सम्पादकीय

आजादी का बिल

Gulabi
14 Aug 2021 5:59 AM GMT
आजादी का बिल
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दिन, चार जुलाई, 1947। शाम साढ़े आठ बजे लंदन के ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में करीब एक सौ सदस्य ही उपस्थित थे

दिन, चार जुलाई, 1947। शाम साढ़े आठ बजे लंदन के 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में करीब एक सौ सदस्य ही उपस्थित थे। तीन-चौथाई सीटें खाली थी। स्पीकर डगलस क्लिफटन ब्राउन ने प्रधानमंत्री क्लिमेन्ट एटली का नाम पुकारा। क्लिमेन्ट एटली अपनी कुर्सी से आधा उठे। सिर झुकाया और बैठ गए। फिर पार्लियामेंट के क्लर्क ने बिल का नाम पढ़ा-'इंडियन इंडिपेंडेंस बिल।' कुल समय लगा – डेढ़ सेकंड। और भारतीय स्वतंत्रता का विधेयक वेस्टमिन्स्टर संसद में पेश हो गया। इसमें पंद्रह अगस्त, 1947 से ब्रिटिश राज की समाप्ति और आजाद भारत और पाकिस्तान के जन्म का प्रभाव था। दस जुलाई को 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पर चर्चा हुई। ब्रितानी संसद ने पौने चार घंटे की बहस के बाद भारतीय स्वतंत्रता विधेयक के दूसरे चरण को बिना मत विभाजन के मंजूरी दे दी। बहस में क्लिमेन्ट एटली ने रियासतों के लिए साफ तौर पर कहा – ' ब्रिटेन देशी रियासतों को अलग से मान्यता नहीं देगा।

उनके पास सोचने के लिए अभी थोड़ा और वक्त है, वे सोच-विचार कर फैसला कर लें कि उन्हें भारत में शामिल होना है या पाकिस्तान में।' प्रधानमंत्री क्लिमेन्ट एटली और विपक्ष के नेता हेरल्ड मैकमिलन ने भारत के विभाजन पर दुःख व्यक्त किया। और उम्मीद जाहिर की – यह विभाजन ज्यादा दिन नहीं चलेगा। दोनों देश कुछ समय बाद फिर एक हो सकते हैं, क्योंकि इस विभाजन में ही एकता के बीज भी हैं। प्रधानमंत्री क्लिमेन्ट एटली ने कहा -'मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल होंगे तथा लार्ड लुई माउंटबेटन भारत के।' अठारह जुलाई, 1947 को 'हाउस ऑफ लॉर्ड्स' किसी सामान्य दिन की ही तरह लग रहा था। शाम चार बजे महाराजा जॉर्ज षष्टम के प्रतिनिधि आए और हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लंबी मेज के एक तरफ बैठ गए। संसद के क्लर्क ने पहला विधेयक उठाया – गैस के बारे में।
उसे महाराजा की मंजूरी मिल गई। फिर दूसरा विधेयक और फिर तीसरा विधेयक। क्लर्क ने पढ़ा -'इंडियन इंडिपेंडेंस बिल।' महाराजा के प्रतिनिधि ने फ्रांसीसी जुबान में मात्र चार शब्द बोले – 'लॉ रोऊ लाउ वे' अर्थात् महाराजा भी यही चाहते हैं। इसी के साथ ब्रिटेन का भारतीय उपनिवेश इतिहास का हिस्सा बन गया। उसकी जगह उभरे दो नए देश, भारत और पाकिस्तान। वक्त था शाम के चार बजकर दस मिनट। और इसी दिन रात के ठीक बारह बजते ही यह कानून लागू हो गया। ब्रिटेन में कन्ज़रवेटिव पार्टी के नेता विन्स्टन चर्चिल इस बात से सख्त नाराज थे कि 'भारतीय स्वतंत्रता विधेयक' को 'इंडियन इंडिपेडेंस बिल' कहा जाए। विन्स्टन चर्चिल ने प्रधानमंत्री क्लिमेन्ट एटली को लिखा- मैं इस विधेयक का समर्थन करने को तैयार हूं, बशर्ते इसे 'भारत स्वशासन विधेयक' कहा जाए। इधर दिल्ली में वॉयसराय लार्ड लुई माउंटबेटन से मिलने के बाद महात्मा गांधी ने जॉर्ज बर्नाड शॉ का उदाहरण देकर कहा ''अंग्रेज कभी गलती नहीं करता। हर बात सिद्धांत के आधार पर करता है। देशभक्ति के सिद्धांत पर लड़ता है। व्यापार के सिद्धांत पर आपको लूटता है। राजशाही के सिद्धांत से गुलाम बनाता है। वफादारी के सिद्धांत पर राजा के साथ होता है और प्रजातंत्र के सिद्धांत पर राजा का गला काट देता है। मैं समझता हूं कि अंग्रेज किसी सिद्धांत के आधार पर ही भारत को छोड़ रहे होंगे।'
डा. भावना शर्मा
लेखिका शिमला से हैं
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