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- चर्चाओं के ध्रुवीकरण...
अपने लिए चुनावी पिच तैयार कर रही आम आदमी पार्टी की मंडी रैली, प्रदेश के राजनीतिक खेल के नियम बदल सकती है। अभी तो लहरें उस झील में उठी हैं, जहां पानी खामोश है। वक्त को मौसम ने सुन लिया तो फिजां भी बदल सकती है। कम से कम आप पहले से रेखांकित और विभाजित मानस को एक नई लय में बांधने की कोशिश कर रही है तथा इसी संदर्भ में मंडी की रैली एक जमावड़ा नहीं, तस्वीर होगी। बेशक इसी दिन भाजपा के स्थापना दिवस के कई शिविर, कई मंच और कई कार्यक्रम शिरकत करेंगे, लेकिन चर्चाओं के धु्रवीकरण में 'आप' ने अपनी हस्ती का केंद्र बनाना जरूर शुरू किया है। रैली में अरविंद केजरीवाल का करिश्मा हो सकता है सिर चढ़ कर बोले, लेकिन आम आदमी की पैठ को अभी सबूत नहीं माना जा सकता है। यह दीगर है कि आरंभिक सफर पर निकली पार्टी ने एक वर्ग को मोहित करना शुरू कर लिया है। यह वर्ग छिटके हुए समूहों की ऐसी गोलबंदी है, जो कभी कांग्रेस या कभी भाजपा के पाले में आती-जाती रही है। यह वर्ग खुन्नस की पोटली या निराशा के संदर्भों में कितना घातक होगा, अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन आप जो भी समेटेगी, उससे भाजपा-कांग्रेस को हानि होगी। यहां आप की रैली के समक्ष भाजपा तो सुरक्षा दीवार खड़ी करती हुई दिखाई दे रही है, लेकिन कांग्रेस का एक पांव दिल्ली दरबार और एक हिमाचल के दलदल में फंसा हुआ प्रतीत हो रहा है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल