सम्पादकीय

अरबपति का छोटा दिल

Subhi
9 April 2021 2:36 AM GMT
अरबपति का छोटा दिल
x
अमेरिकी पत्रिका फॉर्ब्स की जारी अरबपतियों की ताजा सूची से ये सामने आया कि पिछले साल भी अमेरिकी अरबपति जेफ बिजोस को कोई चुनौती नहीं दे सका।

NI एडिटोरियल:अमेरिकी पत्रिका फॉर्ब्स की जारी अरबपतियों की ताजा सूची से ये सामने आया कि पिछले साल भी अमेरिकी अरबपति जेफ बिजोस को कोई चुनौती नहीं दे सका। वे अभी दुनिया में सबसे धनी व्यक्ति हैं। इस वक्त उनकी संपत्ति लगभग 188 अरब डॉलर है। यानी पिछले तीन महीनों में इसमें लगभग 11 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। कोरोना महामारी की मार से जब बाकी दुनिया पीड़ित थी, तब उनकी संपत्ति में पिछले साल 75 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई। तो ये उनकी हैसियत है। लेकिन बिजोस अपनी समृद्धि में अपने कर्मचारियों के साथ कुछ बांटना नहीं चाहते। इस बात की मिसाल अमेरिका के अलाबामा राज्य में स्थित उनकी कंपनी अमेजन के एक वेयर हाउस के कर्मचारियों का संघर्ष है। ये कर्मचारी इन दिनों यूनियन बनाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। जबकि बिजोस अपनी ताकत का इस्तेमाला कर कर्मचारियों के इस प्रयास में लगातार रोड़े अटका रहे हैं। ये मुद्दा काफी समय से अमेरिका में चर्चित है।

गौरतलब है कि उस वेयर हाउस के लगभग छह हजार कर्मचारी तय सरकारी नियम के तहत यूनियन बनाने के सवाल पर मतदान कर चुके हैं। लेकिन अभी तक परिणाम नहीं आया है। अमेजन कंपनी ने तकनीकी रुकावटें खड़ी कर रखी है। ऐसी संभावना है कि मतदान के नतीजे का एलान अभी और टलेगा। ध्यान देने की बात है कि वेयर हाउस के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बेहद कठिन हालात में काम करना पड़ता है। यूनियन बनी तो फिर वे सामूहिक रूप से बेहतर कार्य स्थितियों के लिए सौदेबाजी कर पाएंगे। बिजोस इसी संभावना को टालना चाहते हैँ। जबकि इन कर्मचारियों के समर्थन में राष्ट्रपति जो बाइडेन बाकायदा एक वीडियो संदेश जारी कर चुके हैं। बाइडेन यूनियन बनाने के उनके अधिकार को समर्थन दे चुके हैं। लेकिन जेफ बिजोस का रसूख ऐसा है कि राष्ट्रपति और सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी के कई प्रमुख नेताओं के सक्रिय समर्थन के बावजूद यूनियन बनाने का काम मुश्किल बना हुआ है। सीनेट की बजट समिति के अध्यक्ष बर्नी सैंडर्स का आरोप है कि महामारी के साल में बिजोस ने अमेजन के कर्मचारियों का हक मारा और इसी करण उनकी संपत्ति में असाधारण बढ़ोतरी हुई। वैसे जो बात जेफ बिजोस पर लागू होती है, वही लगभग सभी अरबपतियों पर लागू होती है। गौर से देखें और गहराई में जाएं तो फॉर्ब्स की लिस्ट भी इसी बात की तस्दीक करती है।

Next Story