सम्पादकीय

बिहारियों के पास दिमाग नहीं होता… क्या तमिलों या मराठों के बारे में ऐसा कोई बोल सकता है?

Rani Sahu
28 July 2021 12:58 PM GMT
बिहारियों के पास दिमाग नहीं होता… क्या तमिलों या मराठों के बारे में ऐसा कोई बोल सकता है?
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जैसे सभी राष्ट्रीय समस्याओं के लिए कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान जिम्मेदार होता था कुछ उसी तर्ज पर देश भर में आज स्थानीय समस्याओं के लिए बिहारी समुदाय को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है

संयम श्रीवास्तव | जैसे सभी राष्ट्रीय समस्याओं के लिए कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान जिम्मेदार होता था कुछ उसी तर्ज पर देश भर में आज स्थानीय समस्याओं के लिए बिहारी समुदाय को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. कहीं किसी भी प्रदेश में कोई क्षेत्रीय समस्या नजर आई जिसे सॉल्व करने में नेता विफल रहे हों और जनता नाराज हो सकती है तो झट से उस समस्या का कारण बिहारी समुदाय को बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है. हमने पिछले कई सालों में कई प्रदेशों में देखा है कि कभी बेरोजगारी, कभी गंदगी तो कभी हॉस्पिटल के बेडों की कमी की समस्या को ढंकने के लिए स्थानीय नेताओं का आसान निशाना बना है बिहारी समुदाय.

मुंबई-दिल्ली-पंजाब-मध्यप्रदेश-राजस्थान ही नहीं तमिलनाडु से भी ऐसी खबर आने का मतलब है कि बिहारी समुदाय (Bihari पूरे देश की आंखों में खटक रहा है. तमिलनाडु के एक मंत्री केएन नेहरु ने राज्य में बेरोजगारी का कारण बिहारी समुदाय को बता दिया. साथ ही यह भी कह दिया कि बिहारियों के पास दिमाग नहीं होता. लगे हाथ उस मंत्री ने ये भी बताया कि तमिल और मलयाली लोग सबसे बुद्धिमान होते हैं. क्या बिहार का कोई नेता इन्हें यह बताने की कोशिश करेगा कि बुद्ध, चाणक्य और नालंदा की धरती रही है बिहार. गौतमबुद्ध को ज्ञान बिहार की धरती पर मिला, जिनके प्रकाश और ज्ञान से आज आधी दुनिया रोशन हो रही है.
बिहार के नेता नहीं बोलेंगे तो ये हमले बार-बार होंगे
जरा सोचिए कि बिहार के किसी मंत्री ने तमिल या मराठी समुदाय के बारे में कोई ऐसी बात कही होती तो अब तक क्या होता? पुतले फूंके जाते, सरकारी संपत्तियां आग के हवाले होतीं, बिहारी मजदूरों पर हमले होते. क्या बिहारी समुदाय इस तरह की बातों को तवज्जों नहीं देता इसलिए ही बार-बार टार्गेट होता है? अब तक ऐसा बयान देने वाले मंत्री से इस्तीफे की डिमांड हो गई होती. आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अभी तक बिहार के किसी बड़े नेता ने इस मुद्दे पर बयान नहीं दिया होगा. बिहार के नेता बोलेंगे जब उनसे पत्रकार जबरदस्ती दक्षिण की इस घटना पर वर्जन लेने पहुंचेगा. वह भी बचते बचाते. गैर एनडीए वालों को लगेगा कि वहां एंटी बीजेपी वालों की सरकार है, उन लोगों को क्यों इसके लिए टार्गेट किया जाए. एनडीए वाले गुणा-गणित लगा रहे होंगे कि अभी हमें वहां जमीन तैयार करनी है हमारा नहीं बोलना ही अच्छा है. शायद यही कारण है कि देश भर में आए दिन बिहारी समुदाय के बारे में कोई भी कुछ बोलने की हिम्मत कर लेता है.
बार-बार निशाना बनता रहा है बिहारी समुदाय
महाराष्ट्र से शुरू हुआ बिहारी समुदाय के प्रति नफरत भरे बयानों वाली राजनीति धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रही है. शिवसेना और उसके बाद बनी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की राजनीति का आधार ही उत्तर भारतीयों और दक्षिण भारतीयों का विरोध रहा है. बिहारी समुदाय के लिए यहां कई बार गलत बयानी की गई है. बिहारी अपने साथ बीमारी और लड़ाई लेकर आते हैं, एक बिहारी सौ बीमारी जैसी बातें कहकर बार-बार अपमानित किया गया. मूल कारण यही रहा कि बिहारी मराठियों का रोजगार हड़प रहे हैं. जबकि बिहारी मजदूर नहीं रहते तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी नहीं बनती.
दिल्ली में एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने यह कह कर बिहारी समुदाय का तिरस्कार किया था कि यूपी बिहार से होने वाले पलायन के कारण दिल्ली के इनफ्रास्ट्रक्चर पर भारी दबाव है. एक बार वर्तमान मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी बिहारी समुदाय पर टिप्पणी करने का दुस्साहस दिखाया था. उन्होंने एक बार कहा था कि बिहार का एक आदमी 500 रुपये का टिकट लेकर ट्रेन से दिल्ली आता है और 5 लाख का इलाज फ्री में करवाकर चला जाता है.
आईआईटी की तैयारी करने के लिए यूपी-बिहार से बड़ी संख्या में छात्र कोटा जाते हैं. वहां छात्रों की लड़ाई जैसी छोटी सी बात पर एक बीजेपी नेता ने बिहारी समुदाय को टार्गेट पर ले लिया. इस नेता ने कहा कि बिहार के छात्र शहर का माहौल खराब कर रहे हैं, उन्हें निकाल बाहर करना चाहिए. मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी एक बार कहा था कि मध्यप्रदेश में बेरोजगारी का असली कारण बिहारी लोग हैं. उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश और बिहार से लोग आते हैं और मध्यप्रदेश के लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है.
बिहार में अब भी सबसे ज्यादे ग्रेजुएट, आईएएस, आईपीएस
बिहार के लोगों की शिक्षा पर हर कोई सवाल उठा देता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बिहार आज देश में सबसे ज्यादा आईएएस/आईपीएस देने वाले राज्यों में दूसरे नंबर पर है. आईएएस आईपीएस बनने वालों में बिहारियों की संख्या आज से नहीं बहुत पहले से बढ़ रही है. 1997 से 2006 के बीच देश के 1588 आईएएस अधिकारियों में से 108 आईएएस अधिकारी बिहार से थे. वहीं 2007 से 2016 के बीच देश के कुल 1664 आईएएस अधिकारियों में से 125 बिहार से थे. इसी तरह से ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों में भी बिहार की स्थिति काफी बेहतर है.
एक बिहारी प्रशांत किशोर के चलते ही बयानवीर द्रमुक नेता आज मंत्री हैं
सबसे बड़ी बात यह है कि बिहारियों के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने वाले द्रमुक नेता केएन नेहरू आज तमिलनाडु सरकार में मंत्री बनकर बैठे हैं, उसके पीछे भी एक बिहारी का दिमाग ही है. कम से कम यही सोचकर उन्हें ऐसे घटिया बयान देने से बाज आना चाहिए था. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस बार तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में स्टालिन के अनुरोध पर द्रमुक को जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिए थे.


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