सम्पादकीय

बीजेपी का छोड़ा साथ कांग्रेस से मिलाया हाथ, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट का यह कदम बदल देगा असम का चुनावी समीकरण?

Gulabi
1 March 2021 12:45 PM GMT
बीजेपी का छोड़ा साथ कांग्रेस से मिलाया हाथ, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट का यह कदम बदल देगा असम का चुनावी समीकरण?
x
असम में इस बार का विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Election 2021) बेहद दिलचस्प होने वाला है

असम में इस बार का विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Election 2021) बेहद दिलचस्प होने वाला है, जहां CAA-NRC जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष बीजेपी को घेरने में जुट गई है. वहीं बीजेपी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और उनके विकास के मॉडल को लेकर असम विधानसभा में कूद गई है. हालांकि असम के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा रोल निभाते हैं गठबंधन, इसलिए यह बहुत गंभीर मुद्दा होता है कि कौन सी पार्टी किसके साथ गंठबंधन में है. बीजेपी के साथ असम में उसकी सहयोगी पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने शनिवार को बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को खत्म कर दिया और जाकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया.


BPF के अध्यक्ष हग्रा मोहिलरी ने कहा कि 'अब हम बीजेपी के साथ गठबंधन में नहीं रह सकते हैं. राज्य में एकता, शांति और स्थायी सरकार देने के लिए हमने कांग्रेस का साथ देने का फैसला किया है.' असम में कुल 126 विधानसभा सीटें हैं उसमें से BPF के पास 12 सीट है. अब सवाल उठता है कि बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट का ऐसे कांग्रेस के साथ जाने से बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचेगा. क्या इससे आने वाले विधानसभा में बीजेपी को कुछ फर्क पड़ेगा.

हेमंत बिस्व सरमा ने पहले ही कह दिया था कि अलग हो जाएगा BPF
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट और बीजेपी में दूरियां बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल चुनाव के बाद ही हो गया था. हालांकि असम में बीजेपी के बड़े नेता हेमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) पहले से ही कहते आए हैं कि BPF हमारे साथ ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाएगा और अलग हो जाएगा. देखिए अब हुआ भी वही BPF ने बीजेपी के साथ रिश्ते तोड़ लिया और कांग्रेस के साथ चली गई. अगर देखा जाए तो बीजेपी को पहले से ही पता था कि BPF उसके साथ चुनाव नहीं लड़ेगी, इसलिए बीजेपी की रणनीति पहले से ही असम चुनाव को लेकर साफ रही होगी और उसने इस परेशानी से निपटने का भी कोई न कोई रास्ता निकाल लिया होगा.

बोडोलैंड कांउसिल चुनाव का गणित समझिए
असम में चार जिले हैं कोकराझाड़, उदलगुड़ी, चिरांग और बाक्सा इन्हें ही मिलाकर जो इलाका बनता है उसे बोडो लैंड कहते हैं. दरअसल यहां एक चुनाव होता है बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल चुनाव (BTC)जिस पर BPF का पिछले 17 सालों से कब्जा था. हालांकि इस बार बीजेपी और यूपीपीएल ने एक साथ मिलकर यहां BTC पर अपने जीत का परचम लहरा दिया. बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस बात से नाराज थी और बीजेपी से अलग होने के रास्ते तलाश रही थी. 2020 में हुए BTC के चुनावों में BPF को 17 सीटें मिली UPPL को 12 और बीजेपी को 9 सीटें मिलीं. वहीं गण शक्ति पार्टी को एक सीट मिली. बीजेपी ने यहां UPPL और गण शक्ति के साथ मिलकर काउंसिल पर स्थापित हो गई.

बोडोलैंड में टूटी BPF
बोडोलैंड में जिस तरह के नतीजे सामने आए उससे पता चलता है कि वहां अब BPF कमजोर हो रही है. साथ ही 2020 में बीजेपी ने जिस मुखरता से इंडिया बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के दो धड़ो को एक साथ किया. हालांकि इसमें जिस आदमी का सबसे बड़ा नाम था वह थे प्रमोद बोरा जो UPPL के मुखिया हैं. इनका कद धीरे-धीरे बोडोलैंड के इलाकों में बढ़ता जा रहा है. बीजेपी भी अब बोडोलैंड के इलाके में UPPL के साथ ही नजर आएगी.

कांग्रेस के साथ जाकर कितना पहुंचाएगी नुकसान
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाती है यह तो अभी पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता है. हालांकि कुछ हद तक बीजेपी को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है, लेकिन प्रमोद बोरा का फेमस चेहरा कहीं न कहीं बीजेपी के इस नुकसान को भी भर देगा. कांग्रेस जिस तरह से CAA-NRC को मुद्दा बनाकर असम में चुनाव लड़ रही है उसमें बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट किस तरह से और कितना कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगा ये तो देखने वाली बात होगी.

कांग्रेस क्यों उठा रही है CAA का मुद्दा
दरअसल असम में 1991 में असमी भाषा बोलने वाले की तादाद 58 फीसदी थी जो साल 2011 में आते-आते घटकर 48 फीसदी रह गई. वहीं बांग्ला बोलने वालों की संख्या 22 फीसदी से बढ़कर 30 हो गई. असम में बांग्लादेश से काफी संख्या में प्रवासी आए हैं अगर इन सभी को नागरिकता मिल गई तो असम के जो मूल निवासी हैं वो अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक हो जाएंगे. साथ ही CAA के अंतर्गत मुसलमानों को नागरिकता नहीं मिलेगी इसलिए मुसलमान भी इस कानून के विरोध में हैं. कांग्रेस इसी का फायदा असम के विधानसभा चुनाओं में उठाना चाहती है.

तीन चरणों में होंगे चुनाव
असम के 126 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च से तीन चरणों में चुनाव होंगे. वोटों की गिनता 2 मई को होगी. असम का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो जाएगा. जनता इस बार के विधानसभा चुनावों के बाद असम की गद्दी पर किसको बैठाती है यह तो 2 मई के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में टक्कर कड़ी होने वाली है.


Next Story