सम्पादकीय

बिहार आगे बनेगा आईना

Gulabi
10 Nov 2020 4:08 PM GMT
बिहार आगे बनेगा आईना
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बिहार में हुआ चुनाव सिर्फ एक प्रांत का चुनाव बनकर नहीं रहने वाला है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में हुआ चुनाव सिर्फ एक प्रांत का चुनाव बनकर नहीं रहने वाला है। यह अगले संसदीय चुनाव (2024) का आईना बनने वाला है। कोरोना की महामारी के दौरान होनेवा ला यह पहला चुनाव है। बिहार में इस बार पिछले चुनाव से ज्यादा मतदान हुआ है याने कोरोना के बावजूद अब अगले कुछ माह में कई प्रांतीय चुनाव बेहिचक करवाए जा सकते हैं।

प. बंगाल, असम, तमिलनाडु, पांडिचेरी और केरल के चुनावों की झांकी, हम चाहें तो बिहार के चुनाव में अभी से देख सकते हैं। यदि बिहार में भाजपा गठबंधन स्पष्ट बहुमत से जीतता है तो माना जा सकता है कि उक्त राज्यों (केरल के सिवाय) में भी भाजपा का दिखावा ठीक-ठाक ही होगा लेकिन जैसा कि सभी एक्जिट पोल दिखा रहे हैं, बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन का जीतना काफी मुश्किल है।

भाजपा के मुकाबले राजद की बढ़ोतरी जबर्दस्त बताई जा रही है लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं का मानना है कि इस बार टक्कर कांटे की है। इसी डर के मारे कांग्रेस अपने संभावित विधायकों को पटना से कहीं दूर ले जाकर टिका रही है ताकि भाजपा वाले उन्हें पैसे देकर खरीद न लें। इस बार बिहार के चुनाव में जातिवाद का बोलबाला वैसा नहीं रहा, जैसा प्रायः रहता है।

राजद के नेता तेजस्वी यादव की सभाओं ने नीतीश और मोदी की सभाओं को भी मात कर दिया। तेजस्वी ने बेरोजगारी के मुद्दे को हर सभा में तूल दे दिया। 10 लाख नौकरियों की चूसनी नौजवानों के आगे लटका दी, जैसे कि मोदी ने 15 लाख रु. प्रति व्यक्ति की चूसनी 2014 में लटकाई थी। तालाबंदी से उजड़े हुए सभी जातियों के मजदूरों पर तेजस्वी ने ठंडा मरहम लगा दिया।

नीतीश के कई लोक-कल्याणकारी काम दरी के नीचे सरक गए। लोगों को हुए सीधे फायदों का श्रेय मोदी को मिल रहा है लेकिन बिहार के इस चुनाव ने मोदी को भी इशारा कर दिया है कि लोग नीतीश से ही नहीं थक गए हैं, उन्हें मोदी की बातें भी चिकनी-चुपड़ी भर लगने लगी हैं। यह असंभव नहीं कि जदयू के मुकाबले भाजपा को ज्यादा सीटें मिलें लेकिन राजद को बहुमत मिलने की संभावना ज्यादा लग रही है।

तेजस्वी ने अपने 'पूज्य पिताजी और माताजी' को पूरे अभियान में ताक पर बिठाए रखा और एक स्वच्छ नौजवान और प्रभावशाली वक्ता के तौर पर खुद को पेश किया। यदि बिहार में किसी भी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो भी कोई बात नहीं। बिहार के नेता छुआछूत से घृणा करते हैं। कोई भी पार्टी किसी से भी मिलकर सरकार बना सकती है। भाजपा के लिए यह चुनाव अगले प्रांतीय चुनावों के लिए महत्वपूर्ण संदेश छोड़ेगा।

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