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मुंबई के एक निजी बैंक के 40 ग्राहकों के फर्जीवाड़े का शिकार होने की घटना ने देश का ध्यान फिर इस समस्या की ओर खींचा है
मुंबई के एक निजी बैंक के 40 ग्राहकों के फर्जीवाड़े का शिकार होने की घटना ने देश का ध्यान फिर इस समस्या की ओर खींचा है. अपराधियों ने इन लोगों को मोबाइल पर एक संदेश भेजा था, जिसमें एक लिंक दिया गया था. इस लिंक को चटकाने के साथ ही इन ग्राहकों के खाते से लाखों रुपये उड़ा लिये गये. बीते दिसंबर में भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया था कि पिछले साल की दूसरी छमाही में विभिन्न बैंकों ने फर्जीवाड़े के 2,331 मामलों की जानकारी दी थी.
इन मामलों में 87 करोड़ रुपये की चपत लगी थी. उल्लेखनीय है कि 2022 की पहली छमाही में 1,532 ऐसे मामले दर्ज किये गये थे. मैसेज से वेबसाइट का लिंक भेजकर या खाता के बारे में भ्रामक बातें कर ग्राहकों को बरगलाने के मामले कई साल से सामने आ रहे हैं. रिजर्व बैंक, सरकार और पुलिस की ओर से ऐसे अपराधों को रोकने के लिए अनेक उपाय किये गये हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि अपराधी दो कदम आगे रहते हैं तथा लोगों को ठगने के नये-नये तरीके निकाल लेते हैं.
भारत सरकार ने हर तरह के साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए एक विशेष पोर्टल बनाया है. इसके अलावा पुलिस विभागों ने भी ऐसे अपराधों की शिकायत की व्यवस्था की है. लोगों को जागरूक करने के लिए बैंक और पुलिस के साथ-साथ वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक भी समय-समय पर कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं तथा लोगों को संदेश भेजते रहते हैं कि किसी तरह के संदेहास्पद संदेशों से बचें.
ठगी के अनेक प्रकार हैं. लिंक भेजकर या ग्राहक की गोपनीय जानकारी जुटाकर खातों से पैसा निकालना ठगी का एक रूप है. मोबाइल एप के जरिये या मोबाइल में सेंधमारी कर भी लोगों की जमा-पूंजी को निशाना बनाया जाता है. बार-बार यह कहा जाता है कि लोगों को अपने खाते की संख्या, क्रेडिट या डेबिट कार्ड की संख्या, ओटीपी, पिन संख्या, पासवर्ड आदि की जानकारी किसी को नहीं देनी चाहिए. किसी तरह की समस्या होने या संदेहास्पद संदेश आने पर ग्राहकों को सीधे संबंधित बैंक की शाखा में संपर्क करना चाहिए.
जिस गंभीरता से हम अपने पैसे की अहमियत समझते हैं, उसी मुस्तैदी से हमें उसकी रक्षा भी करनी चाहिए. बिना जाने-समझे एप से कर्ज लेना या किसी अवैध स्रोत से पैसा लेना अपनी तबाही को बुलावा देना है. कई बार यह भी देखा गया है कि लोग ठगी का शिकार होने पर उसकी शिकायत भी नहीं करते. यह ठीक नहीं है. पुलिस तंत्र को भी अधिक सक्रियता से अपराधियों को रोकने पर ध्यान देना चाहिए.
सोर्स: prabhatkhabar
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