सम्पादकीय

घाटी में घंटी

Gulabi
8 Feb 2021 12:55 PM GMT
घाटी में घंटी
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बार-बार अपील की जा रही थी कि मोबाइल फोन सेवाएं बहाल कर दी जाएं, ताकि लोगों को रोजमर्रा के कामकाज में सहूलियत हो सके

बार-बार अपील की जा रही थी कि मोबाइल फोन सेवाएं बहाल कर दी जाएं, ताकि लोगों को रोजमर्रा के कामकाज में सहूलियत हो सके, मगर Mobile phones, terrorists, separatists, terrorists and separatists, terrorists and separatists, संगठनों की सक्रियता को देखते हुए ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा था। पिछले साल जुलाई में मोबाइल फोन और टू जी इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गर्इं, मगर इस फोर जी के जमाने में इस सेवा की गति बहुत धीमी थी, जिसके चलते विद्यार्थियों और व्यावसायिक कामकाज में लगे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री से भी गुहार लगाई थी कि फोर जी सेवाएं बहाल की जा जाएं। अब ये सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। स्वाभाविक ही इस फैसले से वहां के नागरिकों ने राहत की सांस ली है।

सूचना प्रौद्योगिकी के इस तेज गति से बढ़ते समय में इंटरनेट आम लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार-कारोबार से जुड़ी तमाम गतिविधियां इंटरनेट पर निर्भर होती गई हैं, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की बाधा से लोगों को असुविधा पैदा होना स्वाभाविक है। मगर कश्मीर घाटी में आतंकी और अलगाववादी संगठन इंटरनेट सेवाओं का दुरुपयोग कर रहे थे।

उसके जरिए सूचना तंत्र में सेंध लगाने और अपनी गतिविधियों को संचालित करने में उन्हें मदद मिल रही थी। छिपी बात नहीं है कि घाटी में सक्रिय दहशतगर्दों के तार पड़ोसी देश से जुड़े हुए हैं, वहां से उन्हें हर तरह की मदद मिलती रही है, वहीं से उनकी गतिविधियों को संचालित किया जाता रहा है। ऐसे में अगर इंटरनेट सेवाओं पर सख्ती न बरती जाती, तो उन्हें अपनी साजिशों को अंजाम देने से रोकना चुनौतिपूर्ण बना रहता।

वह अनुभव लोग भूले न होंगे, जब घाटी में सक्रिय अलगाववादी तत्त्व इंटरनेट के जरिए नौजवानों को उकसाने, गुमराह करने में कामयाब हो रहे थे। वीडियो संदोशों के जरिए भड़काऊ संदेश प्रसारित किया करते थे। इसलिए अनुच्छेद तीन सौ सत्तर हटने के बाद वैसी गतिविधियों पर लगाम लगाना जरूरी था। इंटरनेट सेवाएं बंद होने से सुरक्षाबलों को चौकसी बरतने में आसानी भी हुई थी।
हालांकि इंटरनेट सेवाएं बंद रहने के दौरान खासकर विद्यार्थियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। फिर कोरोना काल में जब स्कूल-कॉलेज बंद हो गए और घर बैठे पढ़ाई करनी पड़ रही थी, तब टू जी सेवाओं से उनका काम नहीं चल पा रहा था, क्योंकि अब देश में ज्यादातर जगहों पर इंटरनेट सेवाएं फोर जी हो चुकी हैं। टू जी की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी होती है, इसलिए उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
इसी तरह व्यापारियों, दुकानदारों; देश के विभिन्न हिस्सों, दूसरे देशों में कारोबार करने वालों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। आजकल कारोबारी गतिविधियां ज्यादातर इंटरनेट से संचालित होने लगी हैं, इसलिए कश्मीर के व्यापारियों को इसकी वजह से असुविधा हो रही थी। देर से सही, अब फोर जी इंटरनेट सेवाएं बहाल होने से घाटी के लोगों को कामकाज में आसानी हो जाएगी। कई मामलों में कश्मीर में बनी और पैदा हुई चीजें दुनिया भर में मशहूर हैं, अब उनके व्यापार में सुगमता आएगी।


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