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Bihar Politics
पटना, आलोक मिश्रा। Bihar Politics इस समय के बारे में किसी से कुछ पूछने की जरूरत नहीं। सबके सामने सारे पत्ते खुले पड़े हैं। कोरोना... ब्लैक फंगस... व्हाइट फंगस... की ही गूंज है। इधर कोरोना की आहट कुछ मंद होती दिख रही है। आक्सीजन की कमी का हल्ला थमा-थमा सा है। लेकिन ब्लैक फंगस का आतंक बढ़ने लगा है। रोज नए मरीज सामने आ रहे हैं। व्हाइट फंगस के भी चार मरीज मिले हैं। इसके अलावा पॉलिटिकल फंगस भी सक्रिय होने लगा है। जो फैल तो उन्हीं की बिरादरी में रहा है, लेकिन असर आम लोगों पर भी डाल रहा है।
पिछले 15 दिन पूरे देश के हालात काफी खराब थे। हर किसी के कान में उसके किसी परिचित के न रहने की खबर तेजी से आ रही थी। बिहार सरकार अपने स्तर से समाधान में जुटी थी। लेकिन इधर विपक्ष भी मदद पर अमादा हो गया। शुरूआत कांग्रेस ने की और अपने कार्यालय सदाकत आश्रम में एक कोविड हेल्प सेंटर बना दिया। मौके की नजाकत को भांपते हुए दवाइयों आदि के पैकेट डॉक्टरों की सलाह पर बनवाए गए, ताकि किसी तरह का आरोप न लगे। जैसी शांत कांग्रेस, वैसी ही शांति से काम होने लगा। सरकार ने भी कोई तवज्जो नहीं दी। राजनीतिक लॉबी में इसे कमजोर फंगस माना, लेकिन इसकी पहचान कर ली। अब यह राजद के सहारे भाजपा और जदयू में भी असर दिखाने लगा है। हमेशा की तरह बयान देकर कभी सरकार की मदद तो कभी सवाल उठाने वाले तेजस्वी यादव पर इसने खासा असर डाला। उनके भीतर जनता की खुलकर मदद न कर पाने की कसक जागी। उनको लगा कि अब उनको भी कुछ करना चाहिए।
इसलिए बतौर नेता प्रतिपक्ष हासिल सरकारी मकान में उन्होंने आनन-फानन में एक कोविड केयर सेंटर तैयार कर डाला। अपने को जिम्मेदार विपक्ष ठहराते हुए इसे सरकार को यह कहकर प्रस्तुत किया कि बिना सरकार की अनुमति के संचालित न कर पाने की उनकी बंदिश है। इसलिए सरकार इसका अपने तरीके से इस्तेमाल करे। इस धमाकेदार प्रस्तुति ने विरोध में कई स्वर बुलंद कर दिए। जदयू के पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने इसे हास्यास्पद बताया कि सरकार अपनी संपत्ति कैसे अधिग्रहीत करेगी। उन्होंने इसे राजनीतिक लाभ लेना करार दिया। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय का कहना था कि बिना अनुमति अस्पताल खुल नहीं सकता। लालू परिवार पर वार का कोई मौका न छोड़ने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने दाग दिया कि सरकारी आवास में क्यों खोला, राबड़ी देवी के दस फ्लैट में खोल दिया जाता। यहां तक तो ठीक था, लेकिन बाद के शब्दों ने मोर्चे की दिशा ही बदल दी। मोदी ने जोड़ा कि लालू की दो बेटियां डॉक्टर हैं उनको लगा लेते इस सेंटर में। इतना वायरल होते ही लालू की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य फट पड़ी। कई तरीके के भावों को कटु से कटु शब्दों में गूंथ कर ट्विटर पर उड़ेल दिया। इसमें सुशील मोदी के प्रति उनकी धारणा पूर्णतया स्पष्ट थी।
बहरहाल तेजस्वी के खिलाफ बोल भले ही फूट रहे हों, लेकिन सरकार खामोश है। सरकार अपने काम में लगी है। तेजस्वी को पूरी तरह देखते हुए भी वो नहीं देख रही है। तेजस्वी भी हठी हैं। वो हठ कर बैठे हैं कि शुक्रवार तक यदि इस पर कोई फैसला नहीं हुआ तो वो खुद डॉक्टरों को बुलाकर इसे चालू करवा देंगे। इस वाद-विवाद के बीच कोविड सेंटर भरने के इंतजार में खाली पड़ा है। हालात बता रहे हैं कि वह खाली ही रहने वाला है। इस फंगस के एक खतरनाक वैरियंट से प्रभावित पप्पू यादव से भी सरकार खासी दूरी बनाए है। उन्हें ज्यादा दूर रखने के लिए जेल में क्वारंटाइन कर दिया गया है। पप्पू यादव इस कठिन काल में सबसे ज्यादा सक्रिय दिख रहे थे। वह कभी किसी अस्पताल में दिखाई देते तो कभी रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाते, कभी ऑक्सीजन उपलब्ध कराते सुर्खियों में थे। सेवाभाव से अतिउत्साहित जा पहुंचे छपरा, सांसद राजीव प्रसाद रूडी के संसदीय क्षेत्र और थाम ली खाली खड़ी आठ एंबुलेंस। मामला उछल गया। रूडी जब तक कुछ सफाई दें, पप्पू जमकर ढिंढोरा पीट चुके थे। लेकिन भाग्य में शायद इतनी ही सेवा लिखी थी सो एक पुराने केस में उन्हें उठाकर जेल में डाल दिया गया। कानून की दुहाई दी गई और पप्पू की एक न सुनी गई। जोकि पालिटिकल फंगस का ही असर था।
[स्थानीय संपादक, बिहार]
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