सम्पादकीय

कोरोना के बीच ब्लैक फंगस

Gulabi
22 May 2021 1:49 PM GMT
कोरोना के बीच ब्लैक फंगस
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ब्लैक फंगस

कोरोना की दूसरी लहर से अभी हम पार भी नहीं पा सके हैं कि ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के रूप में एक नई चुनौती अपने घातक रूप मे सामने आ गई। हालांकि यह कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन नए हालात में यह इतनी तेजी से और इतने बड़े पैमाने पर फैली कि इसे काबू करना कठिन हो गया। महाराष्ट्र के कुछ जिलों से शुरुआत हुई, और देखते-देखते कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार, हरियाणा जैसे तमाम प्रांतों से इसके नए-नए मामले सामने आने लगे। चूंकि इसमें मृत्यु दर अधिक है, इसलिए भी इसे लेकर लोगों में खौफ ज्यादा है। शुक्रवार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश के लिए गंभीर चुनौती बताया। इससे पहले गुरुवार को ही केंद्र सरकार राज्यों से कह चुकी थी कि इसे महामारी घोषित करने में देर न करें। हालात की गंभीरता को देखते हुए राज्यों ने केंद्र की इस सलाह पर अमल भी शुरू कर दिया। दस राज्यों में ब्लैक फंगस महामारी घोषित की जा चुकी है। इससे फायदा यह होता है कि संबंधित राज्य में इसके जितने भी कन्फर्म या संदिग्ध मामले आते हैं उनके बारे में पूरी सूचना नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग और संबंधित एकीकृत कमान तक पहुंचाई जाती रहती है।

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दूसरे शब्दों में, इससे निपटने के प्रयासों को समायोजित और समन्वित करना आसान हो जाता है। यह नई महामारी कोरोना की कोख से निकली हुई इसलिए भी लग रही है कि आज की तारीख में इसके तकरीबन सभी मामले कोरोना का इलाज करा रहे या इससे उबर चुके लोगों में ही दिख रहे हैं। हालांकि सचाई यह है कि इसका कोरोना से सीधे तौर पर कोई नाता नहीं है। चूंकि ब्लैक फंगस का शिकार होने में इम्यून सिस्टम का कमजोर होना अक्सर निर्णायक भूमिका निभाता है और कोरोना से संक्रमित लोगों की प्रतिरोधक शक्ति कई कारणों से कमजोर पड़ चुकी होती है, इसलिए वे इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
मगर पूरे देश में कोरोना और ब्लैक फंगस के प्रसार का जो खतरा हमारे सामने है, उसके मद्देनजर अच्छा यही होगा कि कम से कम आम लोगों के स्तर पर इन दोनों चुनौतियों को अलग-अलग न माना जाए। दोनों में ही समानता यह है कि इसके उपचार की कठिन प्रक्रिया में पड़ने से कहीं बेहतर और आसान है इससे बचाव के उपाय करना और उसे सतर्कता से जारी रखना। दूरी बरतते हुए और मास्क, सैनिटाइजर वगैरह का समझदारी से इस्तेमाल करते हुए जहां लोग कोरोना से बचे रह सकते हैं, वहीं शुगर लेवल को कंट्रोल रखने, साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देने और शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले उपाय करते रहने जैसी सावधानियों की बदौलत ब्लैक फंगस को भी दूर रख सकते हैं। यह समझना जरूरी है कि इन दोनों ही चुनौतियों से निपटने में सबसे महत्वपूर्ण और कारगर भूमिका सामान्य लोगों की ही रहने वाली है।
क्रेडिट बाय NBT
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