- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बिहार का 'सोशल साइट'...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय संस्कृति में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को जिस ऊंचे स्तर पर प्राचीनकाल से ही रख कर देखा गया है उसका सबसे बड़ा उदाहरण 'महर्षि दुर्वासा' हैं जो अपने तीखे, स्पष्ट व सामान्य अर्थों में कथित दुर-वचनों के लिए ही विख्यात रहे और ऋषि पद पर प्रतिष्ठापित किये गये। या नाम तथा गुण से विभूषित दुर्वासा कटु वचनों के लिए इसलिए जाने गये क्योंकि वह राजा से लेकर प्रजा तक को 'आइना' दिखा कर सत्य का दर्शन कराते थे और उग्र आलोचना से उन्हें अपना रास्ता बदलने को प्रेरित करते थे। अतः बिहार सरकार ने सोशल मीडिया व इंटरनेट पर सरकार से जुड़े लोगों से लेकर मन्त्रियों व विधायकों और सांसदों की तीखी व उग्र आलोचना को आपराधिक श्रेणी में डालने की जो सूचना जारी की है, वह भारत की लोकतान्त्रिक परंपराओं के अनुरूप नहीं कही जा सकती। बेशक यह तथ्य गौर करने लायक है कि आलोचना करने में अश्लील भाषा के प्रयोग से बचा जाना चाहिए और गाली व अभद्र शब्दावली का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।