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मशहूर फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Naredra Modi) की ब्रिगेड सभा में बीजेपी में शामिल
मशहूर फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Naredra Modi) की ब्रिगेड सभा में बीजेपी में शामिल होकर फिर से राजनीति के सियासी मैदान में वापसी की है. देश के साथ-साथ बंगाल के लोकप्रिय फिल्म अभिनेताओं में एक मिथुन चक्रवर्ती का राजनीति का सफर गुलाबों का सेज नहीं रहा है, वरन उन्हें कांटे ही ज्यादा ही मिले हैं और फिर से राजनीति में कदम रख कर बंगाल के फैंस में 'महागुरु' के नाम से लोकप्रिय मिथुन चक्रवर्ती ने फिर से कांटों पर चलने की अपनी ख्वाईश जाहिर कर दी है. ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि बीते करीब पांच वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूरी बना चुके मिथुन चक्रवर्ती ने फिर से राजनीति में वापसी का फैसला क्यों किया ?
इसमें समझनें में कोई भी मुश्किल नहीं है. बीजेपी मिथुन चक्रवर्ती का इस्तेमाल बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ करेगी, क्योंकि बंगाल की राजनीति में दीदी के नाम से मशहूर ममता बनर्जी को टक्कर देने में फिल्मी दुनिया के दादा मिथुन चक्रवर्ती किसी भी मायने में कम नहीं हैं. कहा जाता है कि बंगाल के फैंस में फिल्म अभिनेता उत्तम कुमार के बाद बंगाल के फैंस जिस स्टार के सबसे अधिक दीवाने हैं, तो वह मिथुन चक्रवर्ती हैं. ऐसे में बीजेपी में मिथुन चक्रवर्ती को साध कर ममता बनर्जी के किले को भेदने की रणनीति में एक कदम आगे बढ़ चुकी है और यदि मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते हैं, तो चुनौतियों और अपनी ही पार्टी के बागियों से जूझती ममता बनर्जी को इस महानायक का मुकाबला करना आसान नहीं होगा.
मिथुन का बंगाल राजनीति से है पुराना नाता
बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती का बंगाल की राजनीति से उतना ही पुराना नाता है. फिल्मी दुनिया में कदम रखने के पहले मिथुन चक्रवर्ती अपने छात्र जीवन में नक्सली संगठनों के साथ जुड़े हुए थे, हालांकि जब फिल्मी दुनिया में लोकप्रियता मिली और बंगाल के युवा और महिला उनके दीवाने हो गए थे. उस समय पश्चिम बंगाल में वामपंथियों का शासन था और ज्योति बसु बंगाल के सीएम हुआ करते थे, उस समय मिथुन चक्रवर्ती वामपंथियों के काफी करीब थे. वह तात्कालीन परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती के काफी करीबी थे और उनको अक्सर कई कार्यक्रमों में एक साथ देखा गया था. साल 1986 में तत्कालीन ज्योति बसु सरकार के दौरान ही उन्होंने कोलकाता में होप-86 नामक एक शानदार कार्यक्रम भी आयोजित किया था.
प्रणब मुखर्जी के पक्ष में किया था चुनाव प्रचार
मिथुन चक्रवर्ती कई बार खुद को वामपंथी बता चुके हैं. बाद में उन्होंने मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर लोकसभा क्षेत्र में तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी के पक्ष में प्रचार किया था.तब उन्होंने प्रणब मुखर्जी के साथ कई चुनावी रैलियों में शिरकत कर लोगों से उनके पक्ष में वोट डालने की अपील की थी. उसके बाद जब साल 2011 में ममता बनर्जी सत्ता में आयी, तो उनकी ममता बनर्जी से नजदीकी बढ़ी और वह टीएमसी के कोटे से राज्यसभा में गए थे.
शारदा घोटाले में आया था नाम, राज्यसभा एमपी पद से दिया था इस्तीफा
उसके कुछ समय बाद ही शारदा चिटफंड घोटाले में नाम आने के बाद महज तीन साल तक राज्यसभा रहने के बाद साल 2016 के आखिर में मिथुन ने राज्यसभा के सांसद पद से इस्तीफा दे कर राजनीति से संन्यास ले लिया था, हालांकि उस समय मिथुन चक्रवर्ती नने अपने खराब स्वास्थ्य को राजनीति से नाता तोड़ने की वजह बताया था. लेकिन दरअसल, उनके राजनीति छोड़ने की शुरुआत उसी समय हो गई थी जब उनका नाम शारदा चिटफंड घोटाले में आया था. उसके कुछ दिनों बाद ही मिथुन ने ब्रैंड एंबैसडर के तौर पर कंपनी से 1.20 करोड़ रुपये की रकम ये कह लौटा दी थी वे किसी की रकम नहीं हड़पना चाहते. उसके बाद से वह राजनीति से पूरी तरह से दूर हो गए थे.
आरएसएस प्रमुख से मुलाकात से तेज हुई थी अटकलें
लेकिन मिथुन के राजनीति में लौटने के कयास तो उसी समय से लगने लगे थे, जब मुंबई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने घर जाकर उनसे मुलाकात की थी. लेकिन तब मिथुन ने इसे आध्यात्मिक और सद्भावना मुलाकात करार देते हुए राजनीति में लौटने की अटकलों को निराधार बताया था, लेकिन अब अचानक उन्होंने उसी पार्टी का हाथ थामा है जो विधानसभा चुनावों में उनकी पूर्व पार्टी यानी टीएमसी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन कर उभरी है और यदि मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते हैं, तो ममता बनर्जी के लिए एक और मुसीबत बन सकते हैं.
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