सम्पादकीय

Bengal Election 2021: तीसरे चरण में भी हुई है बम्पर 84.61 % वोटिंग, तो क्यों बौखला गई हैं ममता ? जानें क्या हैं इनके मायने

Gulabi
7 April 2021 2:51 PM GMT
Bengal Election 2021: तीसरे चरण में भी हुई है बम्पर 84.61 % वोटिंग, तो क्यों बौखला गई हैं ममता ? जानें क्या हैं इनके मायने
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Bengal Election 2021

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अजय विद्यार्थी। पश्चिम बंगाल (West Bengal ) में छह अप्रैल यानी मंगलवार को हुए तीसरे चरण (Third Phase) के मतदान दौरान कुल 84.61 % वोटिंग हुई है. बुधवार शाम चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक दक्षिण 24 परगना जिले में 85.51 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. दो चरण के बाद लगातार तीसरे चरण में पश्चिम बंगाल में बम्पर वोटिंग हुई है. इस वोटिंग को लेकर बीजेपी के नेता उत्साहित हैं, जबकि ममता बनर्जी बौखालाई नजर आ रही हैं और सीआरपीएफ और चुनाव आयोग पर आरोप लगा रही हैं.


तीसरे चरण में सबसे अधिक वोटिंग कैनिंग पूर्व विधानसभा क्षेत्र में हुए हैं. यहां 88.30 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. इसके अलावा डायमंड हार्बर में 88.04 फीसदी और फलता में 87.2 फीसदी वोटिंग रिकॉर्ड की गई है. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को राज्य में इन तीन जिलों की 31 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी.


बासंती में हुई है सबसे कम वोटिंग

चुनाव आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सबसे कम वोटिंग बासंती में हुई है. यहां महज 81.44 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. इसी तरह से हावड़ा जिले में 83.55 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. सबसे अधिक वोटिंग बागनान में 86.37 फीसदी और सबसे कम आमता में 79.71 लोगों ने वोट दिया है. हुगली जिले में 83.75 फीसदी लोग मतदान में हिस्सा लिया है. यहां सबसे अधिक वोटिंग गोघाट में हुई है. 88.67 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है, जबकि सबसे कम खानाकुल में 78.25 फ़ीसदी लोग मतदान प्रक्रिया में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सके हैं.
तीसरे चरण में टीएमसी ने की 1507 शिकायतें

तीसरे चरण में चुनाव में गड़बड़ी की कुल 1802 शिकायतें दर्ज की गयी, जिनमें 1507 शिकायतें अकेले ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की ओर से दर्ज करायी गयीं. बंगाल का चुनावी इतिहास बताता है कि जब-जब सत्ताधारी दल ने चुनाव आयोग में सर्वाधिक शिकायतें कीं, तब-तब उसकी पराजय हुई. साल 2011 का विधानसभा चुनाव इसका उदाहरण है. उसी वर्ष 34 साल से सत्ता में जमी वाम मोरचा की सरकार का पतन हुआ था और ममता बनर्जी ने सत्ता दखल कर ली थी. उस साल चुनाव में गड़बड़ी की सर्वाधिक शिकायतें वाम मोरचा की ओर की गयी थीं.
मुस्लिम वोट विभाजित होते दिख रहे हैं

मंगलवार को 31 सीटों पर मतदान हुआ है. इनमें से 27 सीटों पर मुसलमानों का प्रभाव बहुत ज्यादा है, उनमें कम से कम 15 सीटों पर मुसलमानों का वोट सीधे-सीधे बंटते दिखाई दे रहे हैं. इन मुस्लिम प्रभावित इलाकों में हिंदू कभी ठीक से वोट नहीं डाल पाते थे, लेकिन इस बार आईएसएफ और तृणमूल कांग्रेस की आपसी लड़ाई में हिंदुओं का 35 प्रतिशत वोट मत ईवीएम तक पहुंच गया, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. इससे सबसे ज्यादा क्षति तृणमूल कांग्रेस को ही सकती है
कई सीटों पर एजेंट नहीं बैठा पाई TMC

तृणमूल के गढ़ मानी जाने वाली इन बंगाल की 31 सीटों में से कई सीटों पर टीएमसी एजेंट तक नहीं बैठा पायी. प्रायः यह देखा गया है कि तृणमूल के इस गढ़ में सुबह मतदान शुरू होते ही विपक्षी पार्टी के लोग बस्ता भर-भर कर शिकायतें चुनाव आयोग तक पहुंचाते थे, लेकिन इस बार जितनी शिकायतें जमा हुई हैं, उसमें 90% शिकायतें सत्ताधारी पार्टी की ओर से की गई हैं. कैनिंग पूर्व के टीएमसी विधायक शौकत मुल्लाह, खानाकुल विधानसभा नाजिम उल हक जैसे टीएमसी के नेताओं के इस बार बीजेपी के लोगों से उलझते देखा गयाय. सेंट्रल फोर्स और चुनाव आयोग के खिलाफ वे शिकायतें दर्ज करते नजर आए.
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