सम्पादकीय

केरल में चल रही बड़ी बहस : कौन सबसे ज्यादा करा रहा लव जिहाद, मुसलमान- ईसाई या हिंदू

Rani Sahu
22 Sep 2021 8:09 AM GMT
केरल में चल रही बड़ी बहस : कौन सबसे ज्यादा करा रहा लव जिहाद, मुसलमान- ईसाई या हिंदू
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केरल (Kerala) में नारकोटिक्स जिहाद (Narcotics Jihad) का मामला अब और तूल पकड़ रहा है

संयम श्रीवास्तव केरल (Kerala) में नारकोटिक्स जिहाद (Narcotics Jihad) का मामला अब और तूल पकड़ रहा है. एक के बाद एक समुदायों से आ रहे बयानों ने इस मामले को और बढ़ा दिया है. अभी तक बिशप जोसेफ कल्लारंगट (Joseph Kallarangatt) ने मुस्लिम समुदाय पर आरोप लगाया था कि वह केरल में नारकोटिक्स जिहाद फैला रहे हैं. लेकिन अब केरल में एक कैथोलिक पादरी कन्ननचिरा ने राज्य के हिंदू धर्म के एझवा समुदाय पर आरोप लगाया है कि उसके युवाओं ने ईसाई लड़कियों को फुसलाने की कोशिश की. सीरो मालाबार चर्च के उपदेशों की एक ऑनलाइन कक्षा लेने के दौरान पादरी रॉय कन्ननचिरा ने बयान दिया था कि एझवा समुदाय के युवकों ने हाल ही में कोट्टायम के पास सीरो मालाबार चर्च के अंतर्गत आने वाले एक धार्मिक इलाके से 9 ईसाई लड़कियों को फुसलाया.

हालांकि सोशल मीडिया पर जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ और इस पर हंगामा हुआ, पादरी कन्ननचिरा ने बिना शर्त के माफी मांगते हुए कहा की मैंने महसूस किया है कि मेरी टिप्पणी से एझवा समुदाय के मेरे भाइयों को दर्द हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि विवाद को आगे ना बढ़ाते हुए इसे यहीं समाप्त कर दिया जाए. हालांकि दूसरी ओर केरल में एनडीए के सहयोगी एझवा समुदाय के संगठन एसएनडीपी योगम के नेता वेल्लापल्ली नतेसन ने पादरी जोसेफ कल्लारंगट के नारकोटिक्स जिहाद वाले बयान की आलोचना करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना सही नहीं है. उन्होंने यहां तक कहा कि भारत में धर्म परिवर्तन के लिए सबसे ज्यादा ईसाई समुदाय के कुछ वर्ग जाने जाते हैं. वेल्लापल्ली नतेसन का कहना है कि नशीले पदार्थ पूरे समाज को प्रभावित करते हैं. इसके लिए अकेले मुस्लिम समुदाय को दोष देना सही नहीं है.
ईसाई कराते हैं सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन
एसएनडीपी योगम के नेता वेल्लापल्ली नतेसन का कहना है कि देश में सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन का काम ईसाई समुदाय करता है. वो कहते हैं जब एक ईसाई महिला मुस्लिम पक्ष में जाती है तो अन्य समुदायों की सौ महिलाओं की शादी ईसाइयों से होती है. इसके बारे में कोई क्यों नहीं बोलता है? ईसाई एझवा महिलाओं से शादी कर रहे हैं. ईसाई धर्म परिवर्तन में जितना आगे हैं, मुसलमान उस पैमाने पर धर्मांतरण नहीं करते हैं.

वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने केरल में बढ़ते धार्मिक संप्रदायवाद से निपटने में विफल रहने के लिए केरल सरकार पर हमला किया और एक सर्वदलीय बैठक की मांग की. सतीसन ने सांस्कृतिक नेताओं और कलाकारों को पत्र लिखकर केरल में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग भी की है.
कांग्रेस अल्पसंख्यकों के वोट के लिए मुद्दे को कवर कर रही है
कांग्रेस पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस और सीपीआईएम अल्पसंख्यकों के वोट के चक्कर में इस मुद्दे को कवर करना चाहती है. दरअसल रविवार को केरल में कांग्रेस ने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए सभी धर्मों के नेताओं की बैठक बुलाने का ऐलान किया था. केरल कांग्रेस प्रदेश समिति के अध्यक्ष सुधाकरण और विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने बिशप जोसेफ कल्लारंगट की हाल में की गई टिप्पणी से पैदा हुए सांप्रदायिक विवाद को शांत करने के लिए ऐसा किया था. इसके लिए कांग्रेस ने केरल के जामीयतुल उलेमा के नेता एस मोहम्मद जी फ्री और कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के साथ बैठक भी की थी.
सभी धर्मों के धर्म गुरुओं की तिरुवनंतपुरम में बैठक
पाला बिशप के लव जिहाद और नारकोटिक्स जिहाद वाले बयान के बाद केरल में भड़की सांप्रदायिकता को शांत करने के लिए तिरुअनंतपुरम में हिंदू मुस्लिम व ईसाई धर्म गुरुओं ने सोमवार को एक बैठक की. इस बैठक में सभी धर्म गुरुओं ने केरल में आपसी सद्भाव बनाए रखने की सभी से अपील की. वहीं कैथोलिक्स ने सभी धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्तित्वों से अनुरोध किया है कि वह किसी भी अन्य समुदाय को अपने भाषणों से आहत करने से बचें. कैथोलिक्स का कहना है कि नशीले पदार्थ को सिर्फ नशीले पदार्थ के रूप में ही देखा जाना चाहिए.
पूरे विवाद से वोट बैंक का रिश्ता
केरल का यह विवाद जितना सीधा दिखाई देता है, असलियत में उतना सीधा है नहीं. दरअसल केरल देश का एक अकेला ऐसा राज्य है जहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई की आबादी तकरीबन बराबर है. और यह तीनों समुदाय शुरुआत से ही अपने-अपने राजनीतिक पार्टियों को वोट देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. लेकिन बीते कुछ समय से इनमें बदलाव आ रहा है.
आमतौर पर केरल की ईसाई आबादी कांग्रेस को वोट करती है. यहां तक की मुस्लिमों का एक हिस्सा भी कांग्रेस को वोट करता है. वहीं एक बड़ा तबका मुस्लिम लीग की तरफ अपना झुकाव रखता है. दूसरी ओर यहां के हिंदुओं का ज्यादातर वोट कम्युनिस्ट पार्टी में जाता है. उसका सबसे बड़ा कारण है केरल की कम्युनिस्ट पार्टी में ब्राह्मणों और नायरों की बढ़त. हालांकि जबसे पिनाराई विजयन केरल के मुख्यमंत्री बने हैं तब से इस वोट बैंक के गणित में काफी बदलाव हुआ है.
दरअसल पिनाराई विजयन पुरानी कम्युनिस्ट नीतियों से हटकर अपने तरीके से काम करते हैं. वह कभी सॉफ्ट हिंदुत्व अपनाते हैं, तो कभी प्रो मुस्लिम हो जाते हैं. यही वजह है कि अब वहां के सामुदायिक वोट बैंक में बदलाव होने लगा है. और इन बदलावों में जोसेफ कल्लारंगट जैसे लोगों का बयान आग में घी की तरह काम करता है. इन बयानों को राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं और केरल में ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा देते हैं.
कैसे अलग है लव जिहाद से नार्कोटिक्स जिहाद
लव जिहाद का मुद्दा सबसे पहले केरल से उठा जिसमें दावा किया गया कि तथाकथित मुस्लिम लड़के अपनी पहचान छुपा कर ईसाई और हिंदू लड़कियों को अपने प्रेम के जाल में फंसा कर उनसे शादी करते हैं और फिर उनका धर्म परिवर्तन करा उन्हें मुस्लिम बना देते हैं. केरल से निकला यह मुद्दा उत्तर प्रदेश में भी खूब ज़ोरों शोरो से उठा. यूपी की योगी सरकार ने तो इस पर कानून भी बना दिया. दरअसल यूपी में भी कई मामले ऐसे सामने आए थे जिसमें मुस्लिम युवकों ने अपनी पहचान छिपा कर हिंदू लड़कियों से शादी की और जब शादी के बाद लड़की को लड़के की सच्चाई मालूम हुई तो इस पर विवाद हुआ.
नार्कोटिक्स जिहाद इस मुद्दे से थोड़ा हट के है. केरल के कैथोलिक चर्च के पादरी जोसेफ कल्लारंगट के अनुसार, मुस्लिम लड़के केरल में ईसाई लड़के-लड़कियों को ड्रग्स की लत लगा कर पूरे समाज को बर्बाद करने की साजिश रच रहे हैं. इसी बयान के बाद से पूरे केरल में इस वक्त हंगामा मचा हुआ है. आपको बता दें लव जिहाद का मुद्दा भी इन्हीं पादरी कल्लारंगट ने ही उठाया था.


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