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बीजेपी क्यों बना रही है प्रणब मुखर्जी के नाम का मुद्दा
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे बंगाल की सियासत में एक से बढ़ कर एक मुद्दे भी सामने आ रहे हैं. बीजेपी बंगाल (BJP Bengal) की बेटी यानि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को जवाब देने के लिए अब बंगाल के 'बेटे' का मुद्दा लेकर सामने आई है. दरअसल अभी हाल ही में TMC छोड़कर बीजेपी में आए पूर्व राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने ऐसा बयान दिया है जिससे बंगाल में एक नए मुद्दे ने जन्म ले लिया है.
दिनेश त्रिवेदी ने प्रणब मुखर्जी को बंगाल का बेटा बताते हुए कहा कि ममता बनर्जी कभी नहीं चाहती थीं कि प्रणब मुखर्जी कभी राष्ट्रपति बनें. लेकिन जब शुभेंदु अधिकारी के साथ मिलकर हम सांसदों ने कहा कि हम प्रणब मुखर्जी को ही वोट देंगे तो उन्हें लगा कि इससे पार्टी टूट जाएगी इसीलिए ममता बनर्जी प्रणब मुखर्जी को वोट देने को राजी हुईं थीं.
बीजेपी क्यों बना रही है प्रणब मुखर्जी के नाम का मुद्दा
बंगाल के वीरभूमि जिले में पैदा हुए प्रणब मुखर्जी एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं, इसके साथ ही बंगाल के लोगों में प्रणब मुखर्जी का सम्मान बहुत ज्यादा है. बंगाल के लोग उन्हें प्यार से 'प्रणब दा' बुलाते थे. उनका 31 अगस्त 2020 को 84 साल की उम्र में निधन हो गया. बीजेपी जानती है कि बंगाली लोगों का सेंटिमेंट प्रणब मुखर्जी के साथ जुड़ा हुआ है और अगर यह मुद्दा काम कर गया तो उन लोगों का वोट जो प्रणब मुखर्जी से प्रभावित थे बीजेपी को मिल जाएगा. इसी के साथ प्रणब मुखर्जी बंगाल के ब्राह्मण परिवार से थे और इस जाति की आबादी बंगाल में अच्छी खासी है इसलिए बीजेपी उसे साधने के लिए इस मुद्दे को उठा रही है.
क्या हुआ था प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुनाव में
2012 में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ था, इसमे प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के राष्ट्रपति उम्मीदवार थे. हुआ ये था कि ममता बनर्जी शुरू से ही प्रणब मुखर्जी के खिलाफ गोलबंदी कर रहीं थीं, वह चाहती थीं की राष्ट्रपति का उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम या फिर सोमनाथ चटर्जी को बनाया जाए लेकिन कांग्रेस प्रणब मुखर्जी को चाहती थी. हालांकि चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले ममता बनर्जी ने अपना फैसला बदल लिया और कहा कि हम प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने को तैयार हैं. उस वक्त किसी को यह नहीं पता था कि ममता बनर्जी कैसे मान गईं, हालांकि अब जब दिनेश त्रिवेदी ने इस राज़ से पर्दा उठाया तो राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है.
प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक इतिहास
11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूमि में पैदा हुए प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक सफर 1969 में कांग्रेस की ओर से बतौर राज्यसभा सांसद के तौर पर हुआ. इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में उन्हें फिर से राज्यसभा के लिए चुना गया. प्रणब मुखर्जी 1973 में औद्योगिक विकास विभाग में केंद्रीय उप-मंत्री के रूप में नियुक्त किये गए. साल 1997 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया. हालांकि जीवन में पहली बार प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा का चुनाव पश्चिम बंगाल के जंगीपुर से लड़ा और जीत दर्ज की.
अपने प्रतिद्वंद्वी को 70% वोटों से हराकर बने थे राष्ट्रपति
2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी ने अपने विरोधी पीए संगमा को तकरीबन 70% वोटों से हराया था. प्रणब मुखर्जी को इस चुनाव में 7,13,763 वोट मिले थे, जबकि संगमा को 3,13,987 वोट मिले थे. प्रणब मुखर्जी देश के 13 वें राष्ट्रपति बने थे. इसके साथ ही वह पहले बंगाली थे जो देश के राष्ट्रपति बने थे.
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