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भाजपा अपने नए रूप, शृंगार और संभावना में हर कामयाब सिक्के को उछालना जानती है
भाजपा अपने नए रूप, शृंगार और संभावना में हर कामयाब सिक्के को उछालना जानती है और हर सफल नक्षत्र में खुद को आजमाने का निर्णय करने में आगे भी रहना चाहती है। नई भाजपा में अंतर यह भी है कि यह पार्टी अब योद्धाओं और हर सूरत में जीतने वालों के गले में अपनी वरमाला डालने से परहेज नहीं करती। इसी परिप्रेक्ष्य में दो निर्दलीय विधायक अब भाजपा के आभामंडल में समाहित हो गए। देहरा गोपीपुर के विधायक होशियार सिंह और जोगिंद्र नगर के प्रकाश राणा ठीक आगामी चुनाव से पूर्व भाजपा का परिचय पत्र धारण करके, एक साथ नए समीकरणों का आगाज और कुछ पुराने हो चुके नेताओं को हताश कर रहे हैं। हालांकि दोनों विधायकों ने जयराम सरकार का नमक खाया है और इसीलिए ये अपने विधानसभा क्षेत्र में विश्वास और निजी राजनीतिक क्षेत्रफल का विकास अर्जित करते रहे हैं।
जाहिर है ये दोनों निर्दलीय विधायक जिस प्रवेश द्वार से विधानसभा पहुंचे, वहां स्थानीय राजनीति का पुराना ढेर लोगों को रास नहीं आया और न ही भाजपा व कांग्रेस के चेहरे मुकाबला कर पाए। हालांकि यह भी एक तथ्य व सत्य है कि देहरा व जोगिंद्र नगर में धूमल सरकार के स्तंभ सामने थे, लेकिन निर्दलीयों के आगे ढेर हो गए। प्रकाश राणा ने 46.88 प्रतिशत तथा होशियार सिंह ने 44.33 फीसदी मत हासिल करके अपना-अपना वर्चस्व साबित किया था। दोनों स्थानों में भाजपा क्रमशः 36.91 प्रतिशत तथा 37.16 प्रतिशत वोट हासिल कर सकी जबकि कांग्रेस जोगिंद्र नगर में मात्र 9.38 तथा देहरा में 15.18 प्रतिशत मत ही हासिल कर पाई। होशियार सिंह व प्रकाश राणा हिमाचल की जिस राजनीति का हिस्सा बने, उसे हम एनजीओ टाइप या व्यक्ति केंद्रित बदलाव कह सकते हैं। हिमाचल से निकले लोगों ने घर वापसी के लिए अपनी वित्तीय सफलताओं की प्रदर्शनी लगा कर जनता के सामने न केवल खुद को पेश करना शुरू किया है, बल्कि यह एहसास भी पैदा किया कि ये बेहतर विकल्प साबित होंगे। सुजानपुर के राजिंद्र राणा भी इसी श्रेणी से निकले प्रेरक रहे हैं, जो अब कांग्रेस में प्रमाणित हो चके हैं।
जाहिर है प्रकाश राणा व होशियार सिंह को प्रमाणित करते हुए भाजपा यह नहीं चाहती कि इनकी निर्दलीय हैसियत की चुनौती को बरकरार रखा जाए। हालांकि इस फैसले से भाजपा का इतिहास व भूगोल भी बदल रहा है और यह भी कि ये दोनों विधायक मुख्यमंत्री के खाते में ही रहे हंै। यह मुख्यमंत्री को मिले राजनीतिक अधिकारों का प्रदर्शन भी है, क्योंकि प्रकाश राणा के आने से जोगिंद्र नगर और होशियार सिंह के आने से देहरा के समीकरण बदल रहे हैं। जाहिर है इस फैसले ने गुलाब सिंह व रविंद्र सिंह रवि के अस्तित्व पर कुछ प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं और इस तरह नई संभावनाओं में पार्टी के परिवर्तन स्पष्ट हो रहे हैं। जाहिर है दो निर्दलीय विधायकों का आगमन भाजपा के कई वर्तमान विधायकों का रक्तचाप इसलिए भी बढ़ा सकता है, क्योंकि पार्टी अपने नए तौर तरीकों से जीत का हर पैंतरा देख रही है। प्रत्याशी बदलना, किसी विधायक को टिकट के लिए अयोग्य घोषित करना या दूसरे दलों से कुछ नेताओं का आयात करना अब भाजपा की विनेविलिटी का ओपन सीक्रेट है। हिमाचल में भाजपा का मिशन रिपीट अब राजनीति की नई इबारत से लिखने का प्रयास हो रहा है, तो इसकी प्रथम कड़ी में दो निर्दलीय विधायक शरणागत हैं। यह मैदान मारने की स्थिति है या नहीं, कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह स्पष्ट है कि हर विधानसभा क्षेत्र के लिए भाजपा अपने लिए जीत के अलग-अलग समीकरण चुन रही है और यह भी कि चुनावी जंग में पार्टी के फतवे कई जगह अपनों को हलाल करेंगे, तो कहीं ऐसे लोगों का मार्ल्यापण भी करेंगे जो कल तक दूसरी तरफ थे। देखें अगली कड़ी में कौनसा पैंतरा कहां फिट होता है।
सोर्स- divyahimachal
Rani Sahu
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