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रसोई गैस सिलेंडर महंगा कर सरकार ने आम आदमी पर बोझ और बढ़ा दिया है। लोग महंगाई से पहले ही बेहाल हैं।
रसोई गैस सिलेंडर महंगा कर सरकार ने आम आदमी पर बोझ और बढ़ा दिया है। लोग महंगाई से पहले ही बेहाल हैं। आमजन के लिए जब दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो रहा हो, उस सूरत में भी रसोई गैस हर महीने महंगी होती जाएगी तो भूखों मरने की नौबत आने में देर नहीं लगने वाली। इस साल यह आठवां मौका है जब रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए गए हैं। हर महीने रसोई गैस महंगी हो रही है। फरवरी में तो दो बार दाम बढ़े थे, एक बार पंद्रह फरवरी को और फिर पच्चीस फरवरी को। अब बिना सबसिडी वाले 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर पर पच्चीस रुपए और बढ़ा दिए गए हैं।
व्यावसायिक इस्तेमाल वाला सिलेंडर भी महंगा कर दिया है। पेट्रोल और डीजल के दाम पहले ही सारे रिकार्ड तोड़ चुके हैं। दरअसल ईंधन की महंगाई जीवन जीने की लागत को जिस तेजी से बढ़ाती जाती है, उसका असर सामने आने में देर नहीं लगती। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आम आदमी का गुजारा चलेगा कैसे?
गौरतलब है कि रसोई गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल करने वालों की तादाद करोड़ों में है। जिन शहरों में पाइप के जरिए रसोई गैस आपूर्ति की सुविधा है, वहां भी लाखों लोग गैस सिलेंडरों पर ही निर्भर हैं। कस्बों और गांवों में भी रसोई गैस सिलेंडर इस्तेमाल होते ही हैं। जाहिर है आबादी का बड़ा हिस्सा सिलेंडर वाले ईंधन पर ही निर्भर है। यह तबका मध्यम और निन्म वर्ग का है।
ऐसे में जब भी सिलेंडर महंगा होता है तो सबसे ज्यादा मार भी इसी तबके पर पड़ती है। पिछले कुछ समय में तो खाने-पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान जिस तेजी से महंगे हुए हैं, वह चिंताजनक है। खाने के तेल हों, या दालें, फल, सब्जियां, या फिर दूध, सबके दाम आसमान छू गए। उपभोक्ता कंपनियां कच्चा माल महंगा होने से लेकर उत्पादन लागत बढ़ने और ढुलाई बढ़ने जैसे तर्क देकर अपना बचाव कर रही हैं। पिछले एक साल में ही कई जरूरी चीजों के दाम डेढ़ से दो गुने तक बढ़ा दिए गए।
यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले सवा साल में करोड़ों लोगों को आजीविका से हाथ धोना पड़ा है। इनमें नियमित रूप से वेतन पाने वालों से लेकर दिहाड़ी मजदूर तक हैं। इस साल जुलाई में ही चौंतीस लाख वैतनिक लोगों का रोजगार जाने की खबर कम हैरान करने वाली नहीं है। ऐसे में अगर आम आदमी की जरूरतों से सीधा सरोकार रखने वाले पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस जैसे ईंधन महंगे किए जाते रहेंगे तो सरकार का इससे ज्यादा जनविरोधी रुख और क्या होगा। सरकार इस बात को बखूबी समझती है कि ईंधन, दूध और खाने-पीने का सामान कितना भी महंगा क्यों न कर दिया जाए, लोगों की मजबूरी है इन्हें खरीदना।
इसलिए इस रास्ते ही लोगों की जेब से पैसा निकाला जाए। हाल में वित्त मंत्री ने साफ कह दिया है कि पेट्रोल और डीजल पर शुल्क में कोई कटौती नहीं होगी। जाहिर है पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने वाले, महंगाई और बढ़ेगी। महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक पहले ही अपनी आशंकाएं जता चुका है। क्या यह हैरानी की बात नहीं कि जो भाजपा 2014 से पहले महंगाई और ईंधन के दाम बढ़ने पर सरकार को कोसती और विरोध-प्रदर्शन व आंदोलन करती दिखती थी, आज उसी ने अपनी सरकार के राज में महंगाई पर चुप्पी साध ली है! बढ़ती महंगाई सरकार की नीतिगत खामियों और आमजन के प्रति सरकार की संवेदनहीनता को बताने के लिए काफी है।
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