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भारत विश्व स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में उभर सकेगा…
हम उम्मीद करें कि सरकार विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों और खाद्यान्न, तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए लागू की गई नई योजनाओं के साथ-साथ डिजिटल कृषि मिशन के कारगर क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। इससे न केवल कृषि उत्पादन और ऊंचाई पर पहुंचेगा, वरन कृषि, ग्रामीण विकास और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाला नया अध्याय लिखा जा सकेगा। साथ ही भारत विश्व स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में उभर सकेगा…
यकीनन इस समय ग्रामीण बाजार में सुधार का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। इस समय जहां देश के रोजगार सूचकांक ग्रामीण भारत में तेजी से रोजगार बढ़ने का ग्राफ प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक भी लगातार ऊंचाई पर पहुंचते दिखाई दे रहे हैं। मानसून के अनियमित रहने और बुआई में हुई देरी के बावजूद खरीफ सत्र में अच्छी फसल की संभावना से ग्रामीण भारत का आशावाद भी ऊंचाई पर है। गौरतलब है कि इस समय देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और कृषि एवं ग्रामीण विकास की मजबूती के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के चार महत्त्वपूर्ण आधार उभरकर दिखाई दे रहे हैं। एक, जन-धन योजना के माध्यम से छोटे किसानों और ग्रामीण गरीबों का सशक्तिकरण।
दो, कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रम। तीन, कृषि संबंधी नवाचार एवं शोध से कृषि उन्नयन तथा चार, ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए नई स्वामित्व योजना की शुरुआत। सचमुच देश ही नहीं, दुनिया में भी यह रेखांकित हो रहा है कि जनधन योजना के माध्यम से सरकार ने आक्रामक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम चलाया है जिसकी वजह से सरकार छोटे किसानों और ग्रामीण भारत में गरीबों की मदद करने में सफल रही है। 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए दुनिया को जनधन योजना के महत्त्व से परिचित कराया है। कहा गया है कि देश के छोटे किसानों की मुठ्ठियों में वित्तीय समावेशन की खुशियां तेजी से बढ़ी हैं। पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त 2021 तक 11.37 करोड़ किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए 1.58 लाख करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं। निःसंदेह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके।
किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए बड़ी संख्या में सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया जा रहा है। किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए, उन्हें अलग-अलग चरणों में 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं। 2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। एक लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, 10 हजार नए किसान उत्पादन संगठन और देश के 70 से ज्यादा रेल रूटों पर किसान रेल चलने से छोटे किसानों के कृषि उत्पाद कम ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे पर देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंच रहे हैं। ऐसे में छोटे किसानों को अच्छा बाजार मिलने से उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल पा रहा है। खासतौर से देश में 2 हेक्टेयर से कम जमीन रखने वाले जो 80 प्रतिशत छोटे किसान हैं, वे अधिक लाभान्वित हो रहे हैं। इससे जहां एक ओर भारत में कृषि क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी एवं लाभदायक बन रहा है, वहीं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। यह हिस्सेदारी पिछले 17 साल में पहली बार वर्ष 2020-21 में 20 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गई है।
रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में भी देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान और अधिक बढ़ सकता है। 11 अक्तूबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 15 राज्यों के 343 चिन्हित जिलों में किसानों को मुफ्त 8.20 लाख हाईब्रिड बीज मिनीकिट कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रमों के अच्छे परिणाम दिखाई देने लगे हैं। हाल ही में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी खरीफ सत्र के प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक देश में इस बार खरीफ सत्र में करीब 15.05 करोड़ टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन होने की संभावना है। पिछले वर्ष खरीफ सत्र में करीब 14.95 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि वर्ष 2020-21 में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 30.86 करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा है। देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन एवं खाद्यान्न निर्यात के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। वर्ष 2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन करीब 30.86 करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर दिखाई दे रहा है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.11 करोड़ टन अधिक है। वर्ष 2020-21 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन रिकॉर्ड 36.10 मिलियन टन अनुमानित है, जो वर्ष 2019-20 के उत्पादन की तुलना में 2.88 मिलियन टन अधिक है। इसी तरह वर्ष 2020-21 में दालों का उत्पादन 2 करोड़ 57 लाख टन रह सकता है। अब देश में दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता और इनके आयात में कमी का दूरगामी लक्ष्य भी सामने रखा गया है। इस परिप्रेक्ष्य में हाल ही में सरकार ने जिस तरह 11040 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल/पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) लागू किया है। निःसंदेह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई शक्ति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा विगत 6 अक्तूबर को मध्यप्रदेश के हरदा में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन से भूखंडों का सर्वेक्षण कराकर उनके मालिकों को सम्पत्ति का स्वामित्व सौंपकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की स्वामित्त्व योजना तेजी से कार्यान्वित की जा रही है। ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश के वर्तमान कृषि मंत्री श्री कमल पटेल जब अक्तूबर 2008 में मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री थे, तब उन्होंने उनके गृह जिले हरदा के मसनगांव और भाट परेटिया गांवों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 1554 भूखंडों के मालिकाना हक के पट्टे मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से दोनों गांवों के किसानों और मजदूरों को सौंपे गए थे। इस अभियान से ग्रामीणों के सशक्तिकरण के आशा के अनुरूप सुकूनभरे परिणाम प्राप्त हुए हंै। ऐसे में देशभर के गांवों में स्वामित्व योजना के लागू होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की चमकीली स्थिति दिखाई दे सकेगी और महात्मा गांधी के ग्रामीण आर्थिक स्वराज की अभिकल्पना को साकार करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (इरमा) में हाल ही में आयोजित हुए सेमिनार के उस अत्यधिक महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष पर ध्यान देगी, जिसमें कहा गया है कि सरकार के द्वारा कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) की धनराशि खर्च करने के नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए और इसे ग्रामीण और कृषि विकास पर खर्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हम उम्मीद करें कि सरकार विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों और खाद्यान्न, तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए लागू की गई नई योजनाओं के साथ-साथ डिजिटल कृषि मिशन के कारगर क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। इससे न केवल कृषि उत्पादन और ऊंचाई पर पहुंचेगा, वरन कृषि, ग्रामीण विकास और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाला नया अध्याय लिखा जा सकेगा। साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत एक कृषि विकास वाले चमकीले प्रतिस्पर्धी देश के रूप में उभरेगा, जो देश के संपूर्ण विकास में सहायक साबित होगा।
डा. जयंतीलाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
Gulabi
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