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लम्बे इंतजार के बाद भारत में बच्चों के लिए टीकाकरण का रास्ता खुल गया है
लम्बे इंतजार के बाद भारत में बच्चों के लिए टीकाकरण का रास्ता खुल गया है। प्रधानमंत्री ने क्रिसमस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा की कि 3 जनवरी से 15 से 18 साल के बच्चों को भी टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाएगा। बड़े दिन पर देश के लिए यह बड़ी राहत की खबर है। इससे स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों को सुरक्षा कवच मिलेगा और अभिभावकों की चिंता कम होगी। भारत समेत कई देशों में टीकाकरण का सिलसिला फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ शुरू हुआ था। अगले चरण में क्रमश: बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को इसमें शामिल किया गया। बाद में टीकाकरण 18 साल से ऊपर के युवाओं के लिए खोला गया।
विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे थे कि बच्चों में भले ही संक्रमण के गंभीर लक्षण नजर न आएं, वे वायरस के संवाहक के तौर पर उभर सकते हैं। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के आगमन के बाद बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी। दक्षिण अफ्रीका में, जहां ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया, पांच साल तक के बच्चे भी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।
खतरे को भांपते हुए दुनियाभर के विशेषज्ञ बच्चों को भी वैक्सीन लगाने पर जोर दे रहे हैं। पहले माना जा रहा था कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, इसलिए वे वैक्सीन के बगैर कोरोना का मुकाबला कर सकते हैं। लेकिन ओमिक्रॉन जिस तरह बच्चों को भी चपेट में ले रहा है, वह खतरे की घंटी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन भी चेतावनी दे चुकी हैं कि बगैर वैक्सीन वाले बच्चों में संक्रमण का उतना ही खतरा है, जितना बड़ों को है। कई देशों में बच्चों का टीकाकरण काफी पहले शुरू हो चुका है। अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, डेनमार्क आदि में 11 साल से ऊपर के, जबकि चीन में तीन व क्यूबा में दो साल के बच्चों को टीका लगाया जा रहा है।
भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को बच्चों में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। अगस्त में जायडस कैडिला के तीन डोज वाले टीके को 12 साल और इससे बड़े लोगों में इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी जा चुकी है।
बच्चों के टीकाकरण से संभावित तीसरी लहर में उन पर खतरे संबंधी चिंता कम होगी और स्कूल-कॉलेजों की पढ़ाई सामान्य बनाने में मदद मिलेगी। राहत की बात यह भी है कि टीकों को लेकर अब वैसी मारामारी नहीं है, जैसी बड़ों के लिए टीकाकरण शुरू होने के बाद थी।
देश में अब उत्पादन बढ़ चुका है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को टीकाकरण के दायरे में लाकर हम एक बड़ी राष्ट्रीय चिंता से मुक्त होंगे।
Patrika Opinion

Rani Sahu
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