सम्पादकीय

चेतावनी समझें, तो बेहतर

Gulabi
13 Aug 2021 1:50 PM GMT
चेतावनी समझें, तो बेहतर
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कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में स्वार्थी रुख खुद अपने को नुकसान पहुंचाने वाला है

delta variant corona virus कहा गया है कि अगर सुरक्षित होंगे तो सभी लोग। वरना, सभी पर खतरा मंडराता रहेगा। ये बात इसलिए दोहरानी पड़ रही है, क्योंकि ऐसे संकेत हैं कि कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट को लेकर बढ़ती चिंता के बीच धनी देश कोरोना वैक्सीन की सप्लाई के मामले में और कंजूस हो गए हैँ।

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में स्वार्थी रुख खुद अपने को नुकसान पहुंचाने वाला है। ये बात पिछले डेढ़ साल में बार-बार कही गई है। कहा गया है कि अगर सुरक्षित होंगे तो सभी लोग। वरना, सभी पर खतरा मंडराता रहेगा। ये बात इसलिए दोहरानी पड़ रही है, क्योंकि ऐसे संकेत हैं कि कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट को लेकर बढ़ती चिंता के बीच धनी देश कोरोना वैक्सीन की सप्लाई के मामले में और कंजूस हो गए हैँ। अभी जहां दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में टीकाकरण की दर बहुत नीचे है, वहीं अमेरिका और यूरोप में बूस्टर डोज लगाने की मुहिम छेड़ दी गई है। उसके अलावा देशों में सबका टीकाकरण करने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं। सबका टीकाकरण उचित है, लेकिन बूस्टर डोज का सवाल समस्याग्रस्त है। इसलिए कि इससे कितना लाभ होगा, यह अभी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन कम से कम सितंबर तक बूस्टर डोज पर रोक लगाने की अपील की है। उसने कहा है कि जब दुनिया के हर देश में कुल आबादी के दस फीसदी हिस्से का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक बूस्टर डोज ना लगाए जाएं। इस संगठन के आंकड़े ये बताते हैं कि धनी देशों में प्रति 100 व्यक्तियों पर जहां लगभग 100 डोज लगाए जा चुके हैं, वहीं गरीब देशों में वैक्सीन की कमी के कारण प्रति 100 व्यक्तियों पर 1.5 डोज ही लगाए गए हैं।
मगर इन बातों का कोई असर धनी देशों पर नहीं हो रहा है। जर्मनी और फ्रांस ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की अपील की अनदेखी कर दी है। जबकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दुनिया भर में संक्रमण रोकने के मकसद पर बूस्टर डोज को तरजीह देने का असर यह होगा कि सभी लोग खतरे में पड़ेंगे, जिनमें धनी देशों के नागरिक भी शामिल हैँ। उन्होंने उचित ही ध्यान दिलाया है कि भारत में संक्रमण बेकाबू हुआ तो डेल्टा वैरिएंट की उत्पत्ति हुई। इसी तरह अगर संक्रमण का फैलाव जारी रहा, तो संभव है कि अधिक खतरनाक और अधिक संक्रामक वैरिएंट सामने आते रहेंगे और उनका फैलना जारी रहेगा। डेल्टा वैरिएंट ने अमेरिका, चीन और यूरोप की संक्रमण रोकने में हासिल हुई सफलताओं को खतरे में डाल दिया है। यानी जब उससे कोई सुरक्षित नहीं है। मगर ये साफ बात उन्हें समझ में नहीं आ रही है, तो इसकी वजह उनके आंखों पर पड़ी स्वार्थ की पट्टी ही है।
By NI Editorial
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