सम्पादकीय

बेहतर हो पुलिस तंत्र

Gulabi Jagat
15 March 2022 5:22 AM GMT
बेहतर हो पुलिस तंत्र
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय पुलिस तंत्र में व्यापक सुधारों की आवश्यकता का रेखांकन महत्वपूर्ण है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय पुलिस तंत्र में व्यापक सुधारों की आवश्यकता का रेखांकन महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी कहा है कि पुलिस की नकारात्मक छवि में भी परिवर्तन होना चाहिए. विधि व्यवस्था बनाये रखने, आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और आपराधिक मामलों की जांच कर दोषियों को दंडित कराने में पुलिस प्रणाली की केंद्रीय भूमिका है.
इन दायित्वों के अतिरिक्त, पुलिसकर्मियों को अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा तथा आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव का कार्य भी करना होता है. संसाधनों और कर्मियों के अभाव के बावजूद पुलिस तंत्र का कामकाज संतोषजनक रहा है, लेकिन वह दोषमुक्त नहीं है. आम लोगों के साथ पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के अनुचित व्यवहार, न्याय दिलाने में कोताही तथा भ्रष्टाचार व अक्षमता की शिकायतें अक्सर आती रहती हैं.
ऐसी घटनाएं भी निरंतर होती रहती हैं, जहां पुलिस का आचरण आपराधिक रहता है. प्रधानमंत्री मोदी ने सेवा में आ रहे युवा अधिकारियों को सलाह दी है कि उन्हें मानवीय व्यवहार से तथा शोषितों, दलितों व महिलाओं के लिए काम कर अपनी वर्दी का सम्मान बढ़ाना चाहिए. पुलिस की मानसिकता में पैठी रौब की भावना का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौर में कर्मियों के माध्यम से अंग्रेज अपने शासन को बहाल रखना चाहते हैं.
स्वतंत्रता के बाद इस सोच में बदलाव आना चाहिए था, पर सुधारों की गति धीमी रहने के कारण कई वर्दीधारी अनुचित व्यवहार को अपना विशेषाधिकार समझ लेते हैं. ऐसी स्थिति में नकारात्मक छवि का बनना स्वाभाविक है. इसी कारण पुलिस के पास शिकायतें लेकर जाने में लोगों को हिचक भी होती है. जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाया कि कोरोना महामारी के दौरान पुलिसकर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को भोजन-पानी और दवाएं पहुंचायी थी,
जिसकी सराहना समूचे देश ने की. पुलिस में कार्यरत लोग आज भी जनता की सेवा में तत्पर हैं, पर कुछ लोगों की हरकतें उनकी बड़ी उपलब्धियों पर भारी पड़ जाती हैं. नागरिक समूहों और मीडिया को भी अपने पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर अच्छे कार्यों को सामने लाना चाहिए. लेकिन पुलिस सेवा में सुधार और कर्मियों को आवश्यक संसाधन मुहैया कराने का उत्तरदायित्व केंद्र और राज्य सरकारों का है.
पुलिस सुधार को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय के डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है. बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने थानों की निगरानी, शिकायतकर्ताओं व आरोपितों के साथ व्यवहार तथा रिक्त पड़े लाखों पदों को भरने से संबंधित अनेक निर्देश सरकारों को दिया है, पर उनका ठीक से पालन नहीं हुआ है.
पुलिस के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप और इस सेवा का दुरुपयोग भी बड़ी समस्या है. अब जब प्रधानमंत्री मोदी ने सुधार के महत्व पर जोर दिया है, तो यह आशा की जा सकती है कि सरकारों की ओर पुलिस प्रणाली को बेहतर करने के प्रयासों में गति आयेगी. जन प्रतिनिधियों, पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों तथा नागरिकों को भी यथासंभव दबाव बनाना चाहिए.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

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