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- काली कमाई बेनकाब!
दिव्याहिमाचल.
ये खुलासे हमारी कर-प्रणाली, कर-कानूनों और समूची अर्थव्यवस्था की विसंगतियों और दरारों के उदाहरण हैं। करीब 1.20 करोड़ दस्तावेजों को खंगाला गया है। उनकी विश्वसनीयता भी तय की गई है कि किस स्रोत ने दस्तावेज लीक किए हैं। देश के कुलीन, संभ्रान्त और अति विशिष्ट चेहरे बेनकाब हो रहे थे, लिहाजा दस्तावेजों की प्रामाणिकता जरूरी थी। खोजी पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय टीम की पेशेवर निष्ठा, ईमानदारी और उनके साहस को ढेरों बार सलाम करते हैं, क्योंकि कर-चोर और उनकी काली कमाई एक बार फिर बेनकाब हुई है। भारत की तरफ से 'इंडियन एक्सप्रेस' के खोजी पत्रकारों ने साबित कर दिया है कि पत्रकारिता अब भी जि़ंदा है। इस बार के रहस्योद्घाटन का नामकरण है-'पैंडोरा पेपर्स।' बीते 5 सालों के दौरान यह तीसरा खुलासा है। इससे पहले 'पनामा पेपर्स' और 'पैराडाइज पेपर्स' के जरिए भी कई नामी चेहरों से नकाब हटाए गए थे और उनके काले चेहरे सार्वजनिक हो सके थे।