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- काशी में भगीरथ प्रयास

महादेव, देवादिदेव की काशी में एक और भगीरथ-प्रयास किया गया है। देश उसका साक्षी बना है। महादेव और मां गगा का एकाकार रिश्ता रहा है। भगीरथी से काशी विश्वनाथ का मंदिर दिखाई देता है और मंदिर से ही मां को नमन् किया जा सकता है। अब तो 5 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल में काशी कॉरिडोर बनाया गया है। उसमें देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। पूरा प्रांगण ही शिवमय है। नए सिरे से इतिहास उकेरा गया है, स्तुतियों का वर्णन किया गया है। घोर कलियुग में भी आस्था का आधुनिक परिसर बनाया गया है, यकीनन यह अद्भुत और अभूतपूर्व है। मां गंगा का उद्गम भी प्रभु शिव की जटाओं से हुआ था। महासंत भगीरथ के बाद गंगा ने शिव की जटाओं में अर्द्धविराम लिया और फिर वसुंधरा पर प्रवाहित हुईं, ताकि गंगा का शिवत्व बरकरार रहे। किंवदंतियों में भी ढेरों सत्य निहित होते हैं। किंवदंति यह भी है कि काशी पृथ्वी पर नहीं, महादेव के त्रिशूल पर टिकी और बसी है। काशी अनश्वर, अनंत, अविरल और अविनाशी है।
divyahimachal
