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सम्पादकीय
Bharat ऑपरेटिंग सिस्टम सॉल्यूशन बॉस द्वारा आईटी आउटेज जैसी घटनाएं रोकना संभव
Gulabi Jagat
22 July 2024 10:48 AM GMT
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New Delhi: शनिवार को घटित माइक्रोसॉफ्ट आउटेज की आईटी घटना ने संपूर्ण विश्व को एक बार फिर सोचने को मजबूत कर दिया और देश और दुनिया में तकनीकी पर विदेशी निर्भरता की कसौटी को आइना दिखा दिया और यह भी दिखा दिया कि विदेशी तकनीति अथवा किसी विदेशी सर्वर पर आपरेटिंग सिस्टम पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है साथ ही किसी भी देश को अस्थिर करने के लिए उसकी व्यवस्था को अस्थिर करने के लिए युद्ध, आर्थिक प्रतिबंध या बम विस्फोट-दंगों की आवश्कता नहीं बल्कि एक छोटे से आईटी सिस्टम बग (गड़बड़ी फैलाने वाला कोड) द्वारा ही प्रभावित या अस्थिर किया जा सकता है। हालांकि भारत में इस साईबर आईटी आउटेज घटना का इतना व्यापक असर नहीं देखा गया भारत में शनिवार को विमान संचालन सामान्य हो गया। हालांकि दिल्ली, चेन्नई आदि कुछ हवाई अड्डों पर फ्लाइट देरी से चलने और बोर्डिंग पास निकलने में दिक्कतें बनी रहीं। लेकिन इस घटना ने हमें सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि आखिर हम कितने आजाद हैं ? हकीकत है कि आज भी आम आदमी तकनीक का गुलाम है। तकनीकी विदेशी है तो सोच सकते हैं कि हम कितने आजाद हैं? विदेशी तकनीकी पर निर्भरता हमारे रेल-विमान संचालन, बैंक सेवा, अस्पताल प्रबंधन और ऑनलाइन पढ़ाई तक को प्रभावित कर सकती साथ ही विदेशी सर्वर विदेशी ऐप्स पर कार्य करने वाली हमारी मानसिकता हर वक्त सोशल नेटवर्किंग साइट्स मीडिया पर बढ़ती हुई हमारी निर्भरता हमें गुलामी के इस दलदल में धकेलती जा रही है क्योंकि इन ऐप्स इन साइट्स को हमने ही यह सभी अधिकार दिए हैं हम क्या करते हैं कहां जाते हैं क्या खाते हैं किससे बात करते हैं हमारे फ़ोन मैं किसके फोटो विडियो है हमारे बैंक अकाउंट में कितने पैसे है इत्यादि जानकारियां जो जो भी हमारे फ़ोन मैं मौजूद हैं वो सारी जानकारी इन ऐप्स और नेटवर्किंग साइट्स और विदेशी सर्वर को पता होता है क्योंकि हम उनको परमिशन देते हैं।
शायद इसीलिए महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तकनीकी आत्मनिर्भरता की जरूरत को बरसों पहले भांप लिया था। क्योंकि भारत अपने एटॉमिक और मिसाईल कार्यक्रम की तकनीकी के लीक होने से बचाने के लिए चिंतित था अतः आप सभी की जानकारी के लिए बता दूं आम लोगों को कम ही पता है कि कलाम की इसी दूरदर्शिता वाली रणनीति के कारण भारत के पास अपना ऑपरेटिंग सिस्टम 'भारत ऑपरेटिंग सिस्टम सॉल्यूशंस' (बॉस) मौजूद है। और यही एकमात्र विकल्प आईटी आउटेज जैसी घटनाओं को रोकने के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि बॉस को वजह से आईटी आउटेज का ज्यादा असर भारत में नहीं हुआ। यदि विदेशी निजी कंपनी के बजाय भारत की कंपनियां और लोग बड़े पैमाने पर बॉस सिस्टम को अपनाएं तो विदेशी सर्वर पर पर निर्भरता कम होगी आईटी आउटेज के द्वारा होने वाले साईबर अटैक का रिस्क भी नहीं रहेगा। ओपन सोर्स लीनक्स सिस्टम पर काम करने वाले बॉस के कारण ही आउटेज का असर भारत में कम दिखाई दिया।
आइए बात करते हैं “भारत ऑपरेटिंग सिस्टम सॉल्यूशन “(बॉस)" दरअसल आइटी मंत्रालय के अधीन कार्यरत सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी- डैक) द्वारा बनाया 'बॉस' लीनक्स आधारित ओपन एंड फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम है। एनआइसी इसी सिस्टम पर काम करता है। बॉस के नियमित अपडेट वर्जन भी आते हैं यहां आवश्यकता है कि सर्वर स्वदेशी देश में हो, नेटवर्क आइसोलेट हों क्योंकि इस आउटेज की घटना पूरी दुनिया के लिए खतरे की एक घंटी है। क्योंकि, महज 3% को छोड़कर दुनिया की सभी तकनीकों का आधार माइक्रोसॉफ्ट अजूर क्लाउड है। आउटेज के कारण जब दुनियाभर के सारे कंप्यूटर बंद हो गए तो मालूम हुआ कि इस निर्भरता में कितना जोखिम है। देश के बड़े बड़े कारोबारियों और नीति निर्माताओं को भी इस पर विचार करना चाहिए कि हमारा सिस्टम और सर्वर हमारे देश में ही रहे। सारे डेटा और सूचनाएं भी देश में रहें। तभी हम अपने आर्थिक और सामरिक हितों और देश के आम नागरिक के डेटा को सुरक्षित रख पाएंगे।
दुनिया के जो भी मुख्य डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है वह, केवल दो-तीन वेंडर पर निर्भर है। और अगर वह डिजिटल प्लेटफार्म छोटी सी गलती करेंगे तो सारी दुनिया को नुकसान होगा। जैसे, कोविड महामारी के दौरान दुनिया को अहसास हुआ कि 25 फीसदी विनिर्माण चीन में होता है। अगर चीन में कुछ हुआ तो सारे विश्व को उसका नुकसान उठाता पड़ेगा। और इसी तरह अगर माइक्रोसॉफ्ट ने आईटी गलती की तो उसका खामियाजा, सारी दुनिया को भुगतना पड़ेगा। इसलिए लचीलापन और अतिरेकता (रिडन्डेन्सी) रखनी होगी। दूसरा, एक बार नेटवर्क को आइसोलेट करना होगा ताकि अगर कोई गलती होती है तो दूसरी जगह उसका असर नहीं पड़े। जब भी इस तरह के अपडेट आते हैं तो उसे एकसाथ पूरे विश्व में लागू नहीं करें। उसे चरणबद्ध तरीके से एक- एक कर अलग-अलग देशों में लागू करना होगा। माइक्रोसॉप्ट को भी इसका अहसास हुआ होगा। किसी भी बदलाव को एक प्रोटोकॉल के तहत लागू करना होगा।
आईटी आउटेज की घटना का भारत में क्या असर हुआ वैसे देखा जाए तो भारत में स्वदेशी सर्वर पर रेलवे टिकटिंग प्रणाली, स्टॉक एक्सचेंज, आधार, जीएसटी, भारतीय थी जीवन बीमा निगम (एलआईसी), एसबीआइ सहित अन्य बैंकों में कोर बैंकिंग से सेवाएं बॉस की ही तरह लीनक्स आधारित ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करती हैं। वहीं जोखिम से बेपरवाह निजी कंपनियों व अनेक सरकारी संस्थाओं में माइक्रोसॉफ्ट का ओएस काम में लिया जा रहा है। बॉस कई नि ाड़ भारतीय भाषाओं में भी काम करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) कंप्यूटर में मौजूद ब्ध अन्य सभी प्रोग्रामों को नियंत्रित और मॉनिटर करता है। ओएस सॉफ्टवेयर का ने एक समूह है जो कंप्यूटर हार्डवेयर संसाधनों का प्रबंधन करता है और कंप्यूटर बर प्रोग्राम के लिए सामान्य सेवाएं प्रदान करता है। पूरी तरह नहीं सुधरे हालात, 1500 फ्लाइटें रद्दः माइक्रोसॉफ्ट आउटेज हा के कारण शुक्रवार को मची अफरातफरी के बाद शनिवार सुबह तक भारत में द हालात तेजी से सुधरे लेकिन दुनिया के कुछ देशों में शनिवार को भी करीब की 1500 फ्लाइटें रद्द करनी पड़ी जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। ब्रिटेन च में ट्रेन संचालन और मेडिकल प्रबंधन प्रभावित रहा। शुक्रवार को दुनिया भर में र करीब 7000 फ्लाइटें रद्द करनी पड़ी थीं। टेक विशेषज्ञों का कहना है कि हालात पूरी तरह सामान्य होने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि आउटेज के कारण दुनिया में करीब 85 लाख डिवाइस प्रभावित हुए।
गलत लॉजिक के कारण हुई समस्याः गलत अपडेट जारी कर समस्या पैदा करने वाली फर्म क्लाउडस्ट्राइक के सीईओ जॉर्ज कुर्ट्ज ने कहा कि अपडेट में गलत लॉजिक लगाने के कारण गड़बड़ी हुई। क्लाउडस्ट्राइक ने इस मामले में अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहने को भी कहा है। शनिवार को एक व्यंग्यकार विंसेंट फ्लेब्युस्टायर के खुद की एआइ से बनाई तस्वीर के साथ एक्स पर जारी संदेश भी दुनिया भर में वायरल हुआ। इसमें विंसेंट ने खुद को आउटेज के गलत अपडेट के लिए जिम्मेदार बताया। बाद में यह व्यंग्य निकला। भारत में हालात सामान्यः भारत में नागर विमानन मंत्रालय ने दावा किया कि शनिवार तड़के तीन बजे तक विमान संचालन सामान्य हो गया लेकिन दिल्ली, चेन्नई व एकाधिक अन्य हवाई अड्डों पर फ्लाइट देरी से चलने और बोर्डिंग पास निकलने में दिक्कतें बनी रहीं। बरहाल यह घटना दुनिया के सभी देशों के लिए खतरे का एक अलार्म है कि किस तरह एक छोटा सा बग एक छोटा सा वायरस पूरे देश के सिस्टम को हिला कर रख सकता है अतः हमें भविष्य में होने वाले साइबर अटैक या आईटी आउटेज की घटनाओं पर विराम लगाने की दिशा में काम करते हुए स्वदेशी सिस्टम सॉल्यूशन विकसित कर सभी प्रकार के आईटी तकनीकी कार्य उसी सिस्टम कर करने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की घटना से देश को बचाया जा सके और वैश्विक स्तर पर सभी तकनीकी विकसित देशों को एक साथ एक मंच पर आपका ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए इनकी रोकथाम पर चिंतन मंथन करना होगा।
आलेख: ©® डॉ. राकेश वशिष्ठ, वरिष्ठ पत्रकार और संपादकीय लेखक
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