- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बिहारः मौतें खबर नहीं

x
बिहार में होली के बाद से कई जिलों में रहस्यमय मौतें हुई हैँ
By NI Editorial
बिहार में रहस्यमय मौतें हुई हैं। तो इस प्रकरण में ये अहम सवाल उठा है कि प्रशासन आखिर पीड़ित परिवारों की राय क्यों नहीं स्वीकार करना चाहता? या फिर वह बीमारी का नाम क्यों नहीं बताता? आखिर मौतें तो हुई हैँ। इसके लिए आखिर किसी की तो जवाबदेही होगी? Bihar Deaths not news
बिहार में होली के बाद से कई जिलों में रहस्यमय मौतें हुई हैँ। इन मौतों की खबर भागलपुर, बांका, मधेपुरा, बक्सर, सिवान से शेखपुरा से मिली हैँ। आखिरी खबर मिलने तक 40 लोगों की मौत हो चुकी थी। बताया जाता है कि कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है। गंभीर अवस्था में ऐसे लोगों का विभिन्न निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। कुछ खबरों में कहा गया है कि इन मौतों की वजह जहरीली शराब है। इनके मुताबिक पीड़ित परिजन दबी जुबान से इस बात को स्वीकार करते हैं, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई के डर से वे साफ तौर पर कुछ नहीं कहते। बताया जाता है कि मृत अधिकतर लोगों को पेट दर्द, सांस लेने में परेशानी, उल्टी और सिर में चक्कर आने की शिकायत हुई। फिर तबीयत बिगड़ी। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पहले तो प्रशासन मौत के कारण को लेकर कुछ भी कहने से बचता रहा। लेकिन बाद में बिहार सरकार की ओर से दावा किया गया कि इन लोगों की मौत बीमारी की वजह से हुई है। इसका आधार स्थानीय प्रशासन की रिपोर्ट को बताया गया। लेकिन इससे मामला और रहस्यमय हो गया है। जहां लोग इन मौतों के पीछे की वजह जहरीली शराब का सेवन बता रहे हैं, वहीं स्थानीय प्रशासन अपनी जांच रिपोर्ट में इसकी वजह बीमारी बता रहा है।
मसलन, बांका के डीएम और एसएसपी ने अपनी साझा रिपोर्ट में कहा है कि जांच के क्रम में टीम सभी मृतकों के घर गई। एक-एक कर सभी के परिजनों का बयान लिया गया। सभी के परिवार वालों ने मौत की वजह बीमारी बताई। चूंकि बिना पोस्टमार्टम कराए सभी का अंतिम संस्कार कर दिया गया था, इसलिए जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहीं की जा सकी। बिहार सरकार शराबबंदी की अपनी नीति पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार नहीं है। यह सच है कि शराबबंदी से महिलाओं को सुकून मिला था। इससे उन्हें अपनी जिंदगी में बदलाव आता दिख रहा था। लेकिन बाद में किसी न किसी रूप में शराब की उपलब्ध होने लगी। उससे समस्या और गहरा गई। ताजा प्रकरण के सिलसिले में सवाल है कि प्रशासन आखिर पीड़ित परिवारों की राय क्यों नहीं स्वीकार करना चाहता? या फिर वह बीमारी का नाम क्यों नहीं बताता? आखिर मौतें तो हुई हैँ। इसके लिए आखिर किसी की तो जवाबदेही होगी?
Next Story