सम्पादकीय

Bengal Election: बंगाल में चल रहे सियासी 'जात्रा' की क्वीन हैं ममता बनर्जी?

Gulabi
12 March 2021 3:59 PM GMT
Bengal Election: बंगाल में चल रहे सियासी जात्रा की क्वीन हैं ममता बनर्जी?
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बंगाल की संस्कृति में जात्रा का ख़ासा महत्व है

बंगाल की संस्कृति में जात्रा का ख़ासा महत्व है. जात्रा नाटक ही होता है, पर इसे नाटकों का बाप माना जाता है क्योकि इसमें बहुत कुछ ऐसा होता है कि इसे दर्शक चार घंटों तक मंत्रमुग्ध हो कर देखते रहते हैं. एक और खास बात है जात्रा के बारे में, इसका सूत्र और कथा हिन्दू धर्म से जुड़ा होता है. यह किसी जात्रा से कम नहीं था जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुधवार को नंदीग्राम से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरती हैं, फिर एक के बाद एक सात मंदिरों में जाती हैं और आखिरी मंदिर में दर्शन के दौरान उनपर हमला हो जाता है, जिसमें वह घायल हो जाती हैं. उन्हें नाटकीय अंदाज में कोलकाता लाया जाता है और फिर वृहस्पतिवार को अस्पताल के बिस्तर पर लेट कर एक वीडियो बनाया जाता है, जिसकी शुरुआत ही होती है उनके जख्मी पांव पर अस्थायी प्लास्टर को फोकस करते हुए, जिसमे वह तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से कहती दिखती हैं कि वह ऐसा कुछ ना करें जिससे आम जनता को असुविधा हो.


यह अलग बात है कि इस वीडियो में वह शांति की बात तो करती हैं पर इस हमले का बदला हिंसा से नहीं करने का कोई सन्देश देती नहीं नजर आती हैं. वीडियो में ममता बनर्जी अपने चोट के बारे में बताती दिख रही हैं और यह भी कह रहीं हैं कि उनका चुनावी जात्रा, सॉरी यात्रा, जारी रहेगा, चाहे उन्हें व्हीलचेयर पर ही चुनावी सभा में जाना पड़े.

ममता की चोट पर सवाल
प्रदेश में चुनाव है और इस बार तृणमूल कांग्रेस को बीजेपी से कांटे की टक्कर मिलती दिख रही है. ऐसे में चुनाव जीतने के लिए किसी एक्स फैक्टर की ममता बनर्जी को सख्त ज़रुरत थी. यह तो नहीं कहा जा सकता कि ममता बनर्जी को चोट नहीं आई, और चोट कैसे आई इस पर भी विवाद है. ममता बनर्जी ने खुद बीजेपी को इस हमले के लिए दोष नहीं दिया है, हालांकि उनकी पार्टी द्वारा ऐसा ही कुछ कहा जा रहा है, उनकी पार्टी की ओर से यहां तक कहा जा रहा है कि अगर ऐसा गुजरात में होता तो वहां दंगा हो जाता.

पुलिस ने रिपोर्ट में एक्सीडेंट कहा
बीजेपी ने भी उनकी चोट को नाटक नहीं कहा है बस जांच की मांग की है, यह कहते हुए कि एक दुर्घटना को हमला बताया जा रहा है. हालांकि इस तथाकथित हमले को नाटक की संज्ञा तो कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी ने दी. लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस ने चुनाव आयोग को जो रिपोर्ट भेजी है उसमे इस घटना को एक्सीडेंट कहा है, ना कि हमला. पश्चिम बंगाल पुलिस ममता बनर्जी के अधीन है, चुनाव आयोग ने सिर्फ DGP को बदल किया है, पर नंदीग्राम में स्थानीय पुलिस और SP तो ममता बनर्जी द्वारा नियुक्त अधिकारी ही हैं. यह सवाल उठना लाजमी है कि कहां थी नंदीग्राम की पुलिस? और क्यों उन्होंने इसे एक्सीडेंट करार दिया है अगर यह एक हमला था तो?

Z+ सिक्यूरिटी के बाद भी कैसे हुआ हमला?
सवाल और भी कई हैं और कहीं ना कहीं ममता बनर्जी का यह कहना कि वह अपने कार से बाहर निकल कर एक मंदिर के सामने से गुजरते हुए रुक कर पूजा कर रही थीं जब चार-पांच लोगों ने उन्हें धक्का दिया जिससे उनको चोट लग गई भी संदेह के घेरे में है. क्या कोई आम व्यक्ति इस तरह किसी मुख्यमंत्री के करीब पहुंच सकता है? ममता बनर्जी को Z+ सिक्यूरिटी मिली है, तो कहां थे उनके सुरक्षाकर्मी? क्या यह हमला था या फिर मात्र एक दुर्घटना? क्यों उन्हें उन्हें नंदीग्राम के किसी अस्पताल में ले जाने की जगह 120-130 किलोमीटर दूर कोलकाता ले जाया गया? सबसे बड़ा सवाल अगर यह हमला था तो कौन थे यह हमलावर? अगर वह किसी विपक्षी दल के लोग थे तो इस हमले से उनका क्या फायदा होने वाला है? हालांकि किसी को अगर इस हमले से कोई फायदा होता दिखता है तो वह केवल ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस पार्टी है. जब वह व्हीलचेयर पर बैठ कर किसी चुनावी सभा में जायेंगी तो थोड़ी सहानुभूति तो मिलेगी ही. और थोड़ी सहानुभूति भी चुनावी नतीजे को प्रभावित करने की क्षमता रखती है.

क्या ममता ने बदल दी चुनावी स्क्रिप्ट
ममता बनर्जी अपने नाटकीय अंदाज़ की राजनीति के लिए शुरू से विख्यात रही हैं. वह मिजाज़, स्वभाव और नाटकीय अंदाज़ से किए गए अपरंपरागत राजनीति के लिए जानी जाती रही है. इसे फिलहाल एक संयोग ही माना जाना चाहिए कि बंगाल से ताल्लुक रखने वाले मशहूर फ़िल्मी हस्ती मिथुन चक्रबर्ती, जो कभी तृणमूल कांग्रेस के सांसद होते थे, ने पिछले रविवार को बीजेपी ज्वॉइन किया और अपनी एक फिल्म का डायलॉग मंच से बोला कि वह ऐसा कोबरा हैं जिसके एक दंश से ही सभी सियासी दुश्मन मर जाएंगे. ममता बनर्जी ने तो कभी फिल्म में काम नहीं किया पर उन्हें फ़िल्मी अंदाज पता है, और अपने तरीके से मिथुन चक्रबर्ती को बता दिया कि कैसे स्क्रिप्ट में बदलाव कर के एक दुर्घटना को हमले में बदला जा सकता है. खैर अब यह तो आने वाले दिनों में पता चल ही जाएगा कि पश्चिम बंगाल की सियासत में असली कोबरा कौन है और किसके फन में ज्यादा जहरीला विष है.


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