सम्पादकीय

बड़े फैसलों से बदली तस्वीर

Subhi
30 May 2022 4:26 AM GMT
बड़े फैसलों से बदली तस्वीर
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चाहे किसानों की समृद्धि का सवाल हो या फिर हर घर नल का जल पहुंचाने की योजना, सबके मूल में करोड़ों भारतीयों के जीवन में बदलाव लाना रहा है।

महेंद्र नाथ पांडेय; चाहे किसानों की समृद्धि का सवाल हो या फिर हर घर नल का जल पहुंचाने की योजना, सबके मूल में करोड़ों भारतीयों के जीवन में बदलाव लाना रहा है। जल जीवन मिशन के तहत सिर्फ ढाई वर्ष में छह करोड़ से ज्यादा नल कनेक्शन दिए गए और अब नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को नल से जल मिलना शुरू भी हो गया है।

आठ साल पहले सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत का जो संकल्प सूत्र दिया था, वह 'सबका साथ, सबका विकास' और 'सबका विश्वास सबका प्रयास' था। अब तक इस दिशा में जो भी फैसले हुए हैं, वे समाज की जड़ता को तोड़ने वाले रहे हैं। इन सभी में पूरे समाज की शक्ति भी साथ रही है। 'सबका साथ, सबका विकास' और 'सबका विश्वास सबका प्रयास' के लक्ष्य को पाने के लिए सरकार जिस पर अमल कर रही है, वह है 'सेवा, सुशासन व गरीब कल्याण।'

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले आठ साल के कार्यकाल को तथ्यों और आंकड़ों के आईने में रख कर समझा जा सकता है। तथ्य और आंकड़े देश के विकास की जो कहानी कहते हैं, उससे साफ है कि अब देश की सरकार का काम सिर्फ योजना बना कर कागजी खानापूर्ति करना नहीं रह गया है, बल्कि दीर्घकालिक सोच के साथ नई योजनाएं बना कर और पूर्व की योजनाओं में जरूरतों के अनुरूप व्यापक बदलाव लाकर जन-जन के जीवन को सुगम बनाना ही सरकार का मूल मंत्र रहा है।

पिछले आठ वर्षों के दौरान की योजनाओं का अवलोकन करें तो एकबारगी जेहन में जो तस्वीर उभरती है, उसमें 'राष्ट्र सर्वोपरि' का भाव दृष्टिगोचर होता है। लेकिन कहते हैं कि नींव के पत्थर को हमेशा याद रखा जाता है, तो बदलाव की यह कहानी शुरू होती है स्वच्छता अभियान से। प्रधानमंत्री ने पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान को जन अभियान बनाया। साथ ही लोगों को स्वच्छता का मंत्र दिया, 'न गंदगी करेंगे, न करने देंगे'। समाज को अपने साथ जोड़ने के लिए उन्होंने महात्मा गांधी के स्वच्छ व स्वस्थ भारत के सपने को पूरा करने का आह्वान किया।

इन आठ सालों में सात सौ छोटी-बड़ी योजनाओं के जरिए न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में बसे भारतवंशियों के जीवन में भी बदलाव लाने का बीड़ा सरकार ने उठाया। चाहे जन धन खाता हो, शौचालय हो, गैस की उपलब्धता हो, आयुष्मान कार्ड से इलाज की सुविधा हो, रेहड़ी-पटरी करोबार में सहायता हो, अनाज वितरण हो या ढांचागत सुविधाओं का विकास हो, सभी में गरीब मध्य और सभी वर्ग के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का लक्ष्य रहा।

स्वच्छ भारत से शुरू हुआ सिलसिला, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, वोकल फार लोकल, उज्जवला गैस योजना, पटरी पर रोजी-रोटी कमाने वालों को बैकों से जोड़ने के लिए स्वनिधि योजना बदलते हुए भारत की कहानी खुद बयां करती है। चाहे किसानों की समृद्धि का सवाल हो या फिर हर घर नल का जल पहुंचाने की योजना, सबके मूल में करोड़ों भारतीयों के जीवन मे बदलाव लाना रहा है।

जल जीवन मिशन के तहत सिर्फ ढाई वर्ष में छह करोड़ से ज्यादा नल कनेक्शन दिए गए और अब नौ करोड़ से ज्यादा लोगों को नल से जल मिलना शुरू भी हो गया है। इतना ही नहीं, सरकार ने गांवों के सौ फीसद विद्युतीकरण का लक्ष्य निर्धारित समयसीमा से तेरह दिन पहले ही हासिल कर लिया था।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में एक सौ चौदह लाख घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई, जिसमें अब तक 53.4 लाख घर बना कर दिए जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 2024 तक 2.95 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। आयुष्मान भारत के तहत दस करोड़ से ज्यादा परिवारों को पांच लाख रुपए सालाना मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई। इस योजना के तहत मार्च, 2022 तक सत्रह करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए गए हैं।

कोरोना महामारी से निपटने और बचाव के उपाय के लिए यृद्ध स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया। अब तक एक सौ इनक्यानवे करोड़ से ज्यादा खुराक लोगों को लगाई जा चुकी है। महामारी के दौरान जन वितरण प्रणाली के जरिए खाद्यान्न वितरण अभियान चलाया गया और देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम शुरू हुआ।

प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना के तहत किसानों को हर साल छह हजार रुपए देने की योजना जारी है। केंद्र सरकार ने ऐसी कई योजनाएं चलाई हैं जिससे किसानों के जीवन में बदलाव आए और उनकी आमदनी दोगुनी किए जाने का लक्ष्य जल्द पूरा हो। चाहे बात किसान उत्पादक संगठनों यानी एफपीओ के गठन की हो, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, प्राकृतिक कृषि योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, परंपरागत कृषि विकास योजना, गोकुल ग्राम मिशन, राष्ट्रीय बांस मिशन, ये सारी योजनाएं किसानों की खुशहाली और खेती की तरक्की की दिशा में योगदान दे रही हैं। जिस देश में पहले यूरिया के लिए मारामारी होती थी, उस देश में नैनो यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन करने वाला भारत पहला राष्ट्र बन गया है।

ग्रामीण भारत के विकास के बिना देश के विकास की परिकल्पना अधूरी है। कहा भी गया है कि भारत की आत्मा गांव में बसती है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने गांवों के विकास के लिए कई महत्त्वपूर्ण योजनाएं शुरू कीं। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, ग्राम पंचायतों में इंटरनेट की सुविधा, ई ग्राम स्वराज योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि के जरिए गांवों के चौतरफा विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए। युवाओं के शैक्षणिक विकास, कौशल विकास और रोजगार के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। नई शिक्षा नीति के तहत 2025 तक कम से कम पचास फीसद छात्रों को व्यावसायिक कौशल प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

ऐसे में जब भारत आजादी अमृत महोत्सव मना रहा है तो सरकार ने न सिर्फ आजादी के मनीषियों का स्मरण कर देशवासियों को उनके बलिदानों की याद दिलाई, अपितु आजाद भारत में अपना महत्ती योगदान देने वाले ऋषियों का स्मरण कर नई पीढ़ी को उनके संघर्ष से जोड़ने का अतुलनीय कार्य किया।

आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के क्रम में तेरह उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजनाओं के अंतर्गत भारी उद्योग मंत्रालय ने आटो क्षेत्र के लिए 25938 करोड़ रुपए, उन्नत रसायन सेल के लिए 18100 करोड़ रुपए और हाइब्रिड व बिजली वाहनों के निर्माण के लिए दस हजार करोड़ रुपए निर्धारित किए हैं। इन योजनाओं का मकसद आटो उद्योग में लागत की अधिकता पर काबू पाना और इस उद्योग को अग्रणी बनाना बनाना है।

इन योजनाओं के साथ इलेक्ट्रानिक्स और सेमीकंडक्टर के लिए भी प्रोत्साहन योजनाओं के जुड़ जाने से आटो उद्योग को और अधिक फायदा होगा और भारतीय व विदेशी बाजारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आटो उद्योग की आपूर्ति शृंखला मजबूत हो सकेगी। इससे आत्मनिर्भर समृद्ध भारत को मदद मिलेगी। सरकार को भरोसा है कि आटो उद्योग इन नीतियों पर चल कर आटो विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, आटो विनिर्माण एवं तकनीक में प्रगतिशीलता और जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के तीन बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।

जाहिर है यह सब तभी संभव हो सका है जब पिछले आठ साल में सरकार ने लीक से हटते हुए बड़े फैसले किए और 'सब चलता है' की धारणा को पीछे छोड़ते हुए अलग रास्ता चुना। सरकार के हर कदम से यह साफ होता है कि सफलता तभी मिलती है जब हम सुधार करते हैं, समयानुकूल आगे बढ़ते हैं और समाज की जड़ता को तोड़ते हुए कड़े फैसले करने का माद्दा रखते हैं।


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