सम्पादकीय

Bhabanipur Bypolls: कांग्रेस और बीजेपी की टेंशन बढ़ाने वाली है भवानीपुर में ममता को मिली जीत, समझिए क्यों?

Gulabi
4 Oct 2021 7:02 AM GMT
Bhabanipur Bypolls: कांग्रेस और बीजेपी की टेंशन बढ़ाने वाली है भवानीपुर में ममता को मिली जीत, समझिए क्यों?
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कांग्रेस और बीजेपी की टेंशन बढ़ाने वाली है

कांग्रेस (Congress)आलाकमान ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Choudhary) की सलाह को दरकिनार करते हुए भवानीपुर (Bhabanipur) में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया. उधर, BJP ने प्रियंका टिबरेवाल सीएम के खिलाफ खड़ा किया हालांकि मुख्यमंत्री को 58,832 मतों से बड़ी जीत मिली. बनर्जी ने साल 2011 के भबानीपुर उपचुनाव के अपने ही रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया. इस दौरान उन्होंने 54,213 मतों से जीत हासिल की थी. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल चुनावों में भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतने वाले सोवनदेब चटर्जी को मिली जीत के अंतर को दोगुना कर दिया है. इन सबके बीच BJP और कांग्रेस दोनों ही इस बात को खारिज करेंगे कि में सीएम के सामने कोई मुकाबला नहीं था. लेकिन BJP का कोई बड़ा नेता चुनावी कार्यक्रमों में नहीं आया और कांग्रेस तस्वीर से गायब थी. इतना ही नहीं कांग्रेस ने अपने पूर्व के साथ वामदल की मदद भी नहीं की. वाम दल के प्रत्याशी को अपनी जमानत भी खोनी पड़ेगी. भवानीपुर में ममता की जीत के बाद BJP और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का कारण है.

BJP की बात करें तो जिस तरह से पार्टी के नेता TMC की ओर रुख कर रहे हैं उससे हालत खस्ता हो सकती है. उधर बनर्जी राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करेंगी. पांच महीने पहले जीती 77 सीटों में से पार्टी के पास सिर्फ 71 विधायक रह गए हैं और कई सीटों के विधायक TMC में आने को आतुर हैं. BJP ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया गया.
CM को मुकाबला देने के लिए कोई बड़ा चेहरा क्यों नहीं!
हालांकि सवाल यह भी उठते हैं कि आखिर BJP ने सीएम को मुकाबला देने के लिए कोई बड़ा चेहरा सामने क्यों नहीं रखा. जैसे पूर्व बंगाल प्रमुख दिलीप घोष या कोई मौजूदा सांसद जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की हो. दरअसल, BJP के कुछ सांसदों के बारे में भी यह कहा जा रहा है कि वह TMC के संपर्क में हैं. ऐसे में बीजेपी को 2019 और 2021 में बंगाल में मिली बढ़त को खोने का खतरा है.

कांग्रेस की चिंता BJP से बड़ी हो सकती है क्योंकि TMC अब अन्य राज्यों में राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाएगी और इससे सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचेगा. जिन तीन राज्यों त्रिपुरा, गोवा और मेघालय में BJP के विस्तार करने की योजना है वहां TMC कांग्रेस की संभावनाओं को प्रभावित करेगी क्योंकि TMC खुद को BJP के खिलाफ 'सबसे बड़े और सबसे विश्वसनीय' विपक्ष के रूप में पेश कर रही है. हालांकि कोई भी फिलहाल यह मानने को राजी नहीं है कि TMC इनमें से किसी भी राज्य में BJP को नुकसान पहुंचा पाएगी. लेकिन कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान जरूर पहुंचेगा.
अब अभिषेक के प्लान पर काम करेंगी ममता!
सीएम की कुर्सी और अपना गढ़ बचाने के बाद अब ममता, भतीजे अभिषेक बनर्जी के प्लान पर फोकस करेंगी. अभिषेक, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद से पार्टी की विस्तार की योजनाओं पर काम कर रहे हैं. जिस तेजी से TMC, गोवा के राजनीतिक परिदृश्य में आई है, इससे कांग्रेस के लिए यह सीधा संकेत है कि वह अब कंफर्ट जोन से बाहर आए.

TMC नेताओं , अभिषेक बनर्जी और मुख पत्र प्रकाशित बयानों के जरिए TMC कांग्रेस के नेताओं पर निशाना साध रही है. हालांकि कांग्रेस TMC के रुख को महत्वाकांक्षी बताते हुए खारिज कर रही है और उसका मानना है कि ममता की अगुवाई वाली पार्टी के पास राष्ट्रीय स्तर की पहुंच नहीं है. लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि राजनीति में तीन साल का वक्त बहुत होता है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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