैशन ट्रेंड हो गया है. यह सभी को पता है कि दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट पहनना जरूरी है. चार पहिया वाहन के यात्रियों और चालकों को भी जानकारी रहती है कि सीट बेल्ट बांधना जरूरी होता है. दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनने के प्रति उदासीन रहते हैं.
हेलमेट न पहनने के उनके पास लाख बहाने होते हैं. उनका सबसे बड़ा तर्क यह रहता है कि हेलमेट पहनने से उन्हें गर्दन में दर्द होता है. पीछे के वाहनों की आवाज सुनाई नहीं देती तथा सामने चल रहे वाहन ठीक ढंग से दिखाई नहीं देते. चारपहिया वाहन चालकों को यह गलतफहमी रहती है कि पीछे बैठे लोगों के लिए सीट बेल्ट लगाना आवश्यक नहीं है. अगर वाहन दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का वर्गीकरण किया जाए तो पता चलेगा कि ज्यादातर मौतें सीट बेल्ट या हेलमेट न पहनने, तेज रफ्तार से वाहन चलाने, बिना पर्याप्त नींद के ड्राइविंग तथा ओवरटेक करने के कारण होती हैं.
सुचारु यातायात के लिए सड़कें कितनी भी चौड़ी तथा अच्छी क्यों न बना दी जाएं, जब तक यातायात नियमों का पालन लोग नहीं करेंगे, तब तक बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं होती रहेंगी. देश में पिछले कुछ वर्षों में गुणवत्तापूर्ण सड़कें बनी हैं. चार लेन, छह लेन, आठ लेन की सड़कें बनी हैं मगर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम नहीं हुई है क्योंकि नियमों की अनदेखी की जाती है.
देश में यातायात संस्कृति विकसित करने की सख्त जरूरत है. लोग वाहन चलाना एक जरूरतभर समझते हैं. लेकिन अगर उन्हें यह एहसास करवा दिया जाए कि घर से वाहन लेकर निकलने के बाद सुरक्षित घर लौटना भी बेहद जरूरी है, तब शायद सड़क हादसों की संख्या कम हो. यातायात नियमों का पालन किया गया होता तो शायद पूर्व विधायक विनायक मेटे तथा उद्योगपति साइरस मिस्त्री आज हमारे बीच होते.

Rani Sahu
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