सम्पादकीय

बीवी ओल्ड, बीवी न्यू, बीवी गोल्ड

Rani Sahu
6 Jun 2023 7:04 PM GMT
बीवी ओल्ड, बीवी न्यू, बीवी गोल्ड
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हे मेरी तरह के घरेलू कुत्ते उर्फ शेरो ! घर के बाहर विदेशों से आयातित शेरों की तरह दहाडऩे वाले शुद्ध स्वदेशी सियारो! मैं सबके खुदा को हाजिर मानकर बयान से न बदलने वाला बयान दे रहा हूं जिसका सोशल मीडिया जो चाहे मतलब निकाल ले, मेरा कहने का वही मतलब होगा कि मैं उतना अपनी बीवी को अटेंड करने से नहीं डरता, जितना अनजानी कॉल अटेंड करने से डरता हूं। मैं उतना अपने ईमानदार, मेरे लिए समर्पित दोस्तों को अटेंड करने से भी नहीं डरता जितना अनजानी कॉल अटेंड करने से डरता हूं। इसलिए मैं केवल उन्हीं नंबरों से आई कॉल स्वीकारता हूं जो मेरी कॉन्टेटेक्ट लिस्ट में हों। मैं अपनी बीवी तक की उसी कॉल को अटेंड करता हूं, जो मेरी कान्टेक्ट लिस्ट में हो। कल पता नहीं किसका फोन आया। मैंने काट दिया। फिर उसी नंबर से दोबारा फोन आया, तो कुछ गुस्से से मैंने फिर काट दिया। बाद में जब उन्होंने पुराने नंबर से फोन कर बताया तो पता चला कि गधे! ये तो अपने खास दोस्त का नया अननोन नंबर है। नंबर बदलने की परंपरा में ये उनका पांचवां नया नंबर था। पता नहीं क्यों वे उतनी जल्दी नंबर बदलते हैं, जितनी जल्दी गिरगिट भी रंग नहीं बदलता। पता नहीं क्यों वे उतनी जल्दी नंबर बदलते हैं जितनी जल्दी सांप भी केंचुली नहीं बदलता। नंबर बदलना उनका शौक है या कुछ और, वे ही जाने। चौथे दिन नंबर बदलने के पीछे आगे का राज़ वे ही जाने।
‘यार ! मैं तुझे बार बार फोन कर रहा हूं और तू बार बार फोन काट रहा है?’ उन्होंने बेकार का सा शिकवा मुझसे किया, पर मैंने उसे परे धकेल दिया, ‘अनजान नंबर था इसलिए।’ ‘यह भी मेरा नया नंबर है।’ ‘बंधु! तुम ही कहो, अब तुम्हारे कितने नंबर कैसे किस किस नाम से सेव करूं? जब तुम्हारा मन करे तुम नंबर बदल लेते हो’, मैंने अपना मोबाइल खुजलाते हुए वाजिब सा सवाल उठाया तो वे मुझे शांत कराते बोले, ‘देखो दोस्त! मोबाइल है तो हर चौथे दिन नया नंबर है। आज आदमी के पास अपने मोबाइल के नंबर बदलने की ही तो बस एक ऑप्शन बची है, सो बेचारा इजिली बदल देता है। वैसे आज आदमी आदमी न रहकर एक मोबाइल नंबर होकर रह गया है। सो टेक इट इजी यार! देखो दोस्त! रिश्तों का अर्थ तो बहुत पहले बदल चुका था। दीन ईमान का अर्थ भी बहुत पहले का बदल चुका है। इनसानियत का अर्थ भी बहुत पहले बदल चुका है। नियत का अर्थ भी बहुत पहले बदल चुका है। आदमियत का अर्थ भी बहुत पहले बदल चुका है। सच बोलने वाली जीभ भी बहुत पहले बदल चुकी है। सच सुनने वाले कान भी बहुत पहले बदल चुके हैं।
समाजोपयोगी सोचने वाला दिमाग भी बहुत पहले बदल चुका है। ऐसे में अब कम से कम आदमी से नित अपने मोबाइल का नंबर बदलने का हक तो मत छीनो दोस्त! रही बात मेरा नया नंबर सेव करने की, तो तुम मेरा नया नंबर भी उसी तरह से सेव कर लो जैसे एक आदर्श पति अपनी बीवी के तीन तीन नंबर यों सेव कर सेफ रहता है- बीवी ओल्ड, बीवी न्यू, बीवी गोल्ड, बीवी…। मेरा नंबर भी तुम उसी तरह सेव कर लो जैसे हर आदर्श पत्नी अपने पति का हर नया नंबर सेव करती है- हसबेंड पुराने, हसबेंड नए, हसबेंड ऑफिस, हसबेंड इमरजंसी, हसबेंड टेंपोरेरी, हसबेंड परमानेंट या फिर बेटा अपने पापा का हर नया नंबर यों सेव करता है- पापा पुराने, पापा नए, पापा घर, पापा ऑफिस। या फिर…।’ बंधु ने दो हजार रुपए वाले नोट सी नसीहत दी तो मैंने अपने मोबाइल से अपना सिर फोड़ लिया। वे पास होते तो उनका भी फोड़ देता। थैंक गॉड! सिर फूटा तो फूटा, पर मोबाइल सही सलामत रहा। सिर का क्या, जख्म हुआ तो हुआ, खून बहा तो बहा, चार दिन बाद सब ठीक हो जाएगा। न भी हुआ तो कौन सा नासूर बन जाएगा! बन भी जाए तो बन जाए, पर जो मोबाइल को कुछ हो हू जाता तो?
अशोक गौतम

By: divyahimachal

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